नई दिल्ली February 15, 2009
घरेलू खाद्य तेल उद्योग इस समय मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम बागानों के अधिग्रहण की तैयारी में है। दरअसल पिछले 5-6 महीनों में पाम ऑयल की कीमतों में जोरदार गिरावट के बाद इसके प्लांटेशन में 50-60 प्रतिशत की गिरावट आई है।
पिछले साल केएस ऑयल भारत की पहली कंपनी बनी थी, जिसने इंडोनेशिया में पाम प्लांटेशन के अधिग्रहण की शुरुआत की थी। पिछले साल जहां इसकी रोपाई की लागत रिकॉर्ड स्तर पर महंगी हो गई थी, अब स्थिति में बदलाव आया है और इसमें काफी गिरावट आई है।
इसे देखते हुए भारत के कई अन्य कारोबारी इस तरह के अधिग्रहण पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। उद्योग जगत के एक विशेषज्ञ का कहना है कि इस तरह की रोपाई का औसत खर्च अब 9,000-10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गया है, जबकि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसका खर्च 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर था।
सांवरिया एग्रो ऑयल्स के निदेशक अनिल अग्रवाल ने कहा, 'इस समय पाम की रोपाई के लिए अधिग्रहण के प्रति आकर्षण इसलिए बढ़ा है कि इसके खर्च में 60 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। हम इंडोनेशिया या मलेशिया में रोपाई के अधिग्रहण लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं, जहां से हम कच्चे पाम ऑयल का आयात कर, उसे रिफाइन कर सकते हैं। इस तरह के अधिग्रहण में कंपनी 100 करोड़ रुपये निवेश की योजना बना रही है।'
भारतीय कंपनियों द्वारा इस तरह का अधिग्रहण इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि देश में खाद्य तेल के खपत की कुल जरूरतों का 50 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। यह आयात मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देशों से होता है और अक्सर यहां कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है।
देश के सबसे बड़े पाम ऑयल रिफाइनर, रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक दिनेश शाहरा ने कहा, 'रुचि की इच्छा है कि इस समय कम कीमतों पर रोपे गए या करीब तैयार हुए पाम प्लांटेशन का अधिग्रहण करे। इस समय हमारे लिए बेहतर संभावनाएं हैं।'
मोरेना की केएस ऑयल्स ने पिछले साल 50,000 एकड़ पाम प्लांटेशन का इंडोनेशिया में अधिग्रहण किया था। कंपनी अगले तीन साल में रिफाइनिंग के लिए कच्चे माल की प्राप्ति के लिए अधिग्रहण कार्य पर 230 करोड़ रुपये निवेश की योजना बना रही है।
तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के संकट से बचने के लिए खाद्य तेल की कई घरेलू कंपनियों ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के बैनर तले हाथ मिलाया है, जिससे लैटिन अमेरिकी देशों में ऑयलसीड की खेती में सहयोग किया जा सके। यह संयुक्त उपक्रम लैटिन अमेरिकी देशों में ऑयलसीड की खेती के लिए निवेश करेगा। (BS Hindi)
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