नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 33.39 फीसदी बढ़कर 27.44 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 20.57 लाख टन का ही हुआ था। बासमती चावल के निर्यात में हुई बढ़ोतरी से स्टॉकिस्टों की मांग में तेजी आई है, जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल के दाम तेज बने हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में गुरूवार को बासमती चावल की कीमतों में क्वालिटीनुसार 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में करीब 118 फीसदी बढ़ा है।
हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा 1,121 बासमती चावल
सेला और स्टीम की कीमतों में 100-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव
क्रमशः 5,400 और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मंडी के चावल कारोबारी
संदीप गुप्ता ने बताया कि निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग में भी
तेजी बनी हुई है। साथ ही उत्पादक मंडियों में धान की आवक कम हो गई है,
जिससे तेजी को बल मिल रहा है। उन्होंने बताया कि निर्यातकों की मांग बनी
रही तो मौजूदा भाव में और भी तेजी की उम्मीद है।
वाणिज्य एवं
उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से
अक्टूबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 18,218
करोड़ रुपये का हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका
निर्यात 15,565 करोड़ रुपये का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य
के हिसाब से अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 17,426 करोड़ रुपये का हो चुका है
जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 8,051 करोड़
रुपये का ही हुआ था। मात्रा के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू
वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में 61.23 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले
वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 28.10 लाख टन का ही हुआ
था।
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