February 17, 2009
सरकार पर अंतरिम बजट में खास कदम न उठाए जाने का आरोप है, लेकिन वित्त सचिव अरुण रामनाथन की राय कुछ जुदा है।
रामनाथन का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता पहले दिए प्रोत्साहन पैकेजों को ठीक तरीके से लागू करना है। वैसे, सरकार जरूरत के हिसाब से कदम उठाएगी। अंतरिम बजट के बाद रामनाथन संवाददाताओं को उनके सवालों का जवाब दे रहे थे। पेश हैं प्रमुख अंश:
अगले वित्त वर्ष में आप 11 फीसदी विकास दर की बात किस बुनियाद पर कर रहे हैं? खासकर विनिर्माण, सेवा और कृषि क्षेत्र के बारे में आपका क्या अनुमान है?
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)की विकास दर मौजूदा आर्थिक और औद्योगिक माहौल के अलावा कई और चीजों पर निर्भर करती है। फिलहाल, तो इस बारे में कुछ भी अंदाजा लगाना जल्दबाजी होगा। लेकिन, तीसरी तिमाही के नतीजों की बुनियाद पर इसके बारे में कुछ कहा जा सकेगा। चालू वित्त वर्ष में सरकार जो 45,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले रही है, उसके लिए बाजार से पैसा लेने का रास्ता अख्तियार किया जा रहा है?
हम इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से बात कर रहे हैं। इतना तो तय है कि हम पैसा जुटाने जा रहे हैं, लेकिन किस तरह से जुटाएंगे इस बात पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। बाजार से पैसा उठाने का विकल्प भी खुला हुआ है। बाजार से आखिर कितना कर्ज मिल सकता है? इस मामले में हम जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचने वाले हैं।
अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी पर कम खर्च के अनुमान का आधार क्या है?
इस साल सब्सिडी पर जो 1,22,352 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। हमारा अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा घटकर 95,578 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है। दरअसल फर्टिलाइजर और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आती जा रही है और इन दोनों पर ही सरकार भारी सब्सिडी देती है।
पैसा उगाहने के लिए विनिवेश का विकल्प अपनाने के बारे में आप कितने गंभीर हैं?
हमने इसके लिए तकरीबन एक दर्जन कंपनियों का चुनाव कर लिया है। इनमें से चार-पांच के लिए तो मई-जून में ही प्रकिया शुरू की जा सकती है। लेकिन, इस बात पर फैसला अगली सरकार को करना होगा। उदाहरण के तौर पर इस लिहाज से कोचीन शिपयार्ड का मामला काफी आगे बढ़ चुका है।
बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बारे में सरकार की क्या योजना है?
इसके लिए सरकार ने अपनी ओर से पूरी योजना बनाई है। करीब 4.2 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता के लिए विश्व बैंक से संपर्क भी किया गया है। (BS HIndi)
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