06 फ़रवरी 2009
आसमान छूते सोने से ग्राहक छिटके
सोना भले ही आसमान छू रहा है लेकिन आम ग्राहकों की पहुंच से दूर होता जा रहा है। इसके कारण घरेलू बाजार में लोगों ने सोने के आभूषणों की खरीदारी कम कर दी है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार वर्ष 2008 में इसकी रिटेल मांग में 4 फीसदी की कमी आई है। दूसरी ओर दुनिया भर में जारी वित्तीय संकट के चलते इसकी निवेश (औद्योगिक खपत सहित) मांग में बढ़ोतरी हुई है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल इंडिया के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा के अनुसार वर्ष 2008 में भारत में होने वाले सोने के कुल व्यापार में फुटकर बिक्री की भागीदारी 28 फीसदी रही है जो वर्ष 2007 में करीब 32 फीसदी थी। इस लिहाज से देखा जाए तो सोने की निवेश की कुल बिक्री में हिस्सेदारी चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दुनिया भर में जारी आर्थिक मंदी के चलते लोग सुरक्षित निवेश के रूप में सोने में निवेश कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों सहित घरेलू बाजार में सोने में तेज़ी का रुख बना हुआ है। भारत में इसके दाम 14,500 रुपये प्रति दस ग्राम के उच्चतम स्तर तक पहुंच चुके हैं। हालांकि गुरुवार को भाव 14185 रुपये प्रति दस ग्राम रहा। इसी तरह मार्च 2008 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम 1032.8 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर को छू चुके हैं। गुरुवार को विदेश में सोना 914 डॉलर प्रति औंस पर रहा। 17 मार्च को जब घरेलू बाजार में सोने के दाम 13,391 रुपये प्रति दस ग्राम तक गये थे। उस समय अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 40.83 रुपये थी जो इस समय बढ़कर 48 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। इसी के चलते अभी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम 914 डॉलर प्रति औंस के स्तर पर होने के बावजूद घरेलू बाजार में दाम 14,500 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गए हैं।आसमान छूती दामों को देखते हुए ग्राहक खरीद के बजाय सोने के आभूषणों को बेचने में लगे हैं। इसी के कारण वर्ष 2008 रिजर्व बैंक के पास रिसाइकिल के लिए आने वाले सोने में बढ़ोतरी हुई है। बाम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि वर्ष 2008 में रिजर्व बैंक के पास रिसाइकिल के लिए करीब 300 टन सोना आया है जो पिछले वषरे में 200 टन के करीब ही होता था।दूसरी ओर सोने की मांग में आई कमी के चलते देश में इसका आयात काफी कम हो गया है। एसोसिएशन के अनुसार साल 2008 में सोने का आयात वर्ष 2007 के मुकाबले 43 फीसदी तक कम होकर 400 टन पर सिमट गया है। इस साल जनवरी में सिर्फ दो टन का आयात हुआ है जो पिछले साल की इसी अवधि में 18 टन हुआ था। दिल्ली के ज्वैलर फर्म जेटा भाई झावेरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विमल झावेरी ने बताया कि आभूषणों की मांग में आई भारी कमी के चलते व्यापारियों की ओर से सोने की मांग घट गई है। उसी का नतीजा है कि आयात में गिरावट आई है। इसके अलावा हाल के दिनों में सोने के दामों में जारी उतार चढ़ाव के चलते भी सोने के कारोबार में कमी आई है। आल इंडिया सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष शील चंद जैन ने बताया कि आसमान छूते दामों के चलते पहले ही सोने के आभूषणों की मांग में कमी आई थी। किंतु पिछले कुछ महीनों से सोने के दामों में जारी भारी उतार चढ़ाव के चलते कारोबार में भारी कमी आई है। (Business Bhaskar)
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