मुंबई January 14, 2009
पिछले साल का भंडार कम रहने के साथ मौजूदा सीजन में उत्पादन कम होने से काली मिर्च के भाव में तेजी दर्ज हुई है। पिछले पखवाड़े जहां इसकी वायदा कीमत 15 फीसदी चढ़ी, वहीं इसका हाजिर भाव भी 10 फीसदी बढ़ा है।
कारोबारियों और जिंस विश्लेषकों के मुताबिक, किल्लत के चलते इस सीजन में काली मिर्च की कीमत में मजबूती आएगी। सीजन की शुरुआत में प्रतिकूल मौसम के अलावा बीमारी के चलते इसके उत्पादन में कमी हुई है। भारतीय मसाला बोर्ड के चेयरमैन वी जे कुरियन ने बताया, ''देश में काली मिर्च की किल्लत हो गई है। इसका उत्पादन पिछले एक दशक में घटकर 80 हजार टन से 50 हजार टन रह गई है। इसका पर्याप्त भंडार न होना और बीमारी चिंता का सबब है। मौजूदा सीजन में तो इसका उत्पादन पिछले साल से भी कम रहने का आकलन है।'' उल्लेखनीय है कि वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आने वाला यह बोर्ड भारतीय मसालों के निर्यात की सर्वोच्च संस्था है। जानकारों का अनुमान है कि इस सीजन में काली मिर्च का उत्पादन 42 से 45 हजार टन के बीच रहेगा। एग्रीवाच कमोडिटीज की विश्लेषक सुधा आचार्य ने बताया कि फसल में देर होने और इसका भंडार 8 हजार टन के निचले स्तर तक चले जाने से इसकी कीमत में तेजी दर्ज की जा रही है। जनवरी-फरवरी से इसकी आवक तेज होने की उम्मीद है। हालांकि इसकी रोजाना आवक अभी 15-20 टन है। मालमू हो कि पिछले सीजन में इसी समय इसका भंडार 15 हजार टन के आसपास रहा था। कोच्चि के एक शीर्ष काली मिर्च निर्यातक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ''हमारे पास इतनी काली मिर्च नहीं है कि हम लंबे समय तक इसका निर्यात कर सकें। उल्टा अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए हमें वियतनाम और ब्राजील जैसे बड़े निर्यातकों से काली मिर्च का आयात करना पड़ता है।'' उनके मुताबिक, इस समय देश में काली मिर्च का भंडार 7 हजार टन है। इसकी सालाना घरेलू खपत 40 से 45 हजार टन के आसपास है। गौरतलब है कि काली मिर्च का कोई पौधा 12 साल तक फलता है। फिलहाल ज्यादातर पौधे इस सीमा के पार चले गए हैं, जिससे इसमें काफी रोग लग रहा है। ऐसे में सरकार से एक पैकेज की आस उत्पादकों को है। कुरियन के मुताबिक, सरकार किसानों के लिए एक पैकेज का विचार कर रही है, पर तय नहीं है कि यह कब लागू होगा कोच्चि के सूत्रों ने बताया कि इसकी खेती तेजी से किसानों के लिए अलाभकारी सौदे में बदल रही है। अपुष्ट रिपोर्टों से पता चलता है कि इस सीजन में कर्नाटक 25 हजार टन, केरल 12 से 14 हजार टन और तमिलनाडु 2 से 3 हजार टन काली मिर्च का उत्पादन कर सकता है। नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज में काली मिर्च का फरवरी अनुबंध मंगलवार को 3.6 फीसदी गिरकर 11,502 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।जिंस विश्लेषकों के मुताबिक, इसमें तेजी आने की उम्मीद है। फरवरी अनुबंध का तकनीकी समर्थन 11,190 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है।गिरती पैदावार का असर
मसाला बोर्ड ने माना-काली मिर्च की है किल्लतपिछले साल के 15,000 टन के मुकाबले इस बार 8,000 टन है भंडारसरकार किसानों के लिए पैकेज देने का विचार रही हैहाजिर भाव में 10 तो वायदा भाव में 15 फीसदी का उछाल
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