13 अप्रैल 2011
दक्षिण और पश्चिम भारत की ओर खिसक रही है कपास
विजयवाड़ा April 11, 2011 मध्य भारत और दक्षिणी राज्यों में एक ओर जहां कपास का उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उत्तर भारत के राज्यों में धीरे-धीरे इसमें गिरावट आ रही है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास के उत्पादन में धीरे-धीरे कमी आ रही है। देश के पश्चिमी इलाके में स्थित राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में पिछले तीन साल के दौरान लगातार इसमें महत्वपूर्ण बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मध्य भारत में साल 2008-09 के दौरान 61.21 लाख हेक्टेयर रकबे में 170 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ, साल 2009-10 में यहां 67.32 लाख हेक्टेयर रकबे में 176 लाख गांठ कपास की पैदावार हुई जबकि 2010-11 में 72.6 लाख हेक्टेयर में कपास की कुल पैदावार 202.17 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में साल 2008-09 में 19.16 लाख हेक्टेयर में कुल 67 लाख गांठ कपास की पैदावार हुई, वहीं साल 2009-10 में कुल रकबा 20.24 लाख हेक्टेयर था और 66 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ। साल 2010-11 में कुल रकबा 23.36 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया और कुल पैदावार 82.54 लाख गांठ की रही। उत्तर भारत के इलाकों में कपास का रकबा और उत्पादन दोनों ही पिछले तीन साल में लगातार गिरा है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान ने साल 2008-09 में 39 लाख गांठ कपास का योगदान किया और कुल रकबा 12.85 लाख हेक्टेयर रहा। इसी तरह साल 2009-10 में कुल रकबा 14.87 लाख हेक्टेयर था और 40 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ। साल 2010-11 में 36.77 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ और कुल रकबा था 12.29 लाख हेक्टेयर। यह पूछे जाने पर कि मध्य व दक्षिण भारत में कपास के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी की क्या वजह है, आंध्र प्रदेश कपास संघ के अध्यक्ष जी. पुनैय्या चौधरी ने कहा कि कपास की ऊंची कीमतों की वजह से किसानों ने कपास का रुख कर लिया है। इसके अलावा बीटी कपास की खेती में ज्यादा पैदावार व कम जोखिम की वजह से किसान दूसरी फसलों को छोड़कर कपास का रुख कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश के किसान मूंगफली, मिर्च और अन्य मसालों की खेती छोड़कर कपास का रुख कर रहे हैं, वहींं गुजरात के किसान भी मूंगफली व दलहन की फसल को छोड़कर कपास की खेती करने लगे हैं। महाराष्ट्र में भी किसान सोयाबीन और सूरजमुखी की खेती छोड़कर कपास की खेती करने लगे हैं। कपास उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र अग्रणी स्थान बनाए हुए है और यहां साल 2008-09 में कपास का रकबा 31.42 लाख हेक्टेयर को पार कर गया था। महाराष्ट्र में साल 2010-11 में कपास का रकबा बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। इसमें गुजरात दूसरे स्थान पर है और साल 2008-09 में यहां कपास का रकबा 23.54 लाख हेक्टेयर था, जो साल 2010-11 में बढ़कर 26.2 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। तीसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है, जहां कपास का रकबा बढ़ रहा है। कपास उत्पादक राज्यों में तमिलनाडु सबसे निचले पायदान पर है, जहां साल 2010-11 में कुल रकबा 1.6 लाख हेक्टेयर था। हालांकि कुल उत्पादन के मामले में गुजरात दूसरे राज्यों के मुकाबले आगे है और साल 2008-09 में यहां 90 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था जबकि साल 2010-11 में यह बढ़कर 106.82 लाख गांठ पर पहुंच गया। साल 2009-10 में मामूली गिरावट को छोड़कर आंध्र प्रदेश का योगदान भी बढ़ रहा है, जहां कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कुल उत्पादन एक लाख गांठ कम रहा था। साल 2008-09 में राज्य में कुल 53 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था और साल 2010-11 में यह बढ़कर 65.68 लाख गांठ पर पहुंच गया। रकबे के लिहाज से भी आंध्र प्रदेश में पिछले तीन साल के दौरान बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कपड़ा मिलों की संख्या में बढ़ोतरी और निर्यात की वजह से किसान गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कपास की खेती को अपना रहे हैं। (BS Hindi)
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