नई दिल्ली December 02, 2008
वैश्विक आर्थिक मंदी के चलते विकासशील देशों विशेष रूप से एशिया में गेहूं की खपत घटने का अनुमान है।
लंदन स्थित अंतरराष्ट्रीय खाद्यान्न परिषद (इंटरनेशनल ग्रेन काउंसिल) की ओर से जारी हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कठिन वित्तीय और मौद्रिक स्थितियों की वजह से विकासशील देशों में अनाज की खपत घट सकती है। रिपोर्ट में ये बातें एशियाई और उप-सहारा अफ्रीकी देशों के बारे में कही गई हैं। गौरतलब है कि आईजीसी ने वर्ष 2008-09 के लिए दुनिया भर में गेहूं का खपत अनुमान 10 लाख टन घटाकर 65 करोड़ टन कर दिया है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल के 61.4 करोड़ टन के आंकड़े से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चारे के रूप में गेहूं का इस्तेमाल बढ़ कर 11.9 करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो पिछले सीजन की तुलना में 3 करोड़ टन अधिक है। इसमें कहा गया है कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका में निम्स्तरीय गेहूं की आपूर्ति बढ़ने से चारे के तौर पर गेहूं की खपत में और बढ़ोतरी होगी।दुनिया में गेहूं की आधी से ज्यादा खपत विकासशील देशों में ब्रेड, पास्ता और बेकरी उत्पादों के बनाने में होती है। दुनिया भर में रकबे में 1.6 फीसदी की गिरावट के बावजूद गेहूं का वैश्विक उत्पादन 2008-09 में 7.3 करोड़ टन बढ़कर 68.3 करोड़ टन होने का अनुमान है। आईजीसी ने पहले कहा था कि कीमतों में गिरावट और लागत मूल्यों में वृध्दि को देखते हुए 2008-09 में किसान 22.17 करोड हेक्टेयर में गेहूं की खेती करेंगे। विशेषज्ञों ने बताया कि गेहूं की जगह मक्के की पूछ बढ़ रही है। एथेनॉल उद्योग की बढ़ती मांगों को कारण मक्के की खपत इस साल अधिक होने की संभावना है। साल 2008-09 (अक्टूबर से सितंबर) में अनुमान है कि मक्के की खपत 79 करोड़ टन होगी जबकि गेहूं की 68.3 करोड़ टन रहेगी। (BS Hindi)
04 दिसंबर 2008
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