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12 जनवरी 2009

कृषि अनुसंधान संस्थानों में 2500 वैज्ञानिकों की कमी

घोषित तौर पर कृषि क्षेत्र सरकार के एजेंडा में भले ही सबसे ऊपर हो लेकिन इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों की जबर्दस्त कम कुछ और ही कहानी बयान कर रही है। कृषि क्षेत्र के प्रति सरकार की उदासीनता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के विभिन्न संस्थानों में कृषि वैज्ञानिकों के करीब 38 फीसदी करीब 2500 पद खाली हैं। सरकार इन पदों को भरने के लिए मंजूरी नहीं दे रही है।आईसीएआर कृषि अनुसंधान और विकास के लिए काम करने वाला देश का सर्वोच्च संस्थान है। देश में इसके 47 संस्थान है। इन संस्थानों में कृषि, पशुपालन और मछली पालन संबंधी के क्षेत्र में अनुसंधान का काम होता है। देश में आईसीएआर के अधीन कृषि क्षेत्र में काम कर रहे विभिन्न अनुसंधान संस्थानों में कुल 6500 कृषि वैज्ञानिक के पद हैं।इनमें से 2500 पद खाली पड़े हैं। आईसीएआर के अंतर्गत काम करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) में भी वैज्ञानिकों की भारी किल्लत है। यह संस्थान देश के प्रमुख कृषि अनुसंधान संस्थानों में सबसे ऊपर गिना जाता है। वैज्ञानिकों की कमी स्वीकार करते हुए आईएआरआई के निदेशक एस. ए. पाटिल ने बताया कि इस समस्या से अनुसंधान का काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। आईएआरआई में इस समय वैज्ञानिकों के कुल स्थान 680 है, जिनमें से 280 पद खाली पड़े हुए हैं। देश के उत्तर-पूर्व के संस्थानों में और भी बुरा हाल है। वहां पर वैज्ञानिकों के लगभग 50 फीसदी पद खाली पड़े हुए है। राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में आने वाले कृषि विश्वविद्यालयों में भी स्थिति चिंताजनक है। कृषि वैज्ञानिकों की इस कमी की वजह से कृषि क्षेत्र के तमाम प्रोजेक्ट रुके हुए हैं। कई प्रोजेक्टों पर काम बीच में ही रुक गया है। इस संबंध आईसीएआर के तमाम संस्थानों के लिए वैज्ञानिकों की भर्ती करने वाले कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) के चेयरमैन सी. डी. मायी ने बात की गई तो उन्होंने बताया कि आईसीएआर को सालाना 380 नए वैज्ञनिकों की आवश्यकता होती है लेकिन सरकार से इतने वैज्ञानिकों की भर्ती के लिए मंजूरी नहीं मिलती है। इस समय सरकार की मंजूरी के अनुरूप बोर्ड हर साल केवल 250 नए वैज्ञानिकों की ही भर्ती कर रहा है। यही वजह है कि वैज्ञानिकों के खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में कुल 800 नए वैज्ञानिकों (जूनियर व सीनियर मिलाकर) की भर्ती की गई। मायी बताते है कि अपवाद स्वरूप कुछ खास क्षेत्रों के लिए विदेशों से भी वैज्ञानिक भर्ती किए गए। (Business Bhaskar)

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