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06 जनवरी 2009

सीजन की पहली तिमाही में चीनी का उत्पादन बढ़ा

चालू सीजन के दौरान चीनी के उत्पादन में गिरावट की आशंका के बावजूद पहली तिमाही में उत्पादन मामूली बढ़ा है। पेराई का काम देर से शुरू होने के बावजूद उत्पादन में इजाफा हुआ है। चालू वर्ष में देश में करीब 200 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की संभावना है। जबकि पिछले साल यहां 265 लाख टन उत्पादन हुआ था। इस दौरान चीनी आयात पर सरकार विचार कर रही है। जिस पर लोकसभा चुनाव से पहले घोषणा हो सकती है। नेशनल फैडरशन ऑफ कोऑपरटिव शुगर फैक्ट्रीस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने बताया कि चालू सीजन में अक्टूबर से दिसंबर तक करीब 65 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान करीब 64.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। हालांकि सीजन के पहले दो महीनों के दौरान मिलों में काम कम हुआ। महाराष्ट्र में बारिश की वजह से पेराई करीब तीन सप्ताह देरी से शुरू हुई है। लेकिन दिसंबर के दौरान देश भर में मिलों में पेराई शुरू होने से उत्पादन बढ़ा है। ऐसे मे इस साल करीब 200 लाख टन चीनी का उत्पादन रह सकता है। इस दौरान सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद घरलू बाजारों में चीनी की कीमतों में बढ़त हुई है। जिसे लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि चीनी की बढ़ती कीमतों पर नकेल के लिए सरकार सभी तरह के विकल्पों पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इस साल अप्रैल-मई में लोक सभा चुनाव होने हैं। लिहाजा सरकार चीनी की कीमतों में किसी भी तरह की वृद्धि के खिलाफ है। ऐसे में चुनाव से पहले आयात से जुड़ा कोई फैसला किया जा सकता है। इस साल करीब अनुमानित उत्पादन और पिछले साल के करीब 90-110 लाख टन के बकाया स्टॉक के साथ पर्याप्त चीनी का स्टॉक रहने की संभावना जताई जा रही है। इसके बावजूद घरलू बाजारों में चीनी की कीमतें अंतरराष्ट्रीय भाव के मुकाबले ऊपर जा चुकी हैं। जानकारों का मानना है कि महज रॉ शुगर के आयात में रियायत दिए जाने से कीमतों में नरमी नहीं लाई जा सकती है। लिहाजा सरकार आयात को लेकर काफी संवेदनशील है। मौजूदा समय में घरलू बाजारों में चीनी का औसत भाव करीब 388-406 डॉलर प्रति टन है। जबकि वैव्श्रिक बाजारों में चीनी 325-340 डॉलर प्रति टन के औसत भाव पर बिक रही है। (Business Bhaskar)

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