चंडीगढ़ April 21, 2011
बेहतर मॉनसून, अनुकूल मौसम और अच्छी कीमतों के चलते उत्तर भारत के दो राज्यों पंजाब व हरियाणा में कपास का रकबा बढऩे की संभावना है। अधिकारियों के मुताबिक, अनुकूल परिस्थितियों के चलते दोनों राज्यों में रकबे में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। पंजाब-हरियाणा में कपास की बुआई सामान्यत: अप्रैल के आखिरी हफ्ते में शुरू होती है। हरियाणा के अधिकारियों के मुताबिक, इस साल यहां कपास के रकबे का लक्ष्य 5.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है जबकि पिछले साल 4.92 लाख हेक्टेयर था। पिछले कुछ सालों से हरियाणा में कपास के रकबे का लक्ष्य 6 लाख हेक्टेयर रखा जाता रहा है जबकि यह सिर्फ 1990 के दशक में एक बार हासिल हुआ था। इस बार लक्ष्य को संशोधित कर 5.5 लाख हेक्टेयर कर दिया गया है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इस बार कपास का रकबा कई वजहों से लक्ष्य को पार कर जाएगा।पिछले साल सूखे की वजह से कपास का रकबा कम हुआ था। लंबे समय तक सूखे के चलते किसान सिंचाई का इंतजाम करने लगे थे, लेकिन भूजल का गिरता स्तर एक अन्य समस्या थी। हालांकि पिछले मॉनसून से बारिश की स्थिति में सुधार हुआ है और इस साल भी मॉनसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की गई है।पंजाब और हरियाणा के किसानों ने पिछले साल कपास की फसल के अच्छा मुनाफा हासिल किया है। कपास की आधिकारिक कीमतों के मुताबिक, इसमें 100 फीसदी की उछाल आई है और किसानों को 7000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला है। अधिकारियों को उम्मीद है कि बेहतर रकम के चलते दोनों राज्यों के कपास उत्पादक इसके रकबे में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसी तरह पंजाब ने पिछले साल 4.83 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुआई का लक्ष्य हासिल किया था।पवार ने की निर्यात सीमा बढ़ाने की वकालतकपास की घटती कीमतों को देख केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने एक बार फिर से इसके अधिकतम 55 लाख गांठ की निर्यात सीमा को हटाने की बात उठाई है। एक गांठ में 170 किलोग्राम कपास होता है।अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में पवार ने कहा है कि कपास निर्यात की सीमा को नहीं बढ़ाए जाने की वजह से किसानों को उनकी फसल का उचित रिटर्न नहीं मिल रहा है। इस महीने की शुरुआत में भी पवार ने यह मांग की थी। चालू सीजन के लिए सरकार ने 55 लाख गांठ निर्यात की सीमा तय कर रखी है।हालांकि, घरेलू कीमतें बढऩे का तर्क देकर कपड़ा मंत्रालय निर्यात सीमा हटाने का विरोध करता रहा है। वहीं पवार का कहना है कि इस साल पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी अधिक यानी 3.39 करोड़ टन कपास उत्पादन की संभावना है, ऐसे में निर्यात करने के लिए पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त कपास उपलब्ध है। (BS Hindi)
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