मुंबई January 01, 2009
वाणिज्य मंत्रालय के नियंत्रण में गठित भारतीय काजू निर्यात संवर्द्धन परिषद (सीईपीसीआई) ने काजू निर्यात की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है।
परिषद की योजना है कि 2020 तक काजू का निर्यात बढ़ाकर दोगुने से भी अधिक कर दिया जाए। तब तक काजू का निर्यात 120 फीसदी बढ़ाकर 2.75 लाख टन करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया जाएगा।सीईपीसीआई द्वारा 'विजन-2020' के लिए तय किए गए कई लक्ष्यों में से निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य एक है। उल्लेखनीय है कि हाल में परिषद ने 'विजन-2020' की घोषणा की है और मंगलोर में अपना कार्यालय खोला है। इस योजना के लिए सीईपीसीआई के चेयरमैन जी गिरिधर प्रभु को संयोजक बनाया गया है। परिषद ने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए दुनिया के 120 देशों में सामान निर्यात की योजना तय की है। प्रभु ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ''अभी हमलोग दुनिया के 60 देशों में काजू का निर्यात कर रहे हैं। लेकिन लक्ष्य रखा गया है कि करीब एक दशक यानी 11 साल में इस संख्या को बढ़ाकर दोगुना कर दिया जाए।परिषद ने इस लक्ष्य को पाने के लिए हर देशों के हिसाब से अलग-अलग रणनीति तय कर रही है। उम्मीद है कि अगले एक साल में एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर ली जाएगी, ताकि निर्यात बढ़ाने के उपाय किए जा सकें।'' मालूम हो कि फिलहाल देश से कोई 1.25 लाख टन काजू का निर्यात किया जा रहा है। बहरहाल 2.75 लाख टन काजू का निर्यात करने के लिए करीब 19 लाख टन कच्चे काजू गिरी का उत्पादन करना होगा। फिलहाल भारत में 5 लाख टन से कुछ ज्यादा काजू गिरी का उत्पादन और इतनी ही मात्रा का आयात हो रहा है। अब इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने के लिए देश को काजू गिरी का उत्पादन बढ़ाकर दोगुने से ज्यादा करना होगा। ऐसा करने के लिए खेती की आधुनिक तकनीक अपनाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत काजू की खेती पठारी इलाकों में करने की बजाय बागानों में करने पर जोर दिया गया है। प्रभु ने कहा, ''हमें काजू की खेती और ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से करने की जरूरत है। इसके लिए ज्यादा उपज देने वाले काजू के पौधों को लगाना होगा।'' इस कार्यक्रम के तहत, एक 'अप्रोच पेपर' और एक रोडमैप तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि निर्यात लक्ष्य आसानी से पाया जा सके।सीईपीसीआई इस प्रस्ताव में सारे हिस्सेदारों मसलन उत्पादक, संवर्द्धक, राज्य और केंद्र सरकार, अनुसंधान संस्थान और उपभोक्ताओं को शामिल करेगा, ताकि उत्पादन, उत्पादकता और मुनाफे में इजाफा हो सके। उन्होंने बताया कि यह अप्रोच पेपर सारे लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा।प्रभु के अनुसार, ''उच्च उत्पादकता वाले पौधे लगाकर काजू की मौजूदा उत्पादकता 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 2 टन प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा जाना चाहिए। राष्ट्रीय काजू अनुसंधान केंद्र (एनआरसीसी) इस लक्ष्य को पाने के लिए काजू की किस्में लॉन्च करने जा रहा है। हमें चाहिए कि काजू को पठारी और बंजर जमीनों में उगाने की बजाय अब बागानों में उगाया जाए।''नैशनल हॉर्टीकल्चर मिशन (एनएचएम) ने काजू की उत्पादकता बढ़ाने के लिए काफी फंड इकट्ठा किया है। इस फंड का उपयोग किसानों के द्वारा किया जाना है। प्रभु ने बताया कि किसानों में एनएचएम कार्यक्रम के तहत एक जागरुकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। उनके मुताबिक, 'विजन-2020' के तहत एक उपयोगी कार्यक्रम चलाया जाएगा। (BS Hindi)
02 जनवरी 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें