वेयरहाउस रिसीट को निगोशिएबल बनाने से अब व्यापारी या किसान बैंकों और वित्तीय संस्थानों से गोदामों में रखे माल के एवज में आसानी से लोन ले सकेंगे। अब तक किसानों और व्यापारियों को गोदाम में रखे माल के एवज में लोन लेने में दिक्कत आती थी।
-बाबूलाल गुप्ता अध्यक्ष, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ सुविधा :- बैंकों को इस तरह की निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स पर ज्यादा भरोसा रहेगा। किसान इन रिसीट्स के एवज में बैंकों से आसानी से लोन पा सकेंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लिक्विडिटी बढ़ेगी।क्या है प्रक्रिया व लाभकिसी गोदाम में स्टोर किए गए कृषि उत्पाद या कमोडिटी के एवज में जारी की जाती हैं निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स इन वेयरहाउस रिसीट्स को निगोशिएबल के रूप में जारी किया जाता है, इसलिए इसके बदले में बैंकों से लोन लिया जा सकता है निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स को दूसरे किसानों को बेचा भी जा सकता है, ऐसे में इसका लाभ भी मिलेगा किसानों को निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स के तहत किसी गोदाम में स्टोर किए गए कृषि उत्पाद के मालिकाना हक को ट्रांसफर किया जा सकता हैदेश के किसानों एवं व्यापारियों के लिए अच्छी खबर है। आवश्यक धन के इंतजाम की खातिर किसानों को अब अपने कृषि उत्पादों को अंधाधुंध बेचने की जरूरत नहीं है। दरअसल, सरकार ने मंगलवार को निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स सिस्टम लांच कर दिया। इससे किसानों के साथ-साथ व्यापारियों को भी बैंकों से लोन मिलने में आसानी होगी।
गौरतलब है कि निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स के तहत किसी गोदाम में स्टोर किए गए उससे जुड़े कृषि उत्पाद या कमोडिटी के मालिकाना हक को ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके लिए उस कमोडिटी को गोदाम से कहीं ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। चूंकि इन वेयरहाउस रिसीट्स को निगोशिएबल के रूप में जारी किया जाता है, इसलिए उन्हें गिरवी रखकर बैंकों से लोन लिया जा सकता है।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामला मंत्री के.वी. थॉमस ने निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स को लांच करने के बाद बताया, 'बैंकों को इस तरह की निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स पर ज्यादा भरोसा रहेगा। किसान इन रिसीट्स के एवज में बैंकों से आसानी से लोन पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स को लांच कर दिए जाने से किसानों द्वारा पंजीकृत वेयरहाउस में स्टोर किए जाने वाले कृषि उत्पादों के एवज में लोन देने के लिए बैंक आगे आ सकते हैं। थॉमस ने कहा कि निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स की लांचिंग से ग्रामीण क्षेत्रों में लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ेगी।
इसके अलावा विभिन्न कृषि उत्पादों की वेयरहाउसिंग वैज्ञानिक ढंग से करने के लिए किसान प्रेरित होंगे। वेयरहाउस रिसीट्स को वेयरहाउस (विकास व नियमन) एक्ट, 2007 के तहत निगोशिएबल बनाया जाता है। वहीं, वेयरहाउस रिसीट्स का नियमन वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) करती है।
थॉमस ने बताया, 'छोटे एवं सीमांत किसानों को 11' की ऊंची ब्याज दर पर लोन मिलता है जिससे उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मैं इस मसले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठा चुका हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि आगे चलकर फसल ऋण की तरह कटाई बाद प्रबंधन कर्ज भी 4 फीसदी की रियायती ब्याज दर पर मिलने लगेगा।
उन्होंने कहा कि फसल कटाई बाद मिलने वाले लोन से किसान अपने उत्पादों को कम ब्याज दर पर वेयरहाउस यानी गोदामों में रखने के लिए प्रोत्साहित होंगे। थॉमस ने यह भी कहा कि देश में विश्वस्तरीय वेयरहाउसिंग सुविधाएं यानी गोदाम बनाने की सख्त जरूरत है क्योंकि एफसीआई द्वारा उत्तरी राज्यों में बड़ी मात्रा में खरीदा गया गेहं खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है।
इस बीच, वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन दिनेश राय ने बताया कि वेयरहाउस बनाने के लिए राज्यों में आवश्यक जमीन पाना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट्स को गैर कृषि उत्पादों के लिए भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
दिनेश ने बताया कि वेयरहाउस डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी को अब तक विभिन्न राज्यों से 11 लाख टन की वेयरहाउसिंग क्षमता हासिल करने के लिए 318 आवेदन मिले हैं। ये तमाम आवेदन वेयरहाउसिंग एक्ट के तहत पंजीकरण के लिए मिले हैं। (Business Bhaskar)
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