मुंबई April 29, 2011
कपास का उत्पादन बढऩे और निर्यात कोटा नहीं बढ़ाने से इस महीने कपास की कीमतों में 11 फीसदी तक की गिरावट आई है। गिरावट और रकबा बढऩे की खबर से स्टॉकिस्टों में बेचैनी बढऩे लगी है। इस वजह से स्टॉकिस्ट अपना माल बाजार में बेचना शुरू कर सकते हैं। गिरावट के बावजूद बीच-बीच में स्टॉकिस्टों की लिवाली और मुनाफावसूली के चलते कपास में उतार-चढ़ाव दिखते रहते हैं। इस हफ्ते के पहले कारोबारी दिन में कपास की कीमतें चढ़ीं तो अगले दिन इसके भाव गिरे।बुधवार को वायदा कारोबार में कपास की कीमतों में एक बार फिर कमी आई। एनसीडीईएक्स में कपास का अप्रैल अनुबंध 3 फीसदी की गिरावट के बाद 893 रुपये प्रति 20 किलोग्राम पर पहुंच गया है जबकि इस महीने की शुरुआत में यह 1236 रुपये प्रति 20 किलोग्राम पर था। हाजिर बाजार में शंकर 6 कपास की कीमत प्रति क्विंटल 15,400 रुपये और डीसीएच 32 प्रति क् िवंटल 21,000 रुपये पर चल रही है जो इस महीने की शुरुआत में क्रमश: 17,294 रुपये और 23,340 रुपये प्रति क्विंटल थी। इंडियन कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष किशोरी लाल झुनझुनवाला कहते हैं कि इस साल कपास के अच्छे उत्पादन को देखते हुए अनुमान था कि सरकार निर्यात कोटा बढ़ाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कारोबारियों ने इसी उम्मीद में जमकर खरीदारी कर ली। अब निर्यात कोटा बढऩे के आसार नहीं होने से स्टॉकिस्टों को घरेलू बाजार में माल बेचना पड़ेगा। किशोरी लाल कहते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा उत्पादन और कैरी फॉरवर्ड स्टॉक ज्यादा होने से बाजार में कपास सरप्लस रहेगा। उनकी राय में बीटी कॉटन के बीजों के भाव बढऩे का भी असर नहीं पडऩे वाला है क्योंकि बीजों की बिक्री का कारोबार बहुत कम होता है। इस बार सरकार ने 55 लाख गाठ कपास निर्यात करने की छूट थी। कारोबारी इस सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जबकि कपड़ा कारोबारी निर्यात पर रोक की मांग कर रहे हैं। कपास की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से कपड़ों के दाम भी बढ़े हैं। ऐंजल ब्रोकिंग में कमोडिटी विशेषज्ञ वेदिका नार्वेकर के अनुसार फिलहाल कपास के कीमतों में बढ़त की गुंजाइश नहीं दिख रही है। सरकारी एजेंसियों के अनुसार सीजन के अंत में 27.40 लाख गांठ का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक बचेगा। (BS Hindi)
30 अप्रैल 2011
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