06 फ़रवरी 2009
बासमती के एमईपी में और कटौती कर सकती है सरकार
नई दिल्ली : बासमती चावल के निर्यात में आ रही कमी को देखते हुए सरकार इसके न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) में फिर कटौती कर सकती है। हाल ही में सरकार ने बासमती चावल पर लगने वाले निर्यात शुल्क को हटा दिया था, साथ ही इसकी एमईपी में भी कटौती की गई थी। सरकार ने बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य को पहले के 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 1,100 डॉलर प्रति टन कर दिया था। बासमती चावल की घरेलू बाजार में कीमतों में आ रही गिरावट को देखते हुए राज्यों ने केंद्र से मांग की है कि वह इसके एमईपी में कटौती करे ताकि कीमतों में संतुलन पैदा हो सके। कुछ राज्यों ने कहा है कि सरकार को बासमती की एमईपी को कम कर 1,000 डॉलर प्रति टन करना चाहिए। राज्यों के इस प्रस्ताव पर केंद्र में खाद्य मामलों के लिए गठित अधिकार संपन्न मंत्रियों का समूह विचार करेगा। इस समूह की अध्यक्षता विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी कर रहे हैं। वाणिज्य सचिव जी के पिल्लई के मुताबिक, हालांकि बैठक की तारीख अभी तय नहीं हो सकी है। सीआईआई के भारत-अमेरिका प्लास्टइंडिया समिट के मौके पर पिल्लई ने कहा, 'हमारे पास राज्यों से प्रस्ताव आए हैं और हम इस मामले को मंत्रियों के अधिकार संपन्न समूह के पास ले जाएंगे।' कई राज्य सरकारों के प्रतिनिधिमंडल बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य को घटाने के बारे में वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात कर चुके हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों ने मंत्रालय से कहा है कि निर्यात कम होने से घरेलू बाजार में बासमती की कीमत कम हुई है। ऐसे में सरकार को इसकी एमईपी को घटाने के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। अपैल 2008 में केंद्र सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर कुछ पाबंदी लगा दी थीं। सरकार इस कदम के जरिए तब तेजी से बढ़ रही मुद्रास्फीति को रोकने की कोशिश कर रही थी। पिछले साल अप्रैल से इस साल जनवरी तक देश से होने वाले बासमती चावल के निर्यात में 12 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान देश से होने वाला बासमती निर्यात 7.6 लाख टन रह गया है। पिछले कुछ वक्त में मुद्रास्फीति दर में काफी गिरावट आई है इस वजह से सरकार धीरे-धीरे बासमती निर्यात पर लगी रोक को हटा रही है। एमईपी ज्यादा होने के चलते पहले भारतीय बासमती अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तानी बासमती के मुकाबले महंगी पड़ रही थी। कारोबारियों की मांग के बाद सरकार ने एमईपी में कमी की। अब केंद्र दोबारा इसमें और कमी कर सकता है। (ET Hindi)
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