कोलकाता December 16, 2008
कोल्ड स्टोरेज में आलू की भारी आपूर्ति के बावजूद अगले सीजन में कम फसल होने के कारोबारियों के अनुमानों के कारण वायदा बाजार में इसकी कीमतें अधिक चल रही हैं।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर 14 मार्च 2009 डिलिवरी वाले तारकेश्वर किस्म के आलू की कीमत 450 रुपये प्रति क्विंटल के आस पास चल रही है जबकि कोल्ड स्टोरेज वाले आलू की कीमत 280 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा, पिछले सप्ताह पंजाब से कोलकाता के बाजार में पहुंचे आलू का कारोबार 170 से 180 रुपये प्रति क्विंटल पर किया गया ।
जबकि इसकी वास्तविक लागत (परिवहन लागत सहित) लगभग 225 रुपये प्रति क्विंटल थी। जाड़े की शुरुआत देर से होने के कारण शुरुआती फसल इस साल एक सप्ताह से अधिक विलंब से बाजार में पहुंची है।कारोबारियों के अनुसार, शुरुआती फसल 5 से 10 प्रतिशत कम हो सकती है। आम तौर पर शुरू में आने वाली फसल जो पश्चिम बंगाल की आलू की खेती का 8 से 10 प्रतिशत होती है, नवंबर से बाजार में आनी शुरू हो जाती है। कोल्ड स्टोर के मालिक कमोडिटी एक्सचेंजों पर आरोप लगाते हैं कि उनकी वजह से कीमतों में उछाल आता है और कीमतें घटने की संभावना बनती है। आलू के सामान्य एक लाख टन के भंडार की तुलना में इस साल कुल मिलाकर कोल्ड स्टोरेज में 2.75 लाख टन का भंडार है। इसे देखते हुए उनका अनुमान है कि आने वाले कुछ महीनों में कीमतों में भारी बढ़ोतरी नहीं होगी।एक कोल्ड स्टोरेज के मालिक ने कहा, 'आलू का वायदा मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल होने की कोई वजह ही नहीं है, खास तौर से तब जब परिस्थितियां अतिआपूर्ति की हैं।' उनका कहना था कि पिछले साल एक्सचेंजों की वजह से ही आलू की कीमतों में भारी गिरावट आई थी।राज्य के कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन का अनुमान है कि आलू किसानों और कारोबारियों को कुल मिला क 750 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस कारण किसान आलू की खेती में इस साल ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेना चाहेंगे। पिछले साल आलू की अधिकतम कीमत 380 से 400 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसके बाद कीमतें घट कर लगभग 140 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गईं। किसानों को इससे 70 से 80 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हुआ था। हालांकि, एमसीएक्स के सूत्रों का कहना है कि 450 रुपये प्रति क्विंटल आलू की कीमत सामान्य थी और यह पिछले साल की तुलना में कम थी।पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के पतित पावन डे ने कहा, 'अभी के समय में मौसमी परिस्थितियां आलू के अनुकूल नहीं हैं। रकबे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है लेकिन उत्पादकता सुनिश्चित किया जाना अभी बाकी है। फसल कम से कम 5 प्रतिशत कम होने की उम्मीद है।' पिछले साल पश्चिम बंगाल में 88 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था जो इससे पिछले साल की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक था। (BS Hindi)
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