07 दिसंबर 2008
राज्यों ने सस्ते खाद्य तेल के लिए सब्सिडी बढ़ाने की मांग उठाई
विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव तेजी से गिरने से राशन पर वितरण के लिए आयात किए गए तेल की डिलीवरी लेने केंद्र सरकार से सब्सिडी बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। राज्यों का मानना है कि कीमतों में आर्ठ गिरावट से पीडीएस के जरीए तेल वितरण में बाधा आ रही है। बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार पीडीएस के जरिये खाद्य तेल बेचने की योजना की शुरूआत की थी। कर्नाटक और तमिलनाडु ने केंद्र से खाद्य तेलों की बिक्री पर और सब्सिडी दिए जाने की मांग किया है। गौरतलब है कि इस साल जुलाई में शुरू हुई इस योजना के लिए केंद्र को करीब दस लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना था। कुछ राज्यों का मानना है कि ऊंचे माल भाड़े और डिलीवरी में होने वाली देरी से राज्यों को खाद्य तेलों के वितरण में परशानी हो रही है। लिहाजा केंद्र को सब्सिडी का दायरा बढ़ाना चाहिए। कर्नाटक सरकार के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों को जब तेल आयात करने के लिए ठेका दिया गया था उस समय वैश्विक बाजारों में खाद्य तेलों के भाव तेज थे।लेकिन मौजूदा समय में कीमतों में काफी गिरावट आ चुकी है जबकि ऊंचे भावों पर हुए सौदों की आवक अब हो रही है। सरकार की तरफ से प्रति लीटर पर 15 रुपये की सब्सिडी दिए जाने के बावजूद राज्य सरकारें बाजार भाव पर ही तेल बेच रही हैं। ऐसे में सरकार को घरलू बाजार भाव को आधार मानते हुए 15 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देनी चाहिए। तमिलनाडु सरकार पांच रुपये प्रति लीटर की अतिरिक्त सब्सिडी की मांग की है। इस बीच उड़ीसा में भी सरकार से और सब्सिडी की मांग करने पर विचार किया जा रहा है। पीडीएस के लिए केंद्र सरकार ने अब तक करीब 3.60 लाख टन खाद्य तेलों के आयात सौदे किए है जिसमें से करीब 3.34 लाख टन का आयात भी हो चुका है। जबकि करीब 1,82,000 टन खाद्य तेल का वितरण भी हो चुका है। (Business Bhaskar)
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