कोलकाता January 02, 2009
शुक्रवार को घोषित राहत पैकेज की दूसरी किस्त कुछ जिंसों मसलन स्टील, सीमेंट, जस्ता और फेरो अलॉय की मांग कुछ हद तक बढ़ा सकती है, लेकिन इसमें अभी बहुत कुछ और किया जाना बाकी है ताकि ये सेक्टर पटरी पर लौट सके।
टीएमटी सरिया पर काउंटरवेलिंग डयूटी (सीवीडी) की छूट से विदेश से आयातित माल की कीमत और घरेलू बाजार में मौजूदा कीमत की खाई पाटने में काफी हद तक मदद मिलेगी।राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के निदेशक (वाणिज्य) सी. जी. पाटिल के मुताबिक, आयातित टीएमटी सरिया की कीमत 26 हजार रुपये प्रति टन है ।जबकि घरेलू बाजार में इसकी कीमत 32 हजार रुपये प्रति टन है। अब सरकार ने जो राहत दी है उससे इसकी कीमत की खाई में करीब 3 हजार रुपये प्रति टन का फर्क रह जाएगा।उन्होंने कहा कि यह राहत बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं होगी, ऐसे में सरकार को आयात कर वर्तमान 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर देना चाहिए। उन्होंने कहा आयात कर में बढ़ोतरी का विस्तार वॉयर रॉड में भी किया जाना चाहिए। सरकार ने जस्ता और फेरो अलॉय पर मूल रूप से लगने वाले सीमा शुल्क को पूरी तरह से वापस ले लिया है।जिंदल स्टेनलेस स्टील के निदेशक (बिजनेस डिवेलपमेंट) अरविंद प्रकाश ने क हा कि सरकारी राहत से फेरोक्रोम की मांग में कुछ हद तक बढ़ोतरी हो सकती है। उत्तम गैल्वा स्टील के निदेशक (वाणिज्य) अंकित मिगलानी ने कहा कि ताजा राहत पैकेज से ग्लैवनाइज्ड प्रॉडक्ट के लिए जिंक की कीमत 500 से हजार रुपये प्रति टन तक बढ़ सकती है। प्रति टन ग्लैवाइज्ड स्टील के निर्माण में जिंक की हिस्सेदारी 7.5 फीसदी की होती है। ग्लैवनाइज्ड स्टील की कीमत में बढ़ोतरी इस बात पर निर्भर करेगी कि हॉट रोल्ड कॉयल की कीमत कितनी बढ़ती है। हॉट रोल्ड स्टील और जस्ता इस उत्पाद के मुख्य अवयव हैं। केंद्र सरकार ने इसके अलावा सीमेंट आयात पर लगे काउंटरवेलिंग डयूटी और स्पेशल काउंटरवेलिंग डयूटी समाप्त कर दी है। (BS Hindi)
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