मौसम विभाग ने इस साल सामान्य मानसून रहने की भविष्यवाणी की है हालांकि मध्य अप्रैल तक मौसम में नमी बने रहना और तापमान का नहीं बढ़ना देश में समय पर मानसून के प्रवेश की दिशा में कुछ बाधा उत्पन्न कर सकता है.
मानसून में बाधा उत्पन्न होने के बारे में पूछे जाने पर मौसम विभाग के महानिदेशक अजीत त्यागी ने कहा, ‘अभी इस विषय पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन यदि कुछ समय ऐसा ही मौसम रहा तो कुछ प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि अभी अप्रैल है और गर्मी आयेगी.’
उन्होंने कहा, ‘हमने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में कम गर्मी पड़ेगी.’ नमी भरे मौसम एवं अपेक्षाकृत कम तापमान के कारण मानसून प्रभावित होने से किसानों के समय पर बुवाई नहीं होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा, ‘इस साल सामान्य मानसून रहेगा. अभी जरूर गर्मी नहीं आई है लेकिन मई-जून में गर्मी पड़ेगी और वर्षा होगी. मानसून आने पर किसान बुवाई करेंगे जिसके बारे में वैज्ञानिक आकलन सामान्य रहने की उम्मीद है.’
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर केरल में मानसून एक जून तक प्रवेश करता है और दिल्ली में इसका 29 जून को प्रवेश होता है. दक्षिण पश्चिम मानसून 2011 के आकलन को पेश करते हुए बंसल ने कहा कि जून से सितंबर तक देश में सामान्य मानसून रहेगा जो जिसका दीर्घावधि प्रतिशत (96 से 104) रहने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि दीर्घावधि प्रतिशत अगर 90 से कम होता है तो कम वर्षा की आशंका रहती है. बंसल ने कहा कि मात्रात्मक रूप में इस वर्ष दीर्घावधि प्रतिशत के रूप में देशभर में 98 प्रतिशत वर्षा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि मौमस विभाग जून 2011 में मानसून के बारे में एक और पूर्वानुमान जारी करेगा.
मंत्री ने कहा कि 2009 में सामने आये अल निनो प्रभाव के कमजोर होने के बाद उत्पन्न ला निना प्रभाव भी अब कमजोर हो रहा है जो जून 2011 तक जारी रहेगा. इसके बाद यह ‘एन्सो’ स्थिति (अप्रभावी स्थिति) में तब्दील होगा. एन्सो स्थिति और हिन्द महासागर में तापमान जैसे कारकों का भारत में मानसून पर प्रभाव पड़ता है.
उन्होंने कहा कि हिन्द महासागर में हाल की घटनाओं के कारण कमजोर नकारात्मक डाइपोल उत्पन्न होने की संभावना है हालांकि इसका भारत में मानसून पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. इससे पहले, मौसम विभाग ने अन्य वर्षों की तुलना में इस साल कम गर्मी पड़ने और चिलचिलाती धूप वाले दिनों की संख्या कम होने की भविष्यवाणी की थी.
मौसम विभाग (आईएमडी) कहा था कि जहां तक अप्रैल में गर्मी का प्रश्न है, पूरे उत्तर भारत में अप्रैल माह में तापमान 38 से 40 डिग्री सेल्सियस बने रहने की उम्मीद है. देश के पूर्वी हिस्से में तापमान सामान्य से एक से दो डिग्री कम रहेगा जबकि कुछ क्षेत्रो में यह 3 से 4 डिग्री कम होगा.
प्रायद्वीपीय एवं मध्य भारत में तापमान सामान्य बना रहेगा. त्यागी ने मानसून पर विभिन्न कारकों के प्रभाव के बारे में कहा, ‘प्रशांत महासागर में ला नीनो और अल नीनो प्रभाव का मानसून पर असर पड़ता है. पिछले ला निनो का देश में मानसून पर अच्छा प्रभाव पड़ा था. ला नीनो प्रभाव अब कमजोर हो रहा है लेकिन यह मई-जून तक जारी रह सकता है. आने वाले मानसून पर हालांकि इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.’ (Aaj Tak)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें