जालंधर December 01, 2008
पंजाब की 3100 चावल मिलों में 1200 करोड़ रुपये का राज्य सरकार द्वारा खरीदा गया 120 लाख टन धान बेकार पड़ा हुआ है।
पंजाब राइस मिलर्स वेलफेयर एसोसिएशन जालंधर ने एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि धान से चावल का उत्पादन तब तक रुका रहेगा, जब तक सरकार नुकसान और रंग बदलने की सीमा को 3 से बढ़ाकर 4 फीसदी तक नहीं करती है। इसकी वजह से राज्य सरकार की एजेंसियों को प्रति दिन 4 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। शुरूआत में केन्द्र और राज्य सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए थोड़ा प्रयास किया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश जैन ने बताया कि राज्य सरकार ने मंडी से धान की खरीद में किसी तरह की परेशानी न आने की बात कही थी। लेकिन धान के एक बार मंडी में पंहुच जाने के बाद राजनैतिक सत्ता अपने इस वादे को भूल जाती है। उनका कहना है कि इसके पहले नुकसान और रंग बदलने की सीमा को प्राकृतिक कारणों से बढ़ाया गया था। लेकिन इस बार राज्य की राजनैतिक इच्छा के बिना यह संभव नहीं है। जैन ने यह भी बताया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने लगभग 50,000 टन धान को उपयुक्त मानकों पर खरा न उतरने के कारण वापस कर दिया है। इसके अलावा मिल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा चावल को नुकसान की 'सूक्ष्म' श्रेणी में रखे जाने का भी विरोध किया है। उन्होंने चावल को 'सूक्ष्म श्रेणी' से हटाकर 'सामान्य श्रेणी' में रखने की मांग की है। मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि एफसीआई भी बीआईएस के तयशुदा मानकों पर काम नहीं करती थी। उन्होंने बताया कि अक्टूबर महीने में वर्षा होने के कारण आर्द्रता बढ़ने से धान में होने वाले नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। इस मामले में सरकार द्वारा ढिलाई बरतने के कारण हालात खराब हो जाएंगे और देश की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा पर्याप्त पोषण नहीं पा सकेगा। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि इस कारण से लगभग 1.5 लाख मजदूर खाली बैठे हुए है। साथ ही मिल मालिकों को भी घाटा उठाना पड़ रहा है। (BS Hindi)
04 दिसंबर 2008
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