06 जनवरी 2009
निर्यात में बढ़ोतरी और कमजोर स्टॉक के बावजूद जीरा नरम
चालू वित्त वर्ष में जीरे के निर्यात में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि उत्पादक मंडियों में जीरे का बकाया स्टॉक भी पिछले वर्ष के मुकाबले कम है। इन सबके बावजूद भी घरेलू बाजारों में जीरे के भावों में गिरावट का रुख देखने को मिल रहा है। जानकारों के अनुसार नई फसल की आवक से पहले स्टॉकिस्टों की बिकवाली से इसकी गिरावट को बल मिला है। नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी, तब तक जीरे की तेजी-मंदी काफी हद तक मौसम पर निर्भर करेगी।ऊंझा मंडी स्थित मैसर्स भाईमल टीकम लाल एंड कम्पनी के कुनाल शाह ने बताया कि जीरे का स्टॉक इस समय पांच से छ: लाख बोरी (एक बोरी 55 किलो) का ही बचा हुआ है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका स्टॉक करीब बारह लाख बोरी का बचा हुआ था। स्टॉक कम होने के बावजूद भी स्टॉकिस्टों की बिकवाली से जीरे के भावों में गिरावट का रुख बना हुआ है। बाजार में पैसे की तंगी होने के कारण स्टॉकिस्ट की बिकवाली ज्यादा आ रही है। पिछले दो महीने में उंझा मंडी में जीरे के भावों में करीब 400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। निर्यात क्वालिटी के जीरे के भाव घटकर 2040 रुपये और एवरेज क्वालिटी के जीरे के भाव 2000 प्रति 20 किलो रह गए हैं।कुनाल शाह ने बताया कि पिछले वर्ष देश में जीरे की पैदावार 25 लाख बोरी की हुई थी। चालू सीजन में सौराष्ट्र लाईन में जीरे का बुवाई क्षेत्रफल बढ़ा है लेकिन राजस्थान और उत्तर गुजरात में बुवाई में कुछ कमी आई है। नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी। चूंकि जीरे की फसल पर मौसम का प्रभाव जल्दी पड़ता है इसलिए आगामी दिनों में जीरे की तेजी-मंदी काफी हद तक मौसम पर निर्भर करेगी। अगर मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो जीरे के भावों में और भी गिरावट आ सकती है लेकिन अगर उत्पादक राज्यों में बारिश हुई या फिर लगातार कई दिनों तक मौसम खराब रहा तो फिर तेजी का रुख भी बन सकता है।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से नवंबर तक जीरे का निर्यात बढ़कर 27,300 टन का हो चुका है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात मात्र 16,520 टन का ही हुआ था। जीरा निर्यातक पंकज भाई पटेल ने बताया कि टर्की और सिरिया में जीरे की फसल खराब होने से भारतीय जीरे के निर्यात में बढ़ोतरी आई है। टर्की और सिरिया में नई फसल की आवक जून-जुलाई महीने में बनेगी, इसलिए अगले चार-पांच महीने भारतीय जीरे में निर्यातकों की मांग बराबर बनी रहने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय जीरे के भाव 2050 से 2100 डॉलर प्रति टन (एफओबी) चल रहे हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)
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