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15 जनवरी 2009

दरकने लगा है कृषि जिंसों का वायदा कारोबार

नई दिल्ली January 14, 2009
खाद्यान्न कीमतों में कमी की आशंका से इस बार सटोरियों ने भी बाजार से मुंह मोड़ लिया है। ऐसे में खाद्यान्न के वायदा कारोबार में लगातार गिरावट आ रही है।
कई कृषि जिंस तो ऐसी भी हैं, जो कई बार वायदा एक्सचेंज में खाता भी नहीं खोल पा रहीं। वैसे इन दिनों मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में मात्रा और मूल्य दोनों ही लिहाज से तांबा, सोना, चांदी, जिंक, कच्चा तेल, सीसा, निकल आदि जिंसों का बोलबाला है। लेकिन इन सक्रिय जिंसों की सूची में एक भी कृषिगत जिंस नहीं है। हालांकि, आलू का वायदा कारोबार अन्य कृषिगत जिंसों के मुकाबले काफी सकारात्मक दिख रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, मूल्य के दृष्टिकोण से सोने ने सबको पीछे छोड़ दिया है। एमसीएक्स में बुधवार को सोने का कारोबार 17 अरब 25 करोड़ रुपये का रहा। 6 अरब 37 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ तांबा दूसरे स्थान पर रहा। जिंस विशेषज्ञों के मुताबिक, फिलहाल गैर-कृषि जिंसों की बदौलत ही वायदा एक्सचेंज चल रहे हैं। कृषिगत जिंसों के कारोबार में तो 30 फीसदी से भी अधिक की गिरावट हो चुकी है। मसाले में भी एक-दो जिंसों को छोड़ दें तो इनका कारोबार भी ठंडा पड़ा हुआ है। उनके मुताबिक, जिन 4 पूर्व प्रतिबंधित जिंसों का वायदा कारोबार दिसंबर में दोबारा शुरू किया गया, उनमें सिर्फ आलू का वायदा कारोबार ही ठीक चल रहा है। पाम तेल का वायदा कारोबार भी कीमत के लगातार कम होने से सिकुड़ रहा है। पिछले मंगलवार को आगामी 31 जनवरी के लिए कच्चे पाम तेल का वायदा कारोबार महज 15.70 क्विंटल का और 31 मार्च के लिए मात्र 10 किलोग्राम का रहा। कारोबारियों के मुताबिक, बाजार की तेजी के दौरान सीपीओ का वायदा कारोबार कम से कम 30 क्विंटल रोजाना का होता था। एनसीडीईएक्स में 20 जनवरी के लिए चने का कारोबार मात्र 157 टन का रहा। गौरतलब है कि एनसीडीईएक्स कृषि जिंसो का सबसे बड़ा वायदा एक्सचेंज है। कपास के वायदा कारोबार में तो सटोरियों की कोई दिलचस्पी ही नहीं रह गयी है। एनसीडीईएक्स में मंगलवार को कपास का कोई वायदा कारोबार नहीं हुआ। वहीं एमसीएक्स में 30 अप्रैल के लिए कपास का वायदा कारोबार मात्र 8.7 लाख रुपये का रहा। इस समय मक्के का वायदा कारोबार भी काफी मंदा चल रहा है। एमसीएक्स में मंगलवार को 15 जनवरी और 14 फरवरी के कारोबार के लिए मक्का तो खाता भी नहीं खोल सका। वहीं एनसीडीईएक्स में 20 जनवरी के लिए मात्र 11 टन और 20 फरवरी के लिए 17 टन का कारोबार हो सका। एनसीडीईएक्स अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा हालत को देखते हुए सरकार को गेहूं और चावल के वायदा कारोबार पर लगी पाबंदी खत्म कर देनी चाहिए, ताकि आगामी रबी फसल के लिए गेहूं के किसानों को अच्छी कीमत मिल सके। (BS Hindi)

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