अहमदाबाद January 01, 2009
रकबा और कीमतों में हुई बढ़ोतरी के बीच 2008-09 के दौरान देश में सरसों उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है।
तेल-तिलहन उद्योग के कारोबारियों का अनुमान है कि इस साल देश में सरसों का उत्पादन करीब 70 लाख टन रहेगा। कृषि मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2007-08 में सरसों का कुल रकबा 57 लाख हेक्टेयर रहा। वहीं 2008-09 में इस आंकड़े में करीब 25 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है।गुजरात के कारोबारी दिनेश त्रिवेदी ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया, ''सरसों का रकबा 2008-09 में 25 फीसदी बढ़ने जा रहा है। इस चलते सरसों के उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने का आकलन है।''खाद्य तेल उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक, 2008-09 में सरसों का उत्पादन 70 लाख टन रहने का आकलन है। पिछले साल देश में सरसों का उत्पादन 58 लाख टन रहा था। हाजिर बाजार में सरसों की कीमत इस साल 550 रुपये से बढ़कर 640 रुपये प्रति 20 किलोग्राम हो गई। अहमदाबाद के एक अन्य कारोबारी ने बताया कि इसकी वजह पिछले सीजन में सरसों का कम उत्पादन होना रहा है। 2006-07 में उत्पादन 74.4 लाख टन रहा था। सरसों का रकबा 2006-07 में करीब 70 लाख हेक्टेयर रहा है। डीसा में रहने वाले त्रिवेदी ने बताया, ''उत्तरी गुजरात के कई किसानों ने सरसों की ऊंची कीमत के मद्देनजर सरसों की खेती का रुख किया है। इतना ही नहीं राज्य के उत्तरी इलाकों में आलू की खेती से हुए भारी नुकसान के मद्देनजर भी लोगों का रुख सरसों की खेती की ओर हुआ है। बताया जा रहा है कि उत्तरी गुजरात में सैकड़ों किसानों ने आलू उगाना छोड़ सरसों उपजाना शुरू कर दिया है। इसके चलते भी सरसों का रकबा बढ़ा है।''उल्लेखनीय है कि पिछले साल गुजरात में सरसों का रकबा 45 लाख टन रहा था। हालांकि तुलनात्मक लिहाज से गुजरात की हिस्सेदारी कम ही है पर इस राज्य में प्रति हेक्टेयर सरसों का उत्पादन बहुत ज्यादा है। इस बीच गुजरात के कारोबारियों की चिंता है कि कोहरे की वजह से सरसों की फसल को नुकसान पहुंच सकता है। कारोबारियों ने बताया, ''जनवरी के मध्य में उत्पादन की पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।'' (BS Hindi)
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