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05 जनवरी 2009

मौजूदा कोहरा और धूप सरसों की फसल के लिए अनुकूल

उत्तर भारत के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्यों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में सुबह-शाम घना कोहरा पड़ रहा है। दिन में धूप भी निकल रही है जो सरसों की फसल के लिए काफी फायदेमंद है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर आगामी आठ-दस दिनों में उत्पादक राज्यों में एकाध शीतकालीन वर्षा हो जाती है तो चालू सीजन में देश में सरसों की बंपर पैदावार हो सकती है।राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र भरतपुर के निदेशक डा. अरविंद कुमार ने बिजनेस भास्कर को बताया कि इस समय घने कोहरे के साथ धूप भी निकल रही है जोकि सरसों की फसल के लिए फायदेमंद है। तापमान तीन डिग्री से ऊपर रहे और धूप भी निकले तो फसल का विकास और आकार के लिहाज से दाना बढ़िया रहता है। सरसों की बुवाई का करीब 80-90 फीसदी काम इस साल पूरा हो गया था। फसल बुवाई के बाद 80 से 90 दिन गुजर चुके हैं। अब सरसों के पौधों में फलियों में दाने पड़ने शुरू हो गए हैं। चालू सीजन में अभी तक कहीं से भी फसल में बीमारी लगने की कोई सूचना नहीं है।उन्होंने बताया कि चालू बुवाई सीजन में सरसों के बुवाई क्षेत्रफल में करीब आठ लाख हैक्टेयर की बढ़ोतरी हुई तथा अभी तक लगभग सभी उत्पादक राज्यों में मौसम फसल के अनुकूल चल रहा है। जनवरी और फरवरी महीने में भी मौसम ने साथ दिया तो चालू सीजन में देश में सरसों की पैदावार बढ़कर 70 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले वर्ष देश में सरसों की पैदावार 58 लाख टन रही थी। कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर शिवाधर मिश्र ने बताया कि कोहरा रहित सिंचाई वाले क्षेत्रों में सरसों की फसल को काफी फायदा हो रहा है। इस समय मौसम फसल के अनुकूल है इसलिए सरसों की पैदावार में अच्छी बढ़ोतरी की संभावना है।कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी बुवाई आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में देश में सरसों की बुवाई 65.89 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसकी बुवाई 57.52 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। केंद्र सरकार ने चालू सीजन में सरसों की पैदावार का लक्ष्य 76.68 लाख टन का रखा है। दिल्ली के सरसों व्यापारी अशोक कुमार ने बताया कि पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना से इस समय सरसों में स्टॉकिस्टों की बिकवाली बनी हुई है।लहिया की आवक से भी सरसों की गिरावट को बल मिला है। पिछले पंद्रह दिनों में दिल्ली बाजार में सरसों के भावों में 150 रुपये और अलवर मंडी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आकर भाव क्रमश: 2890-2750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उन्होंने बताया कि जनवरी महीने के आखिर तक उत्पादक मंडियों में सरसों की आवक शुरू हो जाएगी तथा फरवरी महीने में आवक का दबाव बढ़ जाएगा। इसलिए आगामी दिनों में इसके भावों में अच्छी-खासी गिरावट की संभावना है। (Business Bhaskar......R S Rana)

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