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04 दिसंबर 2008

डेयरी उद्योग को राहत पैकेज देने की तैयारी में सरकार

डेयरी उत्पादों के बढ़ते सस्ते आयात से परेशान घरेलू उद्योग को राहत देने की तैयारी हो रही है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार जिस राहत पैकेज की घोषणा करने वाली है, उसमें निर्यात पर सस्ता कर्ज और आयात शुल्क में बढ़ोतरी शामिल होगी। डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क पांच फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी किया जा सकता है।केंद्र सरकार के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार टैक्सटाइल, रियल एस्टेट, ऑटो और दूसरे क्षेत्रों के लिए साथ डेयरी क्षेत्र के लिए राहत पैकेज पर विचार कर रही है। इसके जरिये डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का प्रस्ताव भी शामिल हैं। इसमें निर्यात छूट देने की तैयारी की जा रही है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत देश की डेयरी कंपनियों को उनके एक साल के निर्यात की पांच फीसदी राशि ब्याज मुक्त राशि के रूप में दी जाएगी। यदि यह निर्यात चिन्हित बाजारों को होता है तो छह फीसदी राशि मिलेगी। अपने डेयरी उत्पादों के निर्यात के लिए भारत ने अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया के देशों को चिन्हित बाजार की श्रेणी में रखा है। इसके अलावा डेयरी उत्पादों पर लगे निर्यात शुल्क को भी हटाया जा सकता है।भारत से मुख्य रूप से स्किम मिल्क पाउडर (एसएमपी) और केजिन का निर्यात किया जाता है। इसमें से ज्यादा निर्यात अमेरिका और पश्चिमी देशों को होता है। लेकिन हाल के दिनों में भारत से निर्यात कम और आयात ज्यादा होने लगा। इससे घरेलू उद्योग भारी परेशानी में आ गया है। पिछले वित्त वर्ष में 2007-08 में करीब 40000 टन एसएमपी का निर्यात हुआ था। लेकिन मंहगाई बढ़ने के बाद सरकार ने 17 अप्रैल को निर्यात छूट समाप्त कर दी थी। साथ ही 29 अप्रैल को आयात पर शुल्क 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया था। जिसके बाद निर्यात में गिरावट आई और आयात बढ़ने लगा। फिलहाल, विश्व बाजार में एसएमपी का दाम घरेलू दामों से कम है। भारत में आयातित एसएमपी 123 रुपये प्रति किलो पड़ता है। देश में इस समय एसएमपी के दाम 125 रुपये प्रति किलो के स्तर पर है। इसके चलते एसएमपी पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है। अमेरिकी द्वारा एसएमपी के उत्पादन पर सब्सिडी दिए जाने की वजह से वैव्श्रिक बाजारों में यह तुलनात्मक रुप से सस्ता बैठ रहा है। लिहाजा अमेरिका की ही तर्ज पर अब भारत भी डेयरी क्षेत्र को फायदा देने और विव्श्र बाजार में भारतीय डेयरी उत्पादों की बाजार हिस्सेदारी बढ़ने के मकसद से राहत पैकेज देने जा रहा है। (Business Bhaskar)

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