मुंबई April 25, 2011
आम बजट में ब्रांडेड आभूषणों पर 1 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने के प्रावधान के बाद 2 लाख करोड़ रुपये के घरेलू आभूषण बाजार में भ्रम बना हुआ है। आभूषण निर्माताओं द्वारा विरोध करने पर सरकार की तरफ से एक परिपत्र जारी किया गया था। इसके बावजूद अभी स्थिति साफ नहीं है।ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन (जीजेएफ) के चेयरमैन बछराज बामलवा के मुताबिक, 'सबसे बड़ी दिक्कत तो ब्रांडेड आभूषण की परिभाषा को लेकर है। यह परिभाषा 50 साल पुरानी है। इस परिभाषा के मुताबिक किसी भी कंपनी का नाम या कोई चिन्ह अगर उसके आभूषणों पर अंकित है तो उसे ब्रांडेड माना जाएगा और उस पर उत्पाद शुल्क लगेगा। इस परिभाषा के तहत उत्पाद शुल्क विभाग के हर अधिकारी को श्रेणी तय करने और शुल्क वसूलने का अधिकार मिला हुआ है।'यह परिभाषा इस उद्योग की मौजूदा स्थिति के अनुकूल नहीं है। आभूषण उद्योग उन आभूषणों को ब्रांडेड मानता है जो नॉन-ब्रांडेड श्रेणी से ज्यादा कीमत पर बिकते हों। आम तौर पर कई आभूषण निर्माता खास तरह के आभूषण विशेष चिन्ह के साथ बनाते हैं। बेंगलुरु के आभूषण विक्रेता विनोद हयाग्रिव ने बताया कि ब्रांडेड उत्पाद की खास पहचान, लोगों को आकर्षित करने की खास क्षमता और इसकी कीमत अधिक होती है।आजकल, आभूषण निर्मात अपने आभूषणों पर खास चिन्ह इसलिए अंकित कर देते हैं ताकि वापसी के वक्त वे आसानी से अपने यहां के आभूषणों की पहचान कर सकें। 2005 में सरकार ने ब्रांडेड आभूषणों पर 2 फीसदी उत्पाद शुल्क लगाए गए थे लेकिन 2008 तक इससे सिर्फ 16 करोड़ रुपये का ही राजस्व हासिल हो पाया। यह रकम सरकार द्वारा राजस्व उगाही में खर्च होने वाले रकम का 10 फीसदी थी। इसलिए सरकार ने 2009 में इसे हटा लिया।हयाग्रिव ने कहा, 'उत्पाद शुल्क सिर्फ विनिर्मित वस्तुओं पर लगता रहा है। इसे अब सरकार रिटेल पर भी लागू करना चाहती है। पर इस शुल्क को कम से कम 10 साल के लिए हटाया जाना चाहिए। तब तक उम्मीद है कि उद्योग इतना परिपक्व हो जाएगा कि ऐसे शुल्क चुका सके।'इस बीच फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) के आभूषण विभाग के अध्यक्ष और गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन मेहुल चोकसी की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल उत्पाद शुल्क हटाने के मसले पर मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मिलने वाला है। हयाग्रिव कहते हैं कि आभूषण उद्योग बहुत कम मुनाफे यानी 5 से 8 फीसदी पर काम कर रहा है और इतने कम मुनाफे पर दुनिया का कोई भी खुदरा कारोबार नहीं चल रहा। उनका कहना है कि शादी-विवाह के सीजन को देखते हुए सरकार को उत्पाद शुल्क हटा लेना चाहिए नहीं तो इस उद्योग पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि सोने और चांदी की कीमतों में तेजी के बावजूद भारत में आभूषण कारोबार बढ़ रहा है। (BS Hindi)
27 अप्रैल 2011
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