12 जनवरी 2009
चांदी में हो सकता है सुधार
शेयर बाजार और रियल्टी क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के साथ इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर आक्रमण की वजह से आयात में कमी ने एक बार फिर चांदी में चमक की उम्मीद जगाई है। हालांकि पिछले सप्ताह में चांदी के भावों में मामूली गिरावट देखी गई है। लेकिन पिछले एक महीने के दौरान घरलू बाजार में चांदी के भावों में सात फीसदी से ज्यादा का सुधार हुआ है।अमरीकी अर्थव्यवस्था को लेकर जारी नई रिपोर्ट के कारण पिछले सप्ताह न्यूयार्क मर्केटाइल एक्सचेंज के कोमेक्स डिवीजन में मार्च वायदा चांदी के भाव 1.5 फीसदी घटकर 11.32 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुए। इस कारण मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में भी मार्च वायदा चांदी 18952 से उतरकर 18702 रुपए किलो रह गए। लेकिन हाजिर बाजार में चांदी के भावों में लगभग स्थिरता का रुख रहा और जयपुर में चांदी हाजिर के भाव बिना किसी घटबढ़ के 18400 रुपए और दिल्ली में मामूली सुधार के साथ 18450 रुपए किलो पर बंद हुए। लेकिन पिछले एक महीने में हाजिर और वायदा दोनों में ही चांदी के भावों में सात फीसदी से ज्यादा का सुधार हुआ है। चांदी में सुधार का प्रमुख कारण आयात में कमी को माना जा रहा है।इसके अलावा शेयर बाजार और रियल्टी क्षेत्र की मंदी ने भी चांदी की चमक लौटाने में मदद की है। इन सबको देखते हुए विशेषज्ञ भी अब चांदी में सुधार की संभावना व्यक्त कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष जुलाई में भारत में चांदी के भाव 26250 रुपए किलो के स्तर तक पहुंचने के बाद साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर में 16500 रुपए किलो तक उतर गए थे। हालांकि इसके बाद चांदी फिर सुधार के रास्ते चली और आगे भी चांदी में सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। यह भी महत्वपूर्ण है कि चांदी की औद्योगिक मांग निकलने के साथ 14 जनवरी के बाद ब्याह-शादियों का सीजन शुरू हो जाएगा। यह सब इस बात को पुख्ता करते हैं कि चांदी की चमक लौट सकती है। चूंकि चांदी के भाव अमरीकी बाजार से चलते हैं, इसलिए अमरीकी वायदा बाजार कोमेक्स में उतार-चढाव बहुत मायने रखता है। लेकिन भावों का मौजूदा स्तर ऐसा है कि इसमें अब ज्यादा गिरावट की संभावना कम दिखाई देती है। चांदी में पिछले दिनों आई गिरावट की वजह वैश्विक मंदी ही है। खासतौर पर अमरीका में मंदी से चांदी में निवेश घटा है। साथ ही मंदी के कारण घरलू बाजार में भी कीमती धातुओं की मांग कमजोर होने से सोने में सुधार की तुलना में चांदी में सुधार कम हुआ है। वैसे अब ब्याह-शादी व मांगलिक कार्य जल्दी ही शुरू होने से कीमती धातुओं में मांग निकलने की उम्मीद है।विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी का मौजूदा स्तर औद्योगिक खरीदारों के लिए उचित है। यही वजह है कि अब औद्योगिक उपयोग के लिए चांदी की मांग निकल रही है। इसके अलावा चांदी की खपत जेवरों के साथ फोटोग्राफी में भी होती है। चांदी उत्पादक देशों में मैक्सिको, पेरू, अमरीका और आस्ट्रेलिया प्रमुख है लेकिन भारत में चांदी का आयात चीन, ब्रिटेन, दुबई और सीआईएस देशों से ज्यादा होता है। उत्पादक देशों में इस समय चांदी का पर्याप्त स्टॉक होने के साथ भाव भी कम है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें