06 फ़रवरी 2009
कपास की खरीद के लिए सीसीआई को पांच अरब
केंद्र सरकार ने कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को वित्तीय वर्ष 2008-09 के लिए 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि आवंटित की है। कैबिनेट ने गुरुवार को हुई बैठक में इस पर निर्णय लिया। कैबिनेट का मानना था कि सीसीआई को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कपास की खरीद के लिए वित्तीय मदद देना आवश्यक है। सीसीआई ने आर्थिक सहायता की मांग की थी। घरेलू बाजार में कपास के दाम लगातार एमएसपी से काफी नीचे बने हुए हैं। जिसके कारण सीसीआई और नाफेड पर किसानों से कपास की बिकवाली का बारी दबाव है। इसके अलावा कैबिनेट ने सीसीआई को निर्देश दिया है कि वह खरीदी गई कपास को एमएसपी के स्तर पर बेचे। हालांकि थोक खरीददारों को दामों में कुछ छूट दी जा सकती है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने गुरुवार को कृषि मंत्रालय की मांग के अनुसार तिलहन पर चल रहे अनुसंधान को जारी रखने की अनुमति दे दी है।तिलहन अनुसंधान निदेशालय तथा सूरजमुखी, कैस्टर सीड के ऑल इंडिया कोआरडिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट आगे भी चलते रहेंगे। साथ ही जूनागढ़ के मूंगफली, सरसों के भरतपुर, सोयाबीन के इंदौर स्थित राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र को इन्हीं फसलों के निदेशालय का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा सीसीईए ने पशु पालन, मत्स्य पालन और डेयरी विभाग के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है जिसके अंतर्गत ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में मत्स्य पालन, आधारभूत संरचना के विकास पर 746 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।दस हैक्टेयर वाले रबर उत्पादक छोटे किसाननई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबर एक्ट में संशोधन के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार रबर उत्पादन करने के वाले छोटे किसानों की परिभाषा बदली जाएगी। आजादी के समय बने रबर एक्ट में बदलाव के इस प्रस्ताव पर संशोधन विधेयक को जल्द शुरू होने वाले संसद के अगले सत्र में पेश किया जा सकता है। गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया। इसके अनुसार 10 हेक्टेयर के क्षेत्र में रबर की खेती करने वाले अब छोटे किसान कहे जाएंगे। पहले 20 हैक्टेयर तक के किसान इसमें शामिल किए जाते थे। इसके अलावा रबर बोर्ड को और अधिकार देकर मजबूत बनाने का प्रस्ताव किया गया है। (Business Bhaskar)
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