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16 जनवरी 2009

महंगाई घटी, पर घर खर्च जस का तस

सरकारी फाइलों में भले ही महंगाई की दर तेजी से घट रही हो, लेकिन आम गृहिणी की रसोई का बजट ज्यों का त्यों बना हुआ है। वास्तव में थोक बाजार में कई वस्तुओं की कीमतों में पिछले तीन महीने में कमी तो आई है, लेकिन कटौती का यह फायदा खुदरा कीमतों पर अभी तक नहीं पड़ा है।महंगाई की सरकारी दर (मुद्रास्फीति) 13 सितंबर 2008 को 12.14 फीसदी पर थी और यह घटती हुई अब 5.24 फीसदी पर आ गई। इसकी मुख्य वजह थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में खाद्य पदार्थो का वेटेज कम और मैन्युफैक्चर्ड वस्तुओं का वेटेज ज्यादा होना है। पिछले दिनों मैन्युफैक्चर्ड वस्तुओं की ही मांग और कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट आई है। वैसे भी सरकार किसी भी जिंस के न्यूनतम भाव बताती है। एक लीटर फुल क्रीम दूध का भाव 26 रुपये है जबकि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों में टोंड दूध के भाव 21 रुपये प्रति लीटर दर्ज हैं।मोटा अनुमान है कि एक मध्यमवर्गीय परिवार में पति-पत्नी और दो बच्चों का रसोई खर्च 2300 से 2500 रुपये प्रति माह बैठता है। कीमतों में उतार-चढ़ाव पर गौर करें तो चना दाल के भाव पिछले तीन महीने में दो रुपये किलो की गिरावट के साथ इस समय 35 रुपये पर चल रहे हैं। मूंगफली तेल व वनस्पति घी की कीमतें क्रमश: आठ और सात रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 110 और 55 रुपये पर हैं। इसी तरह आलू पांच रुपये के आसपास बिक रहा है। लेकिन प्याज की कीमतों में 10 रुपये की तेजी आई और भाव 20-25 रुपये तक पहुंच गए। चाय की कीमतें 11 रुपये की तेजी के साथ 144 रुपए प्रति किलो पर हैं। इस दौरान परमल चावल के भाव दिल्ली फुटकर में 22 रुपये, गेहूं दड़ा 13 रुपये, आटा 14 रुपये प्रति किलो के स्तर पर टिके रहे।फेडरशन ऑफ दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता के मुताबिक थोक बाजार में भाव घटने का असर खुदरा कीमतों में दिखने में थोड़ा समय लग जाता है। वैसे भी पैकेट पर किसी भी जिंस के दाम (एमआरपी) ज्यादा छपे होते हैं। जब तक दुकानदार का पहले वाला माल बिक नहीं जाता जब तक वह भाव नहीं घटाता है। अब रबी फसलों की आवक के बाद ही रसोई खर्च में कटौती की उम्मीद है। केंद्र सरकार का रबी सीजन में गेहूं उत्पादन का अनुमान 785 लाख टन, सरसों 76 लाख टन और चने के उत्पादन का अनुमान 62 लाख टन का है। इस समय सरकारी गोदाम गेहूं से भरे पड़े हैं, चने का भी स्टॉक बचा हुआ है, खाद्य तेलों के आयात में अक्टूबर से दिसंबर-08 में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले भारी बढ़ोतरी भी हुई है।मुद्रास्फीति घट कर 5.24 प्रतिशतनई दिल्ली। मुद्रास्फीति की दर लगातार 10वें सप्ताह गिरती हुई 3 जनवरी को समाप्त हफ्ते में 5.24 फीसदी के स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उल्लेखनीय कमी से ही महंगाई की दर में और गिरावट संभव हुई है। एक सप्ताह पहले मुद्रास्फीति की दर 5.91 फीसदी थी, जबकि एक साल पहले यह 4.26 फीसदी थी।मुद्रास्फीति की मौजूद दर पिछले 11 महीनों में सबसे कम है। अगस्त 2008 में महंगाई दर बढ़कर 12.91 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि मार्च 2009 तक मुद्रास्फीति की दर और घटकर महज 3 से 4 फीसदी के स्तर पर आ जाएगी। आर्थिक मामलों के सचिव अशोक चावला ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, हमें महंगाई दर में और गिरावट आने का भरोसा है।गत 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य वस्तुओं के सूचकांक में 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। फल-सब्जियों के दामों में तीन फीसदी की गिरावट आई। इसी तरह चना, जौ तथा मसालों की कीमतों में भी एक-एक फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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