सोने में निवेश पर आगे भी आकर्षक रिटर्न पाने की आस लगाए बैठे लोगों की मुराद संभवत: पूरी नहीं हो पाएगी। चाहे सोने के भाव का मौजूदा ट्रेंड हो या वर्तमान आर्थिक परिदृश्य, दोनों ही पर नजरें दौड़ाने से निराशाजनक तस्वीर उभर कर सामने आती है। सबसे पहले सोने के भाव की चर्चा। अंतरराष्ट्रीय सराफा बाजार में सोने का भाव फिलहाल गिरकर 1614 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर आ गया है।
यह पिछले तीन महीनों में सोने की न्यूनतम कीमत है। सितंबर, 2011 के मुकाबले तो सोना अब तक 15 फीसदी लुढ़क चुका है। बीते वर्ष सितंबर महीने में सोने का भाव चढ़कर 1907 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर को छू गया था।
अगर सोने के संदर्भ में मौजूदा आर्थिक परिदृश्य की चर्चा करें, तो उससे भी यही प्रतीत होता है कि इसकी कीमतों में तेजी का लंबा दौर अब थम-सा गया है। सबसे खास बात यह है कि शेयर बाजारों में अब गिरावट दर्ज किए जाने के बावजूद सोने में तेजी जोर नहीं पकड़ती है। दरअसल, पहले यही होता था कि शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज किए जाने की स्थिति में लोग सोना खरीदने के पीछे भागने लगते थे क्योंकि उसे अत्यंत सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है।
निवेशकों के रुख में आए इस बदलाव से सोने की कीमतों में नरमी के संकेत मिलते हैं। नॉर्थ कैरोलीना-विलमिंगटन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर सेटिन साइनर का कहना है, 'यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन मेरे विचार से सोने में तेजी का दौर अब खत्म हो गया है।' यही नहीं, साइनर ने तो सोने की मजबूती की तुलना विगत वर्षों के दौरान तेजी का बुलबुला फटने से पहले आईटी शेयरों में दर्ज की गई जोरदार तेजी से की है। एक बात यह भी है कि कई निवेशक महंगाई के खिलाफ हेजिंग के लिए सोने में निवेश करते रहते हैं।
चूंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का यह मानना है कि आने वाले समय में महंगाई की आग बहुत ज्यादा नहीं भड़केगी, इसलिए जाहिर है कि ऐसे में इस तरह के निवेशक हेजिंग की खातिर सोना खरीदने के लिए बेताब नहीं होंगे। अत: इस वजह से भी सोने की तेजी जोर नहीं पकड़ पाएगी। जाने-माने अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्र 'द वाशिंगटन पोस्ट' में छपे एक लेख में इन सारी बातों का जिक्र किया गया है।
इस लेख में बताया गया है कि हजारों निवेशक आर्थिक संकट के गहराने पर भी सोना खरीदते रहते हैं ताकि मुसीबत के समय पीली धातु उनके काम आ सके। चूंकि अमेरिका और यूरोप में आर्थिक हालात पहले के मुकाबले अब कुछ सुधर गए हैं, इसलिए यह स्थिति भी इन निवेशकों को सोना खरीदने के लिए प्रेरित नहीं करेगी।
दरअसल, घबराहट अथवा भय का सोने से खास वास्ता रहा है। जब आर्थिक संकट को लेकर लोगों में भय बढ़ता है तो सोने की खरीदारी भी बढ़ जाती है। वहीं, जब इस तरह का भय घटता है तो सोने की खरीदारी भी घट जाती है। अत: कुल मिलाकर मौजूदा परिदृश्य सोने में नरमी के रुख की ओर इशारा कर रहा है। (Business bhaskar)
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