नई दिल्ली January 01, 2009
पिछले आठ हफ्तों से लगातार गिर रही महंगाई दर से लोगों को थोड़ी राहत मिली है। इसका असर खाने की थाली पर भी देखा जा रहा है।
कीमतों को देखकर लगता है कि वर्ष 2008 के मुकाबले 2009 के दौरान खाने में कम खर्च होगा। बात चाहे गेहूं की हो या चावल या फिर तेल की, सबके दाम गिर रहे हैं।गेहूं : फिलहाल सरकार के पास करीब 196 लाख टन गेहूं का स्टॉक है। आगामी रबी फसल के लिए भी गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले अधिक की गई है। अब तक 250 लाख हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक मात्र 244 लाख हेक्टेयर जमीन पर ही गेहूं बोया गया था। ऐसे में आगामी सीजन में भी गेहूं की बंपर फसल की उम्मीद है। अनाज मंडी में गेहूं की कीमत 1150-1175 रुपये प्रति क्विंटल है। स्टॉक व आगामी फसल के अनुमान को देखते हुए गेहूं के दाम में कोई बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।चावल : दिसंबर माह तक सरकार 137 लाख टन चावल खरीद चुकी है, जबकि माना जा रहा है कि खरीदारी के मामले में पिछले साल के 284 लाख टन के स्तर को सरकार पार कर लेगी। गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदी के कारण सभी किस्म के चावलों के दाम लगातार गिर रहे हैं। पूसा 1121 के भाव में दीपावली से लेकर अबतक 20 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट हो चुकी है, वहीं परमल चावल की कीमत 1530 रुपये प्रति क्विंटल से 1450 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई है। बासमती चावल के निर्यात पर प्रति किलोग्राम 8 रुपये के शुल्क के कारण बासमती के दाम में गिरावट का रुख जारी है।वनस्पति तेल : वनस्पति तेल पिछले एक साल के अपने न्यूनतम स्तर पर चल रहा है। गत मई-जून के दौरान 62 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला पाम तेल 30 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच चुका है। वहीं सोयाबीन तेल 70 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 46 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। इन तेलों की कीमत में बढ़ोतरी की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।चीनी : चीनी का उत्पादन घरेलू स्तर पर कम होने के साथ विश्व स्तर पर भी पिछले साल के मुकाबले कम होने का अनुमान है। भारत में इस साल मात्र 200 लाख टन चीनी के उत्पादन की संभावना है, जबकि सालाना घरेलू खपत लगभग 235 लाख टन की है। सरकार के पास मात्र 80 लाख टन का स्टॉक है जो पर्याप्त नजर नहीं आ रहा है। चीनी के विश्व उत्पादन में इस साल 5 फीसदी की गिरावट होने जा रही है जबकि खपत में 2 फीसदी की बढ़ोतरी होने जा रही है। ऐसे में सरकार चीनी का आयात भी करती है तो कम कीमत पर चीनी मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। चीनी की कीमत लगातार बढ़ोतरी के साथ 2000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर चुकी है और इस बढ़ोतरी पर ब्रेक लगने की कोई उम्मीद नहीं है।आलू : आलू की बंपर फसल के कारण 2-3 रुपये प्रति किलो के दाम आलू की बिक्री हुई। लेकिन आगामी मार्च-अप्रैल के लिए वायदा भाव को देखते हुए आलू 5 रुपये प्रति किलो पहुंच सकता है। (BS Hindi)
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