कोलकाता April 28, 2011
आप चाहें तो गुरुवार का दिन चांदी के नाम कर सकते हैं, जब 27 मार्च 1980 को हंट बंधुओं द्वारा की गई कालाबाजारी के चलते इसकी कीमतें धराशायी हो गई थीं या फिर इसे एक बेहतरीन मौके के रूप में देख सकते हैं क्योंकि खुदरा निवेशकों के बीच चांदी सबसे ज्यादा लोकप्रिय जिंसों में से एक के रूप में मशहूर हो गई है। पिछले एक साल में चांदी की कीमतें 140 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं और अप्रैल 2010 के 27000 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले यह अप्रैल 2011 में 66,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है।इसके अलावा वैश्विक संकेतों मसलन कमजोर डॉलर और अमेरिकी सरकार द्वारा जारी मात्रात्मक सहजता (नकदी झोंकने) ने घरेलू बाजार में चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी की है। बुधवार को फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नान्के ने संकेत दिया था कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक मौद्रिक पैकेज जारी रखेगा और ब्याज दरों को शून्य के करीब रखेगा। इसके परिणामस्वरूप वायदा बाजार में गुरुवार को चांदी में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 71,290 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।उच्च प्रतिफल से आकर्षित होकर खुदरा निवेशक चांदी में जमकर खरीदारी कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि इसकी कीमतें और बढ़ेंगी। इस समय न सिर्फ शेयर बाजार में निवेश करने वाले बल्कि वेतनभोगी वर्ग भी चांदी में आई तेजी में हाथ आजमा रहे हैं। चांदी के डीलरों का कहना है कि पिछले एक महीने में सिल्वर बार में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पंरपरागत रूप से ग्रामीण इलाकों में मौजूद लोग सिल्वर बार के सबसे बड़े उपभोक्ता होते हैं, लेकिन इस समय शहरी बाजार इस धातु की मांग बढ़ा रहा है।मई 2010 में एचडीएफसी बैंक ने 50 ग्राम वाले सिल्वर बार की बिक्री शुरू की थी और इस महीने बैंक ने 95 किलोग्राम से ज्यादा चांदी की बिक्री की। (BS Hindi)
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