01 जनवरी 2009
चीनी सिल्क यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी की मियाद 4 साल बढ़ी
बंगलुरु : नए साल की शुरुआत के साथ वाणिज्य मंत्रालय ने लाखों बुनकरों और रेशम कीट पालकों को नए साल का तोहफा दिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने चीनी सिल्क यार्न पर एंटी डंपिंग ड्यूटी को चार साल के लिए बढ़ा दिया है। यह 1 जनवरी 2009 से प्रभावी होगा। सूत्रों ने ईटी को बताया कि निर्णय के तहत रेफ्रेंस कीमत में भी बदलाव किया गया है। पहले रेफ्रेंस कीमत 27.92 डॉलर प्रति मीटर थी, इसे अब बढ़ाकर 37.32 डॉलर प्रति मीटर कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि मुद्रा में उतार-चढ़ाव के चलते रेफ्रेंस रेट में परिवर्तन करने की जरूरत महसूस की जा रही थी। एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का उद्देश्य है कि चीन से घटिया कच्ची सिल्क के आयात को रोकना। यह कर तब लागू होगा जब चीन से आयातित कच्चे सिल्क की कीमत 37.32 डॉलर से नीचे चली जाए। सूत्र का कहना है, 'सबसे बड़ी चिंता की बात है कि कई बार देश में 2ए ग्रेड श्रेणी से भी कम गुणवत्ता वाली सिल्क का आयात किया जाता है। एंटी डंपिंग ड्यूटी से मुद्दे को सुलझाने में तो मदद मिलेगी ही, साथ ही इस बात को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बुनकरों और उद्योग से जुड़े दूसरे लोगों की न्यूनतम जरूरतें पूरी हों।' भारत सिल्क का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और उसका सालाना उत्पादन 17,000 टन है जबकि करीब 7,000 टन सिल्क का आयात चीन से किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि कच्चे सिल्क पर एंटी डंपिंग ड्यूटी को बढ़ाया गया है जबकि सिल्क फैब्रिक पर एंटी डंपिंग ड्यूटी 2011 तक जारी रहेगी। सिल्क फैब्रिक के लिए रेफ्रेंस रेट 1.86 डॉलर प्रति मीटर से लेकर 4.7 डॉलर प्रति मीटर तक है। 2003 में पांच साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी को लगाया गया था। इस साल जनवरी में केंद्र सरकार पहले इसे केवल एक साल के लिए बढ़ा पाने में सक्षम हो पाई थी। एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाए जाने का स्वागत करते हुए उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने कहा कि सेंट्रल सिल्क बोर्ड और डिपार्टमेंट ऑफ सेरिकल्चर को देश में सिल्क के उत्पादन बढ़ाने के लिए ध्यान देने की जरूरत है। (BS Hindi)
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