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18 दिसंबर 2020

चीनी का एमएसपी नहीं बढ़ाएगी सरकार, निर्यात सब्सिडी में बढ़े एफआरपी की भी भरपाईः गोयल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाया जाएगा। केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि चीनी का एमएसपी बढ़ाकर उद्योग को सहारा देना उचित नहीं है। उल्लेखनीय है कि चीनी का एमएसपी 31 रुपये से बढ़ाकर 33 रुपये किए जाने का प्रस्ताव काफी समय से लंबित था।

उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के 86वीं वार्षिक आम सभा को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि एमएसपी संस्थागत स्वरूप देना खुले बाजार के सिद्धांत और उपभोक्ता हित के खिलाफ है। उद्योग को देश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए चीनी का पर्याप्त उत्पादन करना चाहिए ताकि बाजार में भाव उचित स्तर पर बना रहे। अत्यधिक उत्पादन करके एमएसपी के जरिये भाव को नियंत्रित करना ठीक नहीं है।

उद्योग की खराब वित्तीय स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग को अतिरिक्त गन्ने से एथनॉल बनाने पर ध्यान देना चाहिए। वे सिर्फ एथनॉल बनाने वाले प्लांट भी लगा सकते हैं। देश में अभी पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने की व्यवस्था है। इस अनुपात को 20 और 30 फीसदी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 70-80 साल पुरान चीनी मिलों के लिए उद्योग को नसीहत दी कि उसे आधुनिकीकरण की राह पर चलना चाहिए। अच्छे प्लांटों से उनका लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा।

गोयल ने कहा कि उद्योग को सब्सिडी के लिए सरकार की ओर नहीं देखना चाहिए बल्कि अपने लिए फायदेमंद बिजनेस मॉडल विकसित करना चाहिए। फिर भी सरकार ने उद्योग की तात्कालिक दिक्कतों को सुलझाने के लिए बकाया सब्सिडी के भुगतान के लिए 5360 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इसके अलावा नए सीजन में निर्यात परिवहन सब्सिडी के तौर पर 3500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस साल गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) 275 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये प्रति क्विंटल किया गया था। इस वित्तीय भार की भी भरपाई निर्यात सब्सिडी में ही कर दी गई है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू भाव के बीच अंतर से कहीं ज्यादा सब्सिडी 6000 रुपये प्रति टन को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकर एक तरह के एथनॉल खरीद में भी उद्योग को अप्रत्यक्ष सब्सिडी दे रही है क्योंकि तेल कंपनियों के द्वारा चीनी मिलों से से एथनॉल खरीद का मूल्य उनकी लागत से कहीं ज्यादा तय किया गया है।

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