चंडीगढ़ April 19, 2011
भंडारण के मसले को सरकार काफी अहमियत दे रही है। देश में भंडारण की स्थिति और नए गोदामों की जरूरत का अध्ययन करने के लिए योजना आयोग के सदस्य डॉ. अभिजीत सेन की अध्यक्षता में गठित समिति अगले महीने अपनी रिपोर्ट देने वाली है। योजना आयोग के इन्फ्रास्ट्रक्चर विभाग ने भी खुले और छत वालेगोदाम बनाने को लेकर अध्ययन करने के लिए एक कंसल्टेंट मॉट मैक्डॉनल्ड को नियुक्त किया है। उम्मीद है कि यह रिपोर्ट भी जल्द ही आ जाएगी। इसके बाद इस खाद्य विभाग और भारतीय खाद्य निगम की राय मांगी जाएगी और फिर इसे सेन समिति के पास भेज दिया जाएगा। भारत सरकार का अनुमान है कि अनाज को सडऩे से बचाने के लिए देश भर में 20 लाख टन की भंडारण क्षमता विकसित करने की जरूरत है। गोदाम बनाने की जगह को लेकर सरकारी विभागों के बीच मतभेद है। सलाहकारों का मत है कि गोदाम उन राज्यों में बनाए जाने चाहिए जहां अनाज की खपत होती हो। वहीं अधिकारियों का मानना है कि उत्पादक राज्य में गोदाम बनने चाहिए। इनका तर्क है कि उत्पादक राज्य 3 से 4 हफ्ते में काफी अनाज खरीदता है और इसे इतने कम समय में खपत वाले राज्य में भेजना संभव नहीं है।भंडारण की समस्या को सुलझाने पर इसलिए भी खास तौर पर ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि इस साल रिकॉर्ड 2.63 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल यह 2.25 करोड़ टन था। अगर खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो जाता है तो वैज्ञानिक तरीके से अनाज का भंडार अनिवार्य हो जाएगा।भारत में अभी छत वाले गोदामों की भंडारण क्षमता 4.2 करोड़ टन है। पिछले कुछ साल में उत्पादन में हुई बढ़ोतरी की वजह से यह कम पड़ता जा रहा है। सार्वजनिक वितरण के लिए सरकार द्वारा खरीदे जाने वाले अनाज को छत वाले और खुले गोदामों में रखा जाता है। इसमें रखा हुआ अनाज खराब मौसम से प्रभावित होकर कई बार खाने लायक नहीं बचता। जबकि कोठी में रखा जाने वाले अनाज पर तापमान और खराब मौसम का असर नहीं पड़ता और यह लंबे समय तक उपभोग के लायक रहता है। निगम सूत्रों के मुताबिक 40 दिनों में पंजाब से तकरीबन 1 करोड़ टन गेहूं की सरकारी खरीद होने की उम्मीद है।रेलवे की अपनी सीमाएं होने की वजह से महीने में 10 लाख टन से ज्यादा अनाज दूसरे प्रदेश में नहीं ले जाया जा सकता। इसलिए गेहूं उत्पादक राज्यों में गोदाम बनाना ज्यादा उपयोगी होगा। भारत में सिर्फ अदाणी समूह ने पंजाब के मोगा और हरियाणा के कैथल में कोठी तैयार किए हैं। इनमें से हर की क्षमता 2 लाख टन है और इनमें गेहूं का भंडार किया जाता है। (BS Hindi)
22 अप्रैल 2011
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