06 अप्रैल 2011
आम आदमी की जेब की पहुंच से बाहर हुआ फलों का राजा
मुंबई April 04, 2011 फलों के राजा आम पर एक बार फिर से मौसम की मार पडऩे की आशंका है। आमों के बादशाह हापुस (अल्फांसो) के दाम देखकर तो यही लगता है कि अब आम, आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चली है। आममान छूते दाम की वजह बेमौसम बारिश से उत्पादन कम होना बताई जा रही है। फिलहाल बाजार में आमों के बादशाह हापुस की औसत कीमत 700 रुपये दर्जन चल रही है। पर अच्छी बात यह है कि गुजरात में बंपर फसल की वजह से आम मई के अंत तक आम आदमी की पहुंच में आ सकता है। अपने बेहतरीन जायके के लिए याद किए जाने वाले हापुस की थोक मंडी एपीएमसी में एक पेटी की कीमत 1,000 से 5,000 रुपये के बीच चल रही है। एक पेटी में चार दर्जन आम होते हैं। पिछले साल इस समय हापुस 800 से 3,000 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से बिक रहा था। इस समय थोक बाजार में औसतन हर दिन 3,000 पेटी आमों की आवक हो रही है। इसके बावजूद पिछले साल की अपेक्षा आवक कमजोर बताई जा रही है। एपीएमसी अधिकारियों के अनुसार पिछले साल मार्च में करीब 3 करोड़ पेटी हापुस आम आए थे जबकि इस बार अभी तक तकरीबन 60 लाख पेटी ही मंडी तक पहुंच पाए हैं। हापुस समेत इस समय बाजार में आम की पांच किस्में आ रही हैं। किलोग्राम के हिसाब से थोक बाजार में हापुस आम के दाम 150-300 रुपये, लालबाग आम 40-70 रुपये, पियु 40-60 रुपये, बदामी 40-70 रुपये और तोतापुरी 45-65 रुपये बताए जा रहे हैं। खुदरा बाजार में हापुस 250-600 रुपये और दूसरे आम 100-200 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि इस साल आम सबकी पहुंच में होगा क्योंकि गुजरात में आम की बंपर फसल होने की खबर मिल रही है। जिसकी आवक मई से बाजार में होने लगेगी। गुजरात से आने वाले आमों का ही असर है कि पिछले 15 दिनों में हापुस को छोड़कर दूसरे किस्म के आमों की कीमतों में करीबन 20-25 फीसदी की गिरावट हुई है। राष्ट्रीय कृषि संस्थान से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार इस साल हापुस का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 3.4 लाख हेक्टेयर हो गया है और फसल खराब होने की बात सही नहीं है। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस बार उत्पादन पिछले साल के 17.7 लाख टन की अपेक्षा 20 लाख टन रहने का अनुमान है। किसानों और हापुस के कारोबारियों की राय सरकारी दावों के उलट है। हापुस आम की सबसे ज्यादा पैदावार करने वाले इलाके कोंकण के रत्नागिरि जिले के अलावा रायगढ़, देवगढ़, सिंधुदुर्ग और ठाणे में फसल कमजोर बताई जा रही है। किसानों के अनुसार इस साल शुरुआत में पेड़ों में बौर खूब आए, बौर लंबे थे जिनको देखकर अधिकारियों ने उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान लगा दिया जबकि उनको यह नहीं पता कि लंबे बौरों में ज्यादा फल नहीं लगते हैं। इन इलाकों में अक्टूबर में अधिक ठंड और नवंबर-दिसंबर में बारिश होने के कारण हापुस की फसल प्रभावित हुई है और अब मार्च से ही बढ़ता तापमान हापुस को परेशान कर रहा है। बेमौसम बारिश के कारण पहले आम तैयार होने में देरी की आशंका जताई जा रही थी लेकिन तापमान बढऩे की वजह से किसानों को अंदेशा है कि आम को ज्यादा दिनों तक रोकने में मुश्किल होगी। जिससे अगले 15-20 दिनों में हापुस की कीमतों में तेजी से गिरावट देखने को मिल सकती है लेकिन इसकेबाद दोबारा हापुस के दाम एक नया रिकॉर्ड इस साल बना सकते हैं। (BS Hindi)
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