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05 फ़रवरी 2009

बढ़ती जा रही है पंजाब के आलू किसानों की दुर्दशा

नई दिल्ली February 05, 2009
पंजाब के आलू किसानों की दुर्दशा सुधरने का नाम नहीं ले रही है। आलू के बंपर उत्पादन के कारण लागत निकालने को भी तरस रहे किसानों ने अब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी निर्यात करना बिल्कुल बंद कर दिया है।
हालांकि यह इतनी सीमित मात्रा में होती है कि इससे आलू का घरेलू बाजार जरा भी प्रभावित नहीं होता। जनवरी माह के आरंभ तक पंजाब के जालंधर व अमृतसर से बाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान के लिए रोजाना 70-80 गाड़ी (700-800 क्विंटल) आलू का निर्यात किया जा रहा था।
लेकिन पाकिस्तान सरकार ने अपने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय आलू पर 25 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया। इसके बाद भी 30-40 गाड़ी का निर्यात जारी रहा।
लेकिन इन दिनों यह निर्यात बिल्कुल बंद हो गया है। अब निर्यात किए जा रहे आलू भी घरेलू बाजार में आ रहे हैं। जहां पहले से ही काफी मात्रा में आलू उपलब्ध है। दिल्ली में उत्तर प्रदेश से आलू की जबरदस्त आवक के कारण यहां की मंडियों में भी आलू किसान को लागत से भी कम कीमत पर आलू की बिक्री करनी पड़ रही है।
फिलहाल पंजाब की मंडियों में आलू की कीमत 1.50 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गयी है। जालंधर के निर्यातकों के मुताबिक पड़ोसी देश में आलू निर्यात पूरी तरह से बंद हो गया है। पंजाब में आलू की भरभार है लेकिन फिर भी कारोबारी कम मुनाफा मार्जिन की वजह से निर्यात नहीं कर रहे हैं।
पंजाब में उगाए जाने वाले लाल आलू की एक बड़ी मात्रा लाहौर और कराची में भेजा जाता है। फिलहाल भारतीय आलू 25 फीसदी के शुल्क के साथ 9 रुपये प्रति किलो पड़ता है। लेकिन पाकिस्तानी आलू 5.5 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। बाजार में बहुत ज्यादा आलू आ गया है लेकिन उसकी मांग बिल्कुल भी नहीं है।
नेशनल हॉर्टीकल्चरल रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के मुताबिक मौजूदा साल में पंजाब में रबी के मौसम में 11 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ जो पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी ज्यादा था। पाकिस्तान में जनवरी के पहले पखवाड़े में ही भारतीय आलू पर 25 फीसदी आयात कर लगाया ताकि वहां के किसानों को फसल लगाने के लिए उत्साहित किया जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि निर्यात भारतीय आलू के कुल उत्पादन का एक फीसदी भी नहीं है। पड़ोसी देश को आलू निर्यात नहीं करने से भी देश पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
उद्योगों का ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2007-08 में पाकिस्तान का निर्यात 8,000 टन से ज्यादा हो गया था। कारोबारियों का ऐसा अनुमान है कि दिसंबर 2008 के मौजूदा वित्तीय वर्ष तक निर्यात 12,000 टन से ज्यादा हो सकता है। (BS Hindi)

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