04 जनवरी 2009
तीन माह में तीस फीसदी ब़ढ़े दालों के दाम
नई दिल्ली। महंगाई की दर पिछले छह माह के निचले स्तर पर भले ही आ गई हो, लेकिन बाजार में इसके उलट कुछ दालों के दाम ३० फीसदी तक ब़ढ़ चुके हैं। अब इसे लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का चुनावी प्रयास कहें या उपभोक्ताओं के साथ छलावा कि कागजों में लगातार घट रही महंगाई का असर उपभोक्ताओं को बाजार में दिखाई नहीं दे रहा। हालांकि सरकार ने आम आदमी को सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा सस्ती दरों पर दालों की बिक्री शुरू कराई गई है। लेकिन इसका असर खुदरा बाजार में देखने को नहीं मिल रहा।केंद्र सरकार द्वारा आम उपभोक्ताओं को सस्ती दालें मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आयातित दालों पर १० रुपए और खाद्य तेल पर १५ रुपए प्रति किलो की छूट दिए जाने की व्यवस्था की गई है। इनमें उ़ड़द, अरहर और मटर आदि प्रमुख हैं। इस योजना के बावजूद आम उपभोक्ता महंगी दालें खरीदने के लिए मजबूर हैं। दालों के दामों में कमी नहीं आ पाने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि चालू वर्ष में सरकार ने दालों का समर्थन मूल्य ब़ढ़ाकर २५५० रुपए कर दिया है।कारोबारी सूत्रों का कहना है कि दालों के उत्पादन में आ रही गिरावट के चलते ऐसा हो रहा है। दिल्ली दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की मिलें अपनी क्षमता का ५० फीसदी तक उत्पादन ही कर पा रही हैं। वहीं उत्तर प्रदेश की कई दाल मिलों में आर्थिक मंदी के कारण उत्पादन बंद हो चुका है। इससे मंडियों में दालों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।कृषि मंत्रालय के अनुसार गत वर्ष दलहनों का उत्पादन १५१.१० लाख टन रहा था जबकि चालू वर्ष में दलहन उत्पादन का लक्ष्य १५५ लाख टन है। देश में दालों की वार्षिक खपत ब़ढ़कर १७८ लाख टन पहुंच गई है। इससे देश में दालों की खपत और उत्पादन में लगभग २५ से ३० लाख टन का भारी अंतर चल रहा है।देश में दलहनों का उत्पादन २३० से २४० लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में हो रहा है। अनुकूल मौसम के चलते १ जनवरी २००८ तक १२८.८० लाख हैक्टेयर से ज्यादा भूमि पर दलहनों की बिजाई हो चुकी है। इसमें चना की ८२.६८ लाख हैक्टेयर और मसूर की १५.१२ लाख हैक्टेयर की भागीदारी है। जो कि इसी समयावधि में गत वर्ष की तुलना में ८.०८ लाख हैक्टेयर ज्यादा है। उम्मीद की जा रही है कि चालू वर्ष में दालों की औसतन बिजाई समय से पूरी हो जाएगी। इसके बावजूद उपभोक्ताओं को दालें सस्ते दामों पर नहीं मिल रहीं। (Nai Dunia)
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