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17 दिसंबर 2008

आलू पर आर्थिक संकट

न्यूयॉर्क December 16, 2008
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर विकासशील देशों में आलू की पैदावार पर पड़ सकता है और निवेश और व्यापार में कमी तथा कर्ज तक किसानों की पहुंच घटने से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का कहना है कि यह खतरा ऐसे वक्त में पैदा हो रहा है जब आलू एक प्रमुख कच्चा माल बन चुका है और कई विकासशील देशों में यह एक आकर्षक नकदी फसल है। चीन विश्व का सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है। जबकि बांग्लादेश, भारत और ईरान विश्व के सबसे बड़े उपभोक्ता देशों में हैं। एफएओ ने नवीनतम आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर कहा है कि आलू विश्व का अव्वल गैर-अनाज खाद्य फसल है और वर्ष 2007 में आलू का कुल उत्पादन बढ़कर 32.5 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया।हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है, 'आने वाले वर्ष के लिए संभावनाओं पर काले बादल मंडरा रहे हैं।' वैश्विक आर्थिक संकट से विकासशील देशों को निवेश प्रवाह घटने की आशंका है जिससे कृषि क्षेत्र विशेषकर आलू उत्पादकों के लिए संकट पैदा हो सकता है।वर्तमान में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में प्रति हेक्टेयर आलू का औसत उत्पादन 15 टन है जो उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप की तुलना में आधे से भी कम है। विकसित देशों में आलू की खेती को मजबूत करने के लिए एफएओ तथा अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र ने 'गरीबों के लिए आलू विज्ञान की सेवा' की बात कही है ताकि आलू उत्पादकों को बेहतर गुणवत्ता वाले आलू की किस्में उपलब्ध हों जो कीड़ों, बीमारियों और मौसमी बदलाव के प्रति ज्यादा प्रतिरोधी हों। (BS HIndi)

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