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15 जनवरी 2009

चीनी पर सरकारी दावों की खुली पोल, भाव में भारी तेजी

नई दिल्ली : चीनी की कीमतों को लेकर सरकारी दावों की हवा निकल गई है। जनवरी के बाद से दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में चीनी के दाम में पांच से आठ फीसदी की तेजी आई है। देश के दूसरे इलाकों में भी चीनी की कीमतों में मिलाजुला रुख नहीं दिख रहा। हालांकि, सरकार यही दावा कर रही है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद जनवरी 2008 के बाद से चीनी की कीमतों में तेजी बनी हुई है। देश के कुछ इलाकों में तो पिछले साल की शुरुआत के मुकाबले चीनी के दामों में 50 फीसदी का उछाल आ चुका है। आम चुनाव से पहले सरकार का इरादा चीनी की कीमतों पर लगाम लगाए रखने का है। इस वजह से सरकार जल्द ही कच्ची चीनी के आयात पर फैसला लेगी। अगर यह कदम उठाया गया तो देश में चीनी की सप्लाई बढ़ जाएगी। इसके अलावा को-ऑपरेटिव चीनी मिलों के पास काम भी बढ़ेगा, जो 2008-09 सीजन में कम गन्ने की पैदावार के चलते संकट में हैं। साल 2009 में चीनी के दाम में तेजी है, हालांकि यह बहुत ज्यादा नहीं है। इस साल एक जनवरी से नौ जनवरी के बीच कोलकाता में इसकी थोक कीमत में प्रति क्विंटल 120 रुपए की तेजी आई है। समान अवधि में मुंबई में चीनी 156 रुपए प्रति क्विंटल महंगी हुई है, वहीं दिल्ली में चीनी के दाम में सिर्फ 40 रुपए क्विंटल का ही इजाफा हुआ है। साल 2008 के आखिरी दिनों और नए साल की शुरुआत में दाम इस वजह से बढ़े क्योंकि इसके उत्पादन में कमी की आशंका जताई गई। चीनी वर्ष 2008-09 में पहले 220 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान था, जिसे बाद में घटाकर 180 लाख टन कर दिया गया। वैसे चढ़ती कीमतों को कम करने में सरकार के कुछ फैसलों ने अहम भूमिका निभाई। सरकार ने 31 दिसंबर को रिलीज ऑर्डर (आरओ) के नियम को फिर से शुरू किया, जबकि पहले के आदेश में चीनी के निर्यात को आसान बनाया जाने की बात कही गई थी। एग्री कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल जनवरी में मुंबई में चीनी के थोक मूल्य में 50 फीसदी, कोलकाता में 45 फीसदी और दिल्ली में 46 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। (ET Hindi)

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