13 अप्रैल 2011
नए मानकों से खली निर्यातक परेशान
मुंबई April 12, 2011 तय मानकों पर खरा नहीं उतरने की वजह से वियतनाम के खली आयातक भारत से भेजे जाने वाला खली वापस कर रहे हैं। इस वजह से सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने अपने 850 सदस्यों को यह सलाह दी है कि वे अपनी बुकिंग रणनीति में बदलाव करते हुए फ्री ऑन बोर्ड (एफओबी) पर इंश्योरेंस ऐंड फ्रेट (सीआईएफ) को वरीयता दें। एफओबी के तहत खरीदार को स्रोत देश में माल लदाई, स्थानीय माल ढुलाई, बीमा खर्च और माल रोकने का खर्च भी देना पड़ता है। जबकि सीआईएफ के तहत निर्यातक को माल लक्ष्य देश और संबंधित खरीदार के पास पहुंचाने तक खर्च वहन करना पड़ता है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने कहा, 'हमने अपने सदस्यों को एफओबी के आधार पर खली की कीमतें निर्धारित करने को कहा है और साथ ही यह भी कहा है कि वे वियतनाम के कारोबारियों से सौदा करते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरतें।Ó फरवरी अंत तक के दो महीने में वियतनाम को कोई खली निर्यात नहीं हुआ है। हालांकि, अब निर्यात शुरू तो हुआ है लेकिन दोनों पक्ष सावधानी बरत रहे हैं। महीने भर पहले वियतनाम के आयातकों ने खली में मिथाइल ब्रोमाइड की मात्रा अधिक होने की वजह से दो जहाज पर लदे माल को खरीदने से इनकार कर दिया था। यह फैसला दो महीने तक जहाजों को रोके रखने के बाद किया गया। इसके बाद निर्यातकों को कम कीमत पर अपना माल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था। मेहता का कहना है कि इससे भारतीय निर्यातकों को तकरीबन 5 लाख डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। भारत हर साल 8.5 लाख टन खली वियतनाम को निर्यात करता है। यह भारत के कुल खली निर्यात का 17 फीसदी है। भारत को इससे 2010-11 में 8,200 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। इस लिहाज से देखा जाए तो भारतीय खली निर्यातकों के लिए वियतनाम एक अहम देश बना हुआ है। कारोबारियों का मानना है कि अगर इस मसले का दोनों पक्षों ने मिलकर कोई समाधान नहीं निकाला तो पूरा निर्यात बाधित हो सकता है। मेहता ने कहा कि दूसरे वैकल्पिक बाजार उपलब्ध हैं लेकिन वियतनाम की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इस बीच एसईए ने इस समस्या के समाधान के लिए वाणिज्य मंत्रालय से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इस संगठन ने कहा है कि एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल वियतनाम भेजा जाए जिसमें वाणिज्य एवं खाद्य मंत्रालय के अधिकारी और इस उद्योग के जानकारों को शामिल किया जाए। हालांकि, अब तक मंत्रालय ने इस बारे में एसईए को कोई जवाब नहीं दिया है। एसईए के अध्यक्ष और कृषि प्रसंस्करण कंपनी फूड्स फैट्स ऐंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड सुशील गोयनका ने कहा कि हमें मंत्रालय से कोई जवाब नहीं मिला लेकिन हमें उम्मीद है कि सरकार मुद्दे की गंभीरता को समझेगी और प्रतिनिधिमंडल वियतनाम भेजेगी।50 लाख टन खली निर्यात की उम्मीद समाचार एजेंसी 'भाषाÓ ने एसईए के हवाले से खबर दी है कि यदि मॉनसून की स्थिति सामान्य रहती है तो भारत का खली का निर्यात चालू वित्त वर्ष में पिछले वर्ष के 50 लाख टन के स्तर के बराबर ही रहने की संभावना है। एसईए के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया, 'हमें 7,000 से 8,000 करोड़ रुपये मूल्य के 45 से 50 लाख टन खली निर्यात की उम्मीद है। पिछले वित्त वर्ष में भी इतना ही निर्यात हुआ था।Ó एसईए ने पहले कहा था कि पिछले वित्त वर्ष में भारत का खली निर्यात 57 प्रतिशत बढ़कर 50.7 लाख टन का हो गया, जो उससे पूर्व वर्ष में 32.2 लाख टन था। इस वृद्धि का कारण खाद्य तेल की अधिक कीमत का होना, पेराई का बेहतर मार्जिन और दक्षिणपूर्व एशिया से मांग का होना था। एसईए ने कहा कि मूल्य के हिसाब से 2010-11 में कुल निर्यात 59 प्रतिशत बढ़कर 8,220 करोड़ रुपये का हो गया जो उसके पिछले वित्त वर्ष में 5,176 करोड़ रुपये का था। मेहता ने कहा कि कुछ परेशानियों के कारण वियतनाम जैसे देशों को निर्यात प्रभावित हुआ लेकिन कुल मिलाकर स्थिति अनुकूल है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें