नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों मांग कमजोर होने से बासमती चावल के दाम लगातार दूसरे दिन स्थिर बने रहे। बुधवार को हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली के नया बाजार में बासमती चावल में व्यापार भी कम हुआ। व्यापारियों के सर्दी ज्यादा होने के साथ ही दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का असर भी चावल के कारोबार पर पड़ रहा है।
करनाल के बासमती चावल कारोबारी ने बताया कि सीमित मात्रा से आज भाव लगभग स्थिर ही बने रहे तथा मक्रर सक्रांति तक मांग सामान्य ही बनी रहने का अनुमान है लेकिन उसके बाद मांग में सुधार आयेगा। उन्होंने बताया कि कई देशों में दोबारा से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जिस कारण निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने यूरोपीय देशों को बासमती चावल निर्यात के लिए जो अनिवार्यता लगाई थी, पहले वह एक जनवरी 2020 से लागू होनी थी, जिसे बढ़ाकर सरकार ने अब एक जुलाई 2020 कर दिया गया है। वैसे भी नए साल में विदेशे में छुट्टियों जैसा माहौल रहता है, इसलिए निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। माना जा रहा है कि मध्य जनवरी के बाद से निर्यात सौदों में तेजी आयेगी, जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
चावल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से पंजाब, हरियाणा की मंडियों में धान के दाम लगातार दूसरे दिन स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार मध्य जनवरी के बाद उत्पादक मंडियों में धान की आवक कम हो जायेगी, जबकि चावल में निर्यातकों के साथ ही स्थानीय मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगे इनके भाव में तेजी आने का अनुमान है।
30 दिसंबर 2020
निर्यातकों की कमजोर मांग से बासमती चावल स्थिर, मक्रर सक्रांति के बाद बढ़ेगी मांग
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें