13 अप्रैल 2011
सरकारी अनाज खरीद पीपीपी मॉडल पर हो
नया विचारकिसान सस्ते में गेहूं बेचने को मजबूर नहीं होंगेसरकार को भी पीपीपी मॉडल से मिलेगा फायदाएफसीआई कई क्षेत्रों में अनाज खरीद करने में नाकामकृषि मूल्य एवं लागत आयोग (सीएसीपी) ने सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से खाद्यान्न की खरीद में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ निजी क्षेत्र का सहयोग लिया जाना चाहिए। सीएसीपी के चेयरमैन अशोक गुलाटी ने बताया कि जब गोदाम बनाने में निजी क्षेत्र की मदद ले रहे है तो अनाज खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी क्यों नहीं हो सकती है। आयोग ने यह विचार सरकार को विचार करने के लिए भेजा है। एफसीआई के समक्ष प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए पीपीपी मॉडल आवश्यक है। एफसीआई देश के कई हिस्सों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कृषि उपजों की खरीद नहीं कर पा रही है। गुलाटी ने कहा कि अनाज की खरीद में निजी क्षेत्र की भागीदारी से न सिर्फ किसानों को अपनी उपज एमएसपी पर बेचने की सुविधा मिल सकेगी बल्कि इससे सरकारी स्तर पर अनाज के भंडारण की समस्या भी दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह किसान को तय करने दिया जाए कि वे किसे अपनी उपज बेचना चाहते हैं। सरकार अनाज की खरीद का काम प्राइवेट कंपनियों जैसे आईटीसी, हरियाली किसान बाजार, टाटा और बिड़ला की एग्री कंपनियों को दे सकती है। इसके अलावा इफ्को और नेफेड जैसे सहकारी संगठनों के जरिये भी खरीद की जा सकती है। सीएसीपी ने कृषि मंत्रालय को भेजी अपनी हाल की रिपोर्ट में इसका सुझाव दिया है। 1965 में स्थापित सीएसीपी प्रमुख कृषि उपजों की मूल्य नीति पर सुझाव देने के लिए वैधानिक संस्था है। गुलाटी ने निजी क्षेत्र की कंपनियों को अनाज खरीदने की अनुमति उन्हीं शर्तों पर देने की सिफारिश की है, जिन शर्तों पर एफसीआई खरीद करती है। उन्होंने कहा कि अगर निजी क्षेत्र की कंपनियां एफसीआई के मुकाबले बेहतर काम करती हैं और कम खर्च पर अनाज की खरीद कर पाती हैं तो इससे सरकार को फायदा होगा। सरकार को सिर्फ अनाज की वह लागत देनी होगी, जिस लागत पर वह एफसीआई को भुगतान करती है। इसके बाद सरकार अपनी जरूरत के मुताबिक देश में कहीं भी अनाज ले सकती है। इस समय अनाजों की खरीद सरकार की ओर से एफसीआई करती है। सरकार हर साल करीब 550 लाख टन गेहूं और चावल की खरीद देशभर में करीब 14,000 सेंटरों से करती है। गुलाटी के अनुसार एफसीआई कई हिस्सों में अभी भी खरीद नहीं कर पाती है। इस वजह से तमाम किसानों को सस्ती दरों पर अनाज खुले बाजार में बेचना पड़ता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में किसान 1,020 रुपये प्रति क्विंटल पर गेहूं खुले बाजार में बेचने को मजबूर हैं, जबकि गेहूं का सरकारी खरीद मूल्य 1,120 रुपये प्रति क्विंटल है। अगर कहीं गेहूं का भाव एमएसपी से कम चल रहा है, तो निश्चित ही सिस्टम में कहीं गंभीर समस्या है। (Business Bhaskar)
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