मुंबई April 26, 2011
एक ओर जहां खाद्य पदार्थों की कीमतों में भले ही थोड़ी बहुत नरमी देखने को मिली हो, लेकिन महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है क्योंकि बढ़ती गर्मी के साथ दूध की कीमतें एक बार फिर बढऩे वाली हैं। लागत में बढ़ोतरी से जूझ रहे संगठित दुग्ध उत्पादक एक बार फिर कीमतों में बढ़ोतरी की योजना बना रहे हैं और अगले महीने के आखिर तक 1 से 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। गर्मी के मौसम में गेहूं के भंडारण और परिवहन की लागत बढ़ गई है। संगठित क्षेत्र के अग्रणी उत्पादक मसलन अमूल ब्रांड के नाम से दूध बेचने वाले गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) और मुंबई में महानंद ब्रांड के नाम से दूध बेचने वाली कंपनी महानंद डेयरी ने इस महीने की शुरुआत में दूध की कीमतें 1 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी है। ये कंपनियां एक बार फिर दूध की कीमतें बढ़ाने की योजना बना रही हैं। मौजूदा समय में महानंद के गाय के दूध की बिक्री 28 रुपये प्रति लीटर पर होती है।असंगठित क्षेत्र के उत्पादकों (डेरी चलाने वाले) ने इस महीने दो चरणोंं में दूध की कीमतें 6 रुपये प्रति लीटर बढ़ा चुकी हैं। इस महीने की शुरुआत में दूध बेचने वालों ने 2 रुपये का इजाफा किया था और सोमवार से उसने 4 रुपये प्रति लीटर की और बढ़ोतरी कर दी। इस तरह दूध 42 रुपये प्रति लीटर पर मिल रहा है। नैशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की चेयरमैन डॉ. अमृता पटेल ने कहा - ग्रामीण व शहरी लोगों के बढ़ती आमदनी की वजह से दूध की मांग में हो रही बढ़ोतरी को डेयरी उद्योग देख रहा है, ऐसे में अनाज के उपभोग के साथ-साथ सब्जियों, दूध और मांस की खपत भी बढ़ रही है। ऐसे समय में किसान चारे की बढ़ती कीमत व दूसरी लागत से जूझ रहा है और इस लागत को पाटने के लिए ज्यादा कीमत की मांग कर रहा है।डॉ. पटेल के मुताबिक, भारत में प्रति पशु 800-1000 लीटर सालाना दूध का उत्पादन होता है, जबकि वैश्विक औसत 7000-8000 लीटर सालाना है। चूंकि ज्यादातर दूध वैयक्तिक स्रोत से आता है, जिसके पास पशुधन में सुधार की खातिर निवेश के लिए साधन नहीं होता है। डॉ. पटेल ने कहा कि दूध उत्पादन में कॉरपोरेट के प्रवेश से समस्या का समाधान हो सकता है।दूसरा, भारतीय किसान चारे की उपलब्धता में 150 लाख टन की कमी झेल रहे हैं, इस वजह से उन्हें कम गुणवत्ता वाले चारे का इस्तेमाल करना पड़ता है। चारे की उपलब्धता में कमी के चलते इसकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। चारे की कीमतें अस्थायी रूप से हालांकि 2 फीसदी कम हुई हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि देश भर में बारिश शुरू होने के बाद इसमें बढ़ोतरी होगी।इस बीच, पशुचारे के तौर पर इस्तेमाल होने वाले शीरे की कीमतों में बढ़ोतरी हो गई है और यह एक महीने पहले के 2700-2800 रुपये प्रति टन के मुकाबले 3400-3600 रुपये प्रति टन पर पहुंच गया है। महानंद डेयरी के एक अधिकारी ने कहा - हमने 17 फरवरी को दूध की कीमतें 1 रुपये प्रति लीटर तब बढ़ाई थी जब सरकार ने खरीद कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया था। बाकी बढ़ोतरी 6 अप्रैल को की गई। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, पशुचारे के तौर पर इस्तेमाल होने वाले अरंडी की कीमतें तीन महीने में बढ़कर 5400 रुपये प्रति टन हो गई हैं जबकि पहले यह 4900 रुपये प्रति टन थी। इस बीच, भारत में दूध की मांग 60 लाख टन प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रही है जबकि पिछले दस साल से उत्पादन में सालाना बढ़ोतरी करीब 35 लाख टन की रही है। दूध की जरूरतों को देखते हुए साल 2021-22 में इसके 1800 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। (BS Hindi)
29 अप्रैल 2011
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