कुल पेज दृश्य

04 जनवरी 2009

कीमतों में गिरावट से कपास निर्यात में तेजी की उम्मीद

अहमदाबाद : कपास की कीमतों में और गिरावट आई तो इसका निर्यात रफ्तार पकड़ सकता है। खरीफ सीजन में इसका दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। इसके बाद से अब तक कपास की कीमतें गिरकर 20,800 रुपए प्रति कैंडी (340 किलो) तक पहुंच गई हैं। इस दौरान एक कैंडी के भाव में 5,000 रुपए की कमी हुई है। निर्यातकों का मानना है कि अगर प्रति कैंडी की कीमत में 500-1,000 रुपए की और गिरावट आए तो निर्यात में उन्हें फायदा होगा। अभी भारतीय निर्यातक शंकर किस्म की कपास के लिए जो दाम मांग रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में वह यहां से 2-3 सेंट्स प्रति पौंड सस्ता है। ऐसे में अगर भारतीय बाजार में कपास की कीमतों में और कमी आती है तो निर्यातकों को फायदा हो सकता है। अभी कपास का भाव 20,800 रुपए प्रति कैंडी है, जो साल भर में सबसे कम है। भारतीय टेक्सटाइल मिलों ने अभी तक कपास की खरीदारी शुरू नहीं की है। मिलें अपनी फौरी जरूरत पूरी करने के लिए ही कपास खरीद रही हैं। वित्तीय संकट और खस्ताहाल बाजार की वजह से टेक्सटाइल कंपनियों ने यह रणनीति अपनाई है। यार्न और गारमेंट के कुछ सेगमेंट में निर्यात ऑर्डर कुछ सुधरा है। अगर यही हालात रहे तो आने वाले समय में कपास की कीमतों के बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। कपास निर्यातक गिल एंड कंपनी के अधिकारी सुधीर शाह का कहना है, 'निर्यात के लिहाज से कीमतें अभी भी काफी ऊंची हैं क्योंकि इस स्तर पर टेक्सटाइल मिलें अफ्रीका से कम दरों पर कपास का आयात कर सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति पौंड कपास की कीमत 59 सेंट्स चल रही हैं, लेकिन भारतीय निर्यातक 61 सेंट्स से कम दर पर कपास नहीं बेच सकते हैं।' उन्होंने बताया कि कपास का निर्यात तभी जोर पकड़ेगा, जब कीमतों में 1,000 रुपए प्रति कैंडी की गिरावट और आए। टेक्सटाइल मिलें तो कीमतों के 20,000 रुपए प्रति कैंडी तक पहुंचने की उम्मीद पाले हुए हैं। इसी भाव पर कपास की खरीदारी उनके लिए मुनाफे का सौदा होगी। हालांकि ब्रोकरों ने यह भी बताया कि कुछ निर्यातक कपास के स्टॉक के बारे में जानकारी मांग रहे हैं। अच्छी क्वालिटी के कपास को वह मौजूदा भाव पर खरीदने के लिए तैयार हैं। मौजूदा सीजन में मुख्य तौर पर बांग्लादेश और इंडोनेशिया को पहले ही 5-6 लाख बेल का निर्यात किया जा चुका है। हालांकि, चीन के बाजार में ज्यादा कपास नहीं जा रहा है। वहां पहले से ही कपास का अच्छा स्टॉक है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय टेक्सटाइल बाजार की बुरी हालत के चलते वहां के खरीदार अभी कपास नहीं खरीद रहे हैं। कपास ब्रोकर अरुण लाल का कहना है, 'अगर कीमतें 20,800 रुपए प्रति कैंडी तक पहुंची तो निर्यातक कपास की खरीदारी शुरू कर देंगे।' अभी कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रतिदिन 60,000-70,000 बेल खरीद रहा है, इस कारण कीमतों को समर्थन मिल रहा है। अगर सीसीआई खरीदारी बंद कर देता है तो कीमतें और नीचे जा सकती हैं। 31 दिसंबर 2008 तक सीसीआई ने देशभर से 42 लाख बेल की खरीदारी की है। वहीं, महाराष्ट्र कॉटन फेडरेशन ने नौ लाख बेल खरीदे हैं। (ET Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: