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31 दिसंबर 2020

गेहूं की कीमतों में सुधार, बढ़ी तेजी की उम्मीद कम

नई दिल्ली। वर्तमान कैलेंडर वर्ष 2020 गेहूं में निरंतर मंदी के लिए जाना जाएगा, लेकिन इसमें पिछले दो दिनों से तेजी देखी जा रही है। राजकोट को छोड़ अन्य प्रमुख बाजारों में गुरूवार को गेहूं की कीमतों में 5 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का फ्री में आवंटन करने के कारण अभी तक मांग सामान्य के मुकबाले काफी कमजोर बनी हुई थी, लेकिन अब पाइप लाइन खाली हो गई है, जिससे रोलर फ्लोर मिलों की मांग बढ़ी है। अत: आगे इसके भाव में और सुधार आने का अनुमान है।  

व्यापारियों के अनुसार रोलर फ्लोर​ मिलों की मांग में सुधार आया है, तथा नीचे दाम होने के कारण मिलर्स अगले एक, दो महीने की खपत का गेहूं खरीदना चाहता है इसलिए भाव में तेजी आई है। राजस्थान की कोटा, बारा और बूंदी मंडियों में आज गेहूं की कीमतों मेंं क्वालिटीनुसार 15 से 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि इंदौर में मिल क्वालिटी गेहूं के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी आई। दिल्ली में गेहूं के भाव में आज 10 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया, लेकिन राजकोट में दाम 10 रुपये प्र​ति क्विंटल तक घट गए।

जनवरी के लिए 20 लाख टन का कोटा जारी, मांग के हिसाब से पर्याप्त

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जनवरी 2021 के लिए 20 लाख टन चीनी का मासिक कोटा जारी किया है जोकि दिसंबर के मुकाबले कम है। दिसंबर में केंद्र सरकार ने 21.5 लाख टन का कोटा जारी किया था, ज​बकि जनवरी 2020 में भी सरकार ने इतनी मात्रा में ही कोटा जारी किया ​है। हालांकि मांग कमजोर ही बनी हुई है, इस हिसाब से यह कोटा पर्याप्त माना जा रहा है।

बाजार सूत्रों के अनुसार, दिसंबर में चीनी की खपत काफी कम हो गई थी क्योंकि कोई त्योहार भी नहीं था। कोरोना वायरस के नए तनाव के कारण नए साल का जश्न भी प्रतिबंधित है। उद्योग के अनुसार कम से कम 3.5 लाख टन चीनी दिसंबर के कोटे की ​बची हुई है। केंद्र सरकार ने दिसंबर के कोटे की चीनी बेचने के लिए मिलों को अतिरिक्त समय नहीं दिया है, हालांकि मिलर्स स्टॉक को निर्यात करने के लिए स्वतंत्र हैं।

30 दिसंबर 2020

निर्यातकों की कमजोर मांग से बासमती चावल स्थिर, मक्रर सक्रांति के बाद बढ़ेगी मांग

नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों मांग कमजोर होने से बासमती चावल के दाम लगातार दूसरे दिन स्थिर बने रहे। बुधवार को हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली के नया बाजार में बासमती चावल में व्यापार भी कम हुआ। व्यापारियों के सर्दी ज्यादा होने के साथ ही ​दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का असर भी चावल के कारोबार पर पड़ रहा है।
करनाल के बासमती चावल कारोबारी ने बताया​ कि सीमित मात्रा से आज भाव लगभग स्थिर ही बने रहे तथा मक्रर सक्रांति तक मांग सामान्य ही बनी रहने का अनुमान है लेकिन उसके बाद मांग में सुधार आयेगा। उन्होंने बताया कि कई देशों में दोबारा से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, जिस कारण निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने यूरोपीय देशों को बासमती चावल निर्यात के लिए जो अनिवार्यता लगाई थी, पहले वह एक जनवरी 2020 से लागू होनी थी, जिसे बढ़ाकर सरकार ने अब एक जुलाई 2020 कर दिया गया है। वैसे भी नए साल में विदेशे में छुट्टियों जैसा माहौल रहता है, इसलिए निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। माना जा रहा है कि मध्य जनवरी के बाद से निर्यात सौदों में तेजी आयेगी, जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।

चावल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से पंजाब, हरियाणा की मंडियों में धान के दाम लगातार दूसरे दिन स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार मध्य जनवरी के बाद उत्पादक मंडियों में धान की आवक कम हो जायेगी, जबकि चावल में निर्यातकों के साथ ही स्थानीय मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए आगे इनके भाव में तेजी आने का अनुमान है। 

दिल्ली में बर्मा उड़द के साथ ही मध्य प्रदेश की देसी मसूर तेज

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को बर्मा की लेमन अरहर की कीमतों में सुधार आया, जबकि मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के दाम भी तेज हुए।

बर्मा लाईन की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में आज दिल्ली में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,800 रुपये और 5,950 रुपये  प्रति क्विंटल हो गए, व्यापारियों के अनुसार मिलों की हाजिर मांग में बढ़ोतरी हुई।

इसी तरह से चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए लेमर अरहर का व्यापार 50 रुपये बढ़कर 5,600 रुपये क्विंटल की दर पर हुआ।

इस बीच, 29 दिसंबर, 2020 को महाराष्ट्र में नेफेड ने 1,867 टन अरहर की निविदा को 5,521-5,556 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी।

हालांकि आयातित अरहर सस्ती है, तथा घरेलू मंडियों में नई फसल की आवक लगातार बढ़ रही है। सरकारी एजेंसियां भी नीचे दाम पर स्टॉक बेच रही है इसलिए अरहर में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मध्यप्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया जबकि कनाडा की मसूर के दाम स्थिर बने रहे।

केंद्र सरकार ने अगर 10 फीसदी आयात शुल्क पर मसूर के आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाया तो फिर हल्का सुधार और भी बन सकता है।

दिल्ली में राजस्थानी चना के भाव 4,700 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के भाव 4,560 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

मसूर के भाव दिल्ली में 25 रुपये तेज होकर 5,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मूंग की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मोठ के भाव दिल्ली में 5,500 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 13 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 12 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।


29 दिसंबर 2020

दिल्ली में उड़द, काबूली चना और राजमा में मंदा, मसूर के भाव में सुधार

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द, राजमा और काबुली चने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि मसूर के भाव में सुधार आया।

दस फीसदी आयात शुल्क पर मसूर का आयात 31 दिसंबर 2020 तक होना है, ऐसे में व्यापारियों की नजर सरकार 31 दिसंबर के बाद क्या फैसला करती है, इस पर लगी हुई है। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के कारण व्यापार सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
 
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 100 से 200 रुपये की गिरावट आकर भाव दिल्ली में क्रमशः 7,100 से 7,150 प्रति क्विंटल और 7,950 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। हाजिर में आयातित उड़द का स्टॉक कम है, लेकिन मिलों की मांग भी कमजोर होने से भाव में मंदा आया।

इसी प्रकार, महाराष्ट्र लाइन के नई उड़द और मध्य प्रदेश की पुरानी नेफेड द्वारा खरीदी गई उड़द के भाव 100 रुपये घटकर क्रमशः 7,600 और 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की हाजिर मांग से कनाड़ा और मध्यप्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 से 75 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया। व्यापारियों की नजर सरकार के फैसले पर लगी हुई है।

केंद्र सरकार ने अगर 10 फीसदी आयात शुल्क पर मसूर के आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाया तो फिर हल्का सुधार और भी बन सकता है।

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से 200-400 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

मद्रास लाईन की छोटी शर्मिली राजमा cleaned/uncleaned में 500 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

दिल्ली में चना की कीमतों में 125 रुपये की तेजी आकर राजस्थानी चना के दाम 4,700 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मोठ के दाम दिल्ली में 5,500 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

मूंग में ग्राहकी कमजोर होने से 100 रुपये का मंदा आकर भाव 6,500 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 62 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 81 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

कमजोर मांग से बासमती चावल के दाम स्थिर, अप्रैल से नवंबर तक निर्यात बढ़ा

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की बिकवाली के साथ ही निर्यातकों की कमजोर मांग से बासमती चावल की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। मंगलवार को हरियाणा, पंजाब एवं दिल्ली के नया बाजार में बासमती चावल के दाम तो स्थिर बने रहे लेकिन ग्राहकी कमजोर ही थी। व्यापारियों के अनुसार पंजाब और हरियाणा ​के किसानों के आंदोलन का असर व्यापार पर पड़ रहा है।

नया बाजार के बासमती चावल के व्यापारी ने बताया कि इस समय ग्राहकी काफी कमजोर है, तथा स्टॉकिस्टों की मुनफावसूली से भी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बासमती चावल के निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में माना जा रहा है कि कुल निर्यात पिछले साल से ज्यादा ही होगा। पंजाब और हरियाणा के किसानों के आंदोलन का असर भी व्यापार पर पड़ रहा है। पिछले 34 दिनों से किसान दिल्ली के चारो तरफ डेरा डाले हुए हैं, जिस कारण बासमती चावल की लोडिंग के साथ ही अनलोडिंग प्रभावित हो रही है।

एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 30.47 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 23.63 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बासमती चावल का निर्यात 20,027 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 17,724 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में 70.25 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 31.57 लाख टन गैर-बासमती चावल का ही निर्यात हुआ था।

चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद बढ़कर 462.88 लाख टन की हो चुकी है। हरियाणा के साथ ही पंजाब और दिल्ली की नरेला मंडी में स्थानीय मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की कमजोर मांग होने के कारण मंगलवार को धान के दाम स्थिर हो गए। 

28 दिसंबर 2020

दिल्ली में अरहर, उड़द और एमपी की मसूर में मंदा, कनाडा की मसूर सुधरी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से सोमवार को बर्मा की अरहर और उड़द के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में दिल्ली के नया बाजार में गिरावट दर्ज की गई, जबकि कनाडा की मसूर में तेजी आई। सस्ती मसूर का आयात 31 दिसंबर तक होना है, ऐसे में व्यापारियों की नजर सरकार 31 दिसंबर के बाद क्या फैसला करती है, इस पर लगी हुई है।

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से बर्मा की पुरानी और नई अरहर की कीमतें क्रमश: 5,700 रुपये और 5,800 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। दूसरी ओर चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतें 25 रुपये घटकर 5,550-5,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।

सस्ती अरहर के आयात के साथ ही घरेलू मंडियों में नई फसल की आवक लगातार बढ़ रही है, जबकि केंद सरकार भी अरहर की बिकवाली कर रही है। इसलिए कीमतों पर दबाव बना हुआ है। अरहर के आयात की समय सीमा 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो रही है, ऐसे में व्यापारियों की नजर आगे केंद्र सरकार के फैसले पर लगी हुई है।  

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50 से 100 रुपये की गिरावट आकर भाव दिल्ली में क्रमशः 7,200 से 7,250 प्रति क्विंटल और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। हाजिर में आयातित उड़द का स्टॉक कम है, लेकिन मिलों की मांग भी कमजोर होने से भाव में मंदा आया।

मिलों की हाजिर मांग से कनाड़ा की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया, लेकिन मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के दाम 25 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए। केंद्र सरकार ने अगर 10 फीसदी आयात शुल्क पर मसूर के आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाया तो फिर हल्का सुधार बन सकता है।

दिल्ली में राजस्थानी चना के भाव 4,550 से 4,575 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,525 से 4,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

मूसर के भाव दिल्ली में 5,450 से 5,475 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

मूंग के दाम दिल्ली में 6,500 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल बोले  गए।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 59 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 53 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

बांग्लादेश चावल पर आयात शुल्क घटाएगा, भारत से मोटे चावल का निर्यात और बढ़ेगा

नई दिल्ली। चावल की महंगाई और किल्लत रोकने के लिए बांग्लादेश ने आयात बढ़ाने का फैसला किया है। चावल के ज्यादा आयात के लिए उसने आयात शुल्क घटाने का फैसला किया है। इसके कारण भारत से गैर बासमती चावल का निर्यात और तेज होने की संभावना है।

गत दिवस बांग्लादेश के खाद्य मंत्री सधन चंद्र मजूमदार ने बताया कि बांग्लादेश सरकार ने आयात शुल्क 62.5 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने का फैसला किया है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े चावल उत्पादक देश बांग्लादेश को लगातार बाढ़ आने से उत्पादन घटने के कारण ज्यादा आयात करना पड़ रहा है। बांग्लादेश में करीब 350 लाख टन चावल का उत्पादन होता है लेकिन भोजन में चावल की प्रधानता के कारण सारा चावल बांग्लादेश खुद ही इस्तेमाल कर लेता है। बाढ़ या सूखे की स्थिति बनने पर उसे समय-समय पर चावल का आयात भी करना पड़ता है।

बांग्लादेशी मंत्री के अनुसार सरकार चावल आयात की इस तरह अनुमति देगी कि उपभोक्ता और किसानों दोनों के हितों के बीच में संतुलन बना रहे। आयातको को 10 जनवरी तक खाद्य मंत्रालय से अनुमति के लिए आवेदन करा होगा। उसके बाद आयात की मात्रा के बारे में मंत्रालय फैसला करेग। सरकार भी चावल का बफर स्टॉक बनाने का प्रयास कर रही है। इसके लिए पांच लाख टन चावल का आयात किया जाएगा। इसमें से भारत से 150,000 टन आयात के लिए बातचीत चल रही है। सरकार ने हाल के हफ्तों में चावल आयात के लिए कई टेंडर जारी किए हैं। इस साल वर्षा जल से पैदा होने वाले चावल का उत्पादन 15 फीसदी घटने की संभावना है क्योंकि वहां बार-बार बाढ़ और अत्यधिक बारिश से चावल की फसल को क्षति पहुंची।

26 दिसंबर 2020

दिल्ली में अरहर और उड़द में मंदा, मसूर की कीमतों में तेजी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से शनिवार को बर्मा की अरहर और उड़द की कीमतों में दिल्ली के नया बाजार में गिरावट दर्ज की गई, जबकि खरीद बढ़ने से मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि, दालों में थोक के साथ ही खुदरा बाजार में ग्राहकी कमजोर ही है।

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से बर्मा की नई अरहर की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पुरानी अरहर के दाम 5,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतें 5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रही।

इस बीच 24 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र में 6,374 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को नेफेड ने 5,510 से 5,601 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मंजूरी दी।

अरहर के आयात की समय सीमा 31 दिसंबर 2020 को समाप्त हो रही है, इसलिए व्यापारियों की नजर सरकार के फैसले पर रहेगी।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव दिल्ली में क्रमशः 7,275 से 7,300 प्रति क्विंटल और 8,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। हाजिर में आयातित अरहर का स्टॉक कम है, लेकिन मिलों की मांग भी कमजोर होने से भाव में मंदा आया।

हाजिर बाजार में आयातित स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की मांग कमजोर होने से मुंबई और चेन्नई के बाजारों में शनिवार को बर्मा उड़द की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। जबकि बर्मा उड़द एफएक्यू में कोलकाता के बाजार में 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा लाईन की मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

मुंबई, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही मुंबई के बाजारों में आस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा की क्रिमसन मसूर की कीमतों में 25 से 30 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

दूसरी और घरेलू मिलों की सीमित मात्रा में खरीद होने से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मसूर के दाम लगभग स्थिर बने रहे।

हालांकि आयात ज्यादा होने के साथ ही चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार ने अगर 10 फीसदी आयात शुल्क पर मसूर के आयात की समय सीमा को नहीं बढ़ाया तो फिर हल्का सुधार बन सकता है।

25 दिसंबर 2020

अरहर और कनाडा की मसूर दिल्ली में तेज, काबूली और राजमा में मंदा

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ ही कनाडा की मसूर की कीमतों में दूसरे दिन भी तेजी बनी रही, जबकि काबूली चना और राजमा में ग्राहकी कमजोर होने से मंदा आया।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बाजार में पुरानी और नई अरहर की कीमतों में 150 से 200 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 5,700 रुपये और 5,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इसी तरह से चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 150 रुपये की तेजी आकर भाव 5,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इस बीच, 23 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र में 426 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को नेफेड ने 5,531 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मंजूरी दी।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में कनाडा लाईन की मसूर की कीमतों में 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि, मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के स्थिर हो गए।

हालांकि आयात ज्यादा होने के साथ ही चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है।

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाइन के काबुली चना में स्थानीय मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में 100 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।

मद्रास लाईन की छोटी शर्मिली राजमा cleaned/uncleaned में भी ग्राहकी कमजोर होने से 300 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

चालू रबी में गेहूं, दलहन एवं तिलहन की बुआई बढ़ी, मोटे अनाजों की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई आगे चल रही है जबकि मोटे अनाजों की बुआई पिछे रही है। रबी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 597.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 573.23 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 313.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 297.39 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 149.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 141.64 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 102.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 95.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 15.81 लाख हेक्टेयर में, मटर की 10.23 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 5.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 15.27 लाख हेक्टेयर में, 10.39 लाख हेक्टेयर और 5.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 2.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 2.52 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सरसों की बुआई बढ़ी, मूंगफली और अलसी की घटी

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 79.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 74.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 71.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 65.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 3.38 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 3.55 और 2.91 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई पिछे


मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 43.44 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 46.55 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 24.71 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.37 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 11.59 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 12.51 और 7.17 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 13.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक केवल 12.49 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।

23 दिसंबर 2020

चावल मिलों की कमजोर ग्राहकी से बासमती धान में 75 से 100 रुपये की गिरावट

नई दिल्ली। चावल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की ग्राहकी कमजोर होने से बुधवार को पंजाब और हरियाणा की मंडियों में धान के दाम 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए। जानकारों के अनुसार चावल मिलें सीमित मात्रा में ही खरीद कर रही है, हालांकि उत्पादक मंडियों में पहले की तुलना में धान की आवक कम हो गई है, इसलिए ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।   
हरियाणा की करनाल मंडी में बुधवार को धान की आवक पांच से सात हजार क्विंटल की हुई तथा पूसा 1,121 बासमती धान के भाव में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 2850 से 3100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मंडी के धान कारोबारी सुमित बंसल ने बताया ​की कोरोना वायरस के केस कई देशों में बढ़ने से बासमती चावल की निर्यात मांग प्रभावित होने का डर है, इसलिए चावल मिलों की मांग में कमी आई है। हालांकि उत्पादक मंडियों में धान की आवक भी पहले की तुलना में कम हो गई है, इसलिए मौजूदा भाव में हल्की गिरावट तो आ सकती है, लेकिन ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।  
भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 431.14 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 23.16 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में 350.04 लाख टन धान की खरीद ही हुई थी। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 202.77 लाख टन की है, जोकि कुल खरीद का 47.03 फीसदी है।

अरहर, उड़द और कनाडा की मसूर दिल्ली में तेज, एमपी की मसूर नरम

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की ताजा मांग निकलने से बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द और अरहर के साथ ही कनाडा की मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि मध्य प्रदेश की मसूर में कमजोर मांग से नरमी आई। हालांकि दालों में थोक के साथ ही खुदरा बाजार में ग्राहकी कमजोर ही है।

दाल मिलों की ताजा मांग निकलने से हाजिर बाजार में पुरानी और नई अरहर की कीमतों में 50 से 100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,650 रुपये और 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 75 रुपये की तेजी आकर भाव 5,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में खरीफ 2019 अरहर की 22 दिसंबर के सभी बोलियों को नेफेड ने खारिज कर दिया है, इसमें सबसे ऊंची बोली 5,325 रुपये प्र​ति क्विंटल (अकोला) की थी।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में दिल्ली में आज 50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,300 और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हाजिर में स्टॉक कम होने के साथ मिलों की ताजा मांग से भाव में सुधार आया।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में कनाडा लाईन की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,125 रुपये प्रति​ क्विंटल हो गए। जबकि, मध्य प्रदेश लाईन की मसूर में कमजोर मांग से 25 रुपये का मंदा आकर भाव 5,425 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि आयात ज्यादा होने के साथ ही चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है।

दिल्ली में राजस्थानी चना के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 4,725 रुपये और मध्य प्रदेश के चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 4,675 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 44 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 46 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

22 दिसंबर 2020

नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से बिनौला और कपास खली के दाम रुके

नई दिल्ली। दो दिनों की गिरावट के बाद नीचे दाम पर मिलों की बिकवाली कम आने से मंगलवार को उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बिनौला के साथ ही कपास खली के दाम रुक गए है। व्यापारियों के अनुसार खाद्य तेलों के दाम बढ़े हुए हैं, जिस कारण बिनौला में प्लांटों की मांग बनी रहने का अनुमान है, इसलिए आगे इनकी कीमतों में फिर सुधार आने का अनुमान है।
हरियाणा के आदमपुर में मंगलवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 2650 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि इस दौरान कपास खली के भाव 2200 से 2370 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सिरसा में आज बिनौला के भाव 2750 से 2,760 रुपये, कलवानी में भी 2,750 से 2,760 रुपये तथा ऐलनाबाद में 2800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। राजस्थान की अलवर मंडी में आज बिनौला के भाव 2525 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। पंजाब भटिंडा मंडी में इसके भाव में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 2730 से 2775 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हरियाणा के सिरसा में मंगलवार को कपास खली के दाम 2270 से 2300 रुपये, कैथल में 2,450 से 2,580 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर तो रहे, लेकिन मांग कमजोर रही। राजस्थान के सादुल शहर में कपास खली के भाव 2250 से 2280 रुपये और विजयनगर में 2,300 रुपये तथा गोलवाला में 2,200 से 2,270 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
राजस्थान के खैरथल में मंगलवार को बिनौला के भाव 2400 से 2450 रुपये प्रति क्विंटल पर टिक गए। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर मिलों की बिकवाली कम हो गई, जबकि खाद्य तेलों के दाम अभी तेज ही बने रहने का अनुमान है। तेल के भाव बढ़े होने के कारण इस बार बिनौला की खपत ज्यादा हो रही है। इसलिए बिनौला में प्लांटों की मांग आगे और बढ़ेगी, जिससे इनके भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है।

बढ़े भाव में मांग कमजोर होने से चावल के साथ ही बासमती धान के दाम स्थिर

नई दिल्ली। चावल मिलों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली की नरेला मंडी में धान के दाम स्थिर हो गए, जबकि उत्पादक मंडियों में आवकों में कमी आई है। इस दौरान बासमती चावल के दाम भी रुक गए।

व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों ने सोमवार को भाव बढ़ाये थे, लेकिन हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बढ़े हुए भाव में व्यापार कम रहा। दिल्ली की नरेला मंडी में मंगलवार को धान की आवक घटकर 10 से 12 हजार बोरियों की ही हुई, जबकि स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण पूसा 1,121 धान के दाम 2900 से 3210 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। व्यापारियों ने बताया कि स्थानीय मिलों ने सीमित मात्रा में ही खरीद की, तथा किसानों के आंदोलन के कारण रास्ते बंद होने की वजह से बाहर की चावल मिले खरीद कम रही है। उन्होंने बताया कि बाहर की वहीं चावल मिलें धान खरीद रही हैं, जिनके गोदाम दिल्ली में है।
भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 422.01 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 21.93 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में 346.10 लाख टन धान की खरीद ही हुई थी। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 202.77 लाख टन की है, जोकि कुल खरीद का 48.05 फीसदी है।
हरियाणा से धान की एमएसपी पर 56.13 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 40.41 लाख टन और तेलंगाना से 34.44 लाख टन तथा छत्तीसगढ़ से 28.83 लाख टन धान की खरीद हुई है। अन्य राज्यों में ओडिशा से 13.13 लाख टन, मध्य प्रदेश से 10.48 लाख टन, उत्तराखंड से 9.80 लाख टन और आंध्रप्रदेश से 7.83 लाख टन तथा तमिलनाडु से 5.30 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जा चुका है।

बासमती चावल की कीमतों में सोमवार को 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई थी, लेकिन बढ़े दाम पर ​निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को दाम स्थिर हो गए। जानकारों के अनुसार किसानों के आंदोलन के कारण बासमती चावल में व्यापार काफी कम हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 27.44 लाख टन का हो चुका है जबकि ​वित्त वर्ष 2019-20 में कुल निर्यात 44.54 लाख टन का ही हुआ था, अत: आगामी महीनों में भी निर्यात की यही गति बनी रही तो कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में ज्यादा ही होने का अनुमान है।

21 दिसंबर 2020

स्टॉकिस्टों की मांग से बासमती धान 100 रुपये तक तेज, सरकारी खरीद 415 लाख टन केे पार

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की नीचे दाम में खरीद बढ़ने के साथ ही मंडियों में आवक कम होने से सोमवार को बासमती धान की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार बीते सप्ताह में धान के भाव में 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया था, लेकिन नीचे दाम पर ​स्टॉकिस्टों के साथ ही किसानों की बिकवाली कम हो गई, जिससे मंडियों में दैनिक आवक भी कम हो गई।  
​हरियाणा की करनाल मंडी में सोमवार को धान की आवक पांच से छह हजार बोरियों की ही हुई जबकि जिले की सभी मंडियों में कुल आवक घटकर 22 से 25 हजार बोरियों की ही रह गई, जबकि बीते सप्ताह के आरंभ में आवक 70 से 80 बोरियों की हो रही थी। मंडी में सोमवार को पूसा 1,121 धान की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 2950-3200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों के साथ ही किसानों की बिकवाली कम हो गई है, जिससे भाव में सुधार आया है। हालांकि उन्होंने माना कि अभी उत्पादक राज्यों में धान का बकाया स्टॉक अच्छा है, तथा किसानों का आंदोलन समाप्त होने के बाद फिर से आवकों में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। मंडी में ट्रेडिशनल बासमती धान के भाव में आज 50 रुपये की तेजी आकर भाव 4,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 415.37 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 21.56 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में 341.68 लाख टन धान की खरीद ही हुई थी। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 202.77 लाख टन की हैए जोकि कुल खरीद का 48.81 फीसदी है। हरियाणा से धान की एमएसपी पर हुई कुल खरीद में हिस्सेदारी 13.5 फीसदी है।

दिल्ली में उड़द और मसूर की कीमतों में गिरावट, अरहर के दाम रुक

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर के दाम स्थिर रहे लेकिन ग्राहकी कमजोर रही।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7300 रुपये और 8300 से 8,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हाजिर में स्टॉक कम होने के बावजूद भी कीमतों में ​मंदा बना हुआ है। इसी प्रकार, महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के साथ-साथ मध्य प्रदेश लाईन की पुरानी नेफेड द्वारा खरीदी हुई उड़द की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,700 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

हाजिर बाजार में आयातित स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को मुंबई, दिल्ली, चेन्नई तथा कोलकाता के बाजारों में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, दाल मिलों की सीमित खरीद के साथ ही आवक ज्यादा होने से प्रमुख बाजारों में क्वालिटीनुसार नई देसी उड़द की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। आयात बढ़ने के साथ ही दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के भाव में 25-50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया। चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। दाल मिलों की मांग कमजोर होन से सोमवार को मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही मुंबई बाजार में ऑस्ट्रेलिया के साथ कनाडा की क्रिमसन मसूर की कीमतों में 25 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह से, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के प्रमुख बाजार में स्थानीय मिलों की सीमित मांग से देसी मसूर की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में पुरानी और नई अरहर की कीमतें क्रमश: 5,500 रुपये और 5,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। इसी तरह से चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतें 5400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। आयात बढ़ने के साथ ही उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना।
इस बीच, 19 दिसंबर, 2020 को महाराष्ट्र में नेफेड ने 5,500-5,901 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 500 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को मंजूरी दी।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 143 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 93 रुपये नरम रहे।

वायदा में आई मंदी से देश के अधिंकाश राज्यों में दोपहर बाद कॉटन में भारी गिरावट

नई दिल्ली। कई देशों में कोरोना लहर होने से देसी और विदेशी बाजार में आई गिरावट से दोपहर बाद देश के अधिकांश राज्यों में कॉटन की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार कोरोना वैक्सीन के प्रभावी होने के संदेह में बाजारा में मंदा आया है।  
उत्तर भारत में दाम 35 से 40 रुपये प्रति मन घटे
पंजाब में 28 प्लस एमएम कपास के दाम दोपहर बाद घटकर 4310 से 4350 रुपये प्रति मन बोले गए, जबकि हरियाणा में 28एमएम के भाव 4270 से 4315 रुपये प्रति मन रह गए। ऊपरी राजस्थान में 27.5 से 28 प्लस एमएम कपास का भाव घटकर 4300 से 4340 रुपये प्रति मन रह गया। लोअर राजस्थान में दोपहर बाद 28/29 एमएम कॉटन में व्यापार 39800 से 41400 रुपये प्रति कैंडी की दर पर हुआ।
गुजरात में कॉटन के दाम 300 से 400 रुपये टूटे
गुजरात की मंडियों में दोपहर बाद कॉटन की कीमतों में 300 से 400 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया। मंडियों में 75 आरडी नई कॉटन के भाव 41800 से 42100 रुपये और 74 आरडी का व्यापार 41200 से 41500 रुपये प्रति कैंडी की दर से हुआ।
मध्य प्रदेश में भी 300 से 400 रुपये का मंदा
मध्य प्रदेश की मंडियों में नई कॉटन आरडी 75 के भाव दोपहर बाद घटकर 41800 से 42300 रुपये, और आरडी 74 कॉटन के भाव 40700 से 41400 रुपये प्रति कैंडी बोले गए।
महाराष्ट्र में कॉटन 300 से 400 रुपये घटी
महाराष्ट्र की मंडियों में बिकवाली ब​ढ़ने से दोहपर बाद कॉटन के भाव में गिरावट आई। राज्य की मंडियों में 30एमएम आरडी 75 किस्म की कॉटन का भाव नागपुर लाइन में 42800 से 43000 रुपये और 29/29.5एमएम में आरडी 75 किस्म की कॉटन का 41700 से 42300 रुपये प्रति कैंडी बोले गए।  
दक्षिण भारत के राज्यों की मंडियों में दोपहर के बाद कॉटन की कीमतें सुबह के मुकाबले नरम रही, कपास के साथ ही बिनौला और कपास खली के दामों में भी गिरावट दर्ज की गई।

स्टॉकिस्टों की बिकवाली से उत्तर भारत में बिनौला एवं कपास खली में 25-50 रुपये का मंदा

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से सोमवार को उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला और कपास खल की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। जानकारों के अनुसार कई देशों में कोरोना की लहर के असर से आज देश के सभी प्रमुख बाजारों में हाजिर मांग पर असर पड़ा है। खाद्य तेलों की कीमतों में मंदा आने से बिनौला और कपास खल में भी ग्राहकी कमजोर देखी गई, इसलिए हल्की गिरावट और भी बन सकती है।
हरियाणा के आदमपुर में सोमवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 50 रुपये घटकर 2650 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान कपास खली के भाव में भी 30 रुपये का मंदा आकर भाव 2200 से 2370 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सिरसा में आज बिनौला के भाव में 30 रुपये का मंदा आकर भाव 2750 से 2,760 रुपये, कलवानी में 30 रुपये घटकर भाव 2,750 से 2,760 रुपये तथा ऐलनाबाद में 30 रुपये घटकर भाव 2800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। राजस्थान की अलवर मंडी में आज बिनौला के भाव 2525 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। पंजाब भटिंडा मंडी में सोमवा को बिनौला के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 2730 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
हरियाणा के सिरसा में सोमवार को कपास खली के दाम 2270 से 2320 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, जबकि कैथल में भाव 2,450 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे, लेकिन ग्राहकी कमजोर थी। राजस्थान के सादुल शहर में कपास खली के भाव में 30 रुपये का मंदा आकर भाव 2250 से 2270 रुपये और विजयनगर में 2,300 प्रति क्विंटल रह गए।
राजस्थान के खैरथल में सोमवार को बिनौला के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 2400 से 2450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार कई देशों कोरोना की दूसरी लहर का असर आज खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ा है, जिस कारण प्लांटों की मांग बिनौला में कमजोर रही। माना जा रहा है कीमतों पर दबाव है, इसलिए हल्की गिरावट और भी बन सकती है।

18 दिसंबर 2020

चीनी का एमएसपी नहीं बढ़ाएगी सरकार, निर्यात सब्सिडी में बढ़े एफआरपी की भी भरपाईः गोयल

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) नहीं बढ़ाया जाएगा। केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि चीनी का एमएसपी बढ़ाकर उद्योग को सहारा देना उचित नहीं है। उल्लेखनीय है कि चीनी का एमएसपी 31 रुपये से बढ़ाकर 33 रुपये किए जाने का प्रस्ताव काफी समय से लंबित था।

उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के 86वीं वार्षिक आम सभा को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि एमएसपी संस्थागत स्वरूप देना खुले बाजार के सिद्धांत और उपभोक्ता हित के खिलाफ है। उद्योग को देश की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए चीनी का पर्याप्त उत्पादन करना चाहिए ताकि बाजार में भाव उचित स्तर पर बना रहे। अत्यधिक उत्पादन करके एमएसपी के जरिये भाव को नियंत्रित करना ठीक नहीं है।

उद्योग की खराब वित्तीय स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग को अतिरिक्त गन्ने से एथनॉल बनाने पर ध्यान देना चाहिए। वे सिर्फ एथनॉल बनाने वाले प्लांट भी लगा सकते हैं। देश में अभी पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने की व्यवस्था है। इस अनुपात को 20 और 30 फीसदी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि 70-80 साल पुरान चीनी मिलों के लिए उद्योग को नसीहत दी कि उसे आधुनिकीकरण की राह पर चलना चाहिए। अच्छे प्लांटों से उनका लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा।

गोयल ने कहा कि उद्योग को सब्सिडी के लिए सरकार की ओर नहीं देखना चाहिए बल्कि अपने लिए फायदेमंद बिजनेस मॉडल विकसित करना चाहिए। फिर भी सरकार ने उद्योग की तात्कालिक दिक्कतों को सुलझाने के लिए बकाया सब्सिडी के भुगतान के लिए 5360 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इसके अलावा नए सीजन में निर्यात परिवहन सब्सिडी के तौर पर 3500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस साल गन्ने का फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) 275 रुपये से बढ़ाकर 285 रुपये प्रति क्विंटल किया गया था। इस वित्तीय भार की भी भरपाई निर्यात सब्सिडी में ही कर दी गई है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू भाव के बीच अंतर से कहीं ज्यादा सब्सिडी 6000 रुपये प्रति टन को मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकर एक तरह के एथनॉल खरीद में भी उद्योग को अप्रत्यक्ष सब्सिडी दे रही है क्योंकि तेल कंपनियों के द्वारा चीनी मिलों से से एथनॉल खरीद का मूल्य उनकी लागत से कहीं ज्यादा तय किया गया है।

नवंबर में डीओसी का निर्यात 59 फीसदी बढ़ा, सोया डीओसी का ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। नवंबर महीने में डीओसी के निर्यात में 59 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 331,171 टन का हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में केवल 208,401 टन का ही निर्यात हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 8 महीनों में डीओसी के निर्यात में 12 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 1,948,699 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 1,734,872 टन का ही हुआ था। एसईए के अनुसार नवंबर में सोया डीओसी के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है, जबकि चालू वित्त वर्ष में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसी और राइसब्रान डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
एसईए के अनुसार अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में डीओसी की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव नवंबर में बढ़कर 495 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 470 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का भाव अक्टूबर के 242 डॉलर के मुकाबले नवंबर में बढ़कर 294 डॉलर प्रति टन हो गया। चालू वित्त वर्ष में बंगलादेश एक नया आयातक बनकर उभरा है, तथा बंगलादेश ने कुल 259,817 टन डीओसी का आयात किया हैं। इसके अलावा वियतनाम, यूएसए और ताइवान को निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, जबकि दक्षिण कोरिया और थाइलैंड को निर्यात में कमी आई है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर और उड़द में गिरावट

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर और उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में पुरानी अरहर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान नई अरहर की कीमतें दिल्ली में 5,650 से 5,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। दूसरी ओर चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 75 रुपये का मंदा आकर भाव 5550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
आयात बढ़ने के साथ ही उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना। नेफेड लगातार अरहर नीचे दाम पर बेच रही हैए जिससे अरहर के हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव और बढ़ा है।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7400 रुपये और 8500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। चेन्नई और मुंबई में अरहर की कीमतों में आई गिरावट का असर दिल्ली में देखा गया।

हाजिर बाजार में आयातित स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की मांग कमजोर होने से शुक्रवार को मुंबई, दिल्ली और चेन्नई में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

दूसरी ओर, दाल मिलों की सीमित खरीद के साथ ही आवक ज्यादा होने से प्रमुख बाजारों में क्वालिटीनुसार नई देसी उड़द की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। 

दाल मिलों की मांग कमजोर होन से शुक्रवार को मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही मुंबई और कोलकाता के बाजारों में ऑस्ट्रेलिया के साथ कनाडा की क्रिमसन मसूर के भाव स्थिर बने रहे।

दूसरी ओर,  उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजार में स्थानीय मिलों की सीमित मांग से देसी मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 28 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 33 रुपये नरम रहे।

गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई बढ़ी, मोटे अनाजों की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई आगे चल रही है जबकि मोटे अनाजों की बुआई पिछे रही है। रबी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 564.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 539.15 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 294.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 278.65 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 140.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 132.09 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 97.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 88.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 15.31 लाख हेक्टेयर में, मटर की 9.78 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 4.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 14.62 लाख हेक्टेयर में, 10.04 लाख हेक्टेयर और 4.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
सरसों की बुआई आगे, मूंगफली और अलसी की कम
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 76.99 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 72.48 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 69.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 64.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 3.08 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 3.36 और 2.71 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई पिछे
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 41.28 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 43.48 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 23.89 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 25.08 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 10.44 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 11.09 और 6.82 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 12.46 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक केवल 11.39 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।

17 दिसंबर 2020

बढ़े भाव में यार्न मिलों की मांग कम होने से उत्तर भारत में कॉटन के दाम रुके, दैनिक आवक भी स्थिर

 नई दिल्ली। बढ़ी हुई कीमतों में यार्न मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कम होने से गुरूवार को उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम रुक गए, जबकि दैनिक आवक भी स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार विदेशी बाजार में चल रही तेजी से चालू सप्ताह के पहले तीन दिनों में इन राज्यों में कॉटन के दाम लगातार तेज हुए थे।

आईसीई कॉटन मार्च वायदा के भाव लगातार तीसरे दिन बढ़कर बंद हुए, बुधवार को इसके भाव में 0.08 फीसदी की तेजी आकर भाव 75.65 सेंट पर पहुंच गए जबकि मंगलवार और सोमवार को इसके भाव में तेजी आई थी। पिछले पांच दिनों में आईसीई वायदा में कॉटन की कीमतों में 3.56 फीसदी की तेजी आ चुकी है। जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में कपास की कीमतों में लगातार तेजी बनी हुई है, बुधवार को भी हल्की तेजी के साथ बंद हुआ। व्यापारी गुरूवार को जारी होने वाली निर्यात एवं बिक्री की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है। माना जा रहा है कि विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में और सुधार आयेगा, जिससे घरेलू बाजार में भी दाम तेज बने रहने का अनुमान है।

कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडियाए सीसीआई अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 51,79,479 गांठ कॉटन की खरीद कर चुकी है तथा बुधवार को सीसीआई ने एक दिन में 1,92,866 गांठ की खरीद की। सूत्रों के अनुसार सीसीआई पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तथा मध्य प्रदेश और तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के साथ ही गुजरात एवं महाराष्ट्र के अलावा उड़ीसा की मंडियों से भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास की खरीद कर रही है।

उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की आवक आज 37,000 गांठ की हुई जबकि बुधवार को भी आवक इतनी ही गांठ की हुई थी। पंजाब की मंडियों में आज 8,000 गांठ, हरियाणा की मंडियों में 15,000 गांठ और ऊपरी राजस्थान की मंडियों में 14,000 गांठ की आवक हुई। इन राज्यों के अधिकांश क्षेत्रों में घना कोहरा छाया रहा जिस कारण आवकों में कमी आई।

कपास के भाव इन राज्यों की मंडियों में आज 4600 से 5550 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौले में 2700 से 2850 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार हुआ। सीसीआई ने कपास की खरीद 12 फीसदी नमी युक्त मालों की 5496 रुपये और 8 फीसदी नमी युक्त मालों की 5725 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

पंजाब में 28एमएम कपास का दाम 4340 से 4380 रुपये प्रति मन, जोकि कैंडी के हिसाब से 41350 से 41750 रुपये रहे। हरियाणा में 28एमएम का भाव 4320 से 4360 रुपये प्रति मन जोकि कैंडी के हिसाब से 41150 से 41550 रुपये रहे। ऊपरी राजस्थान में 27.5 से 28 प्लस एमएम कपास का भाव 4320 से 4360 रुपये प्रति मन जबकि कैंडी के हिसाब से 41150 से 41550 रुपये रहे।

निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों मांग कमजोर होने से बासमती चावल में गिरावट जारी

नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से बासमती चावल में गुरूवार को भी गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली के नया बाजार में बासमती चावल की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक का मंदा आया। पिछले सप्ताह स्टॉकिस्टों ने दाम तेज किए थे लेकिन बढ़े भाव में मुनाफावसूली से गिरावट बनी हुई है।
दिल्ली के नया बाजार के चावल कारोबारी ने बताया कि स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि बढ़े भाव में निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्ट खरीद कम कर रहे हैं, जबकि उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक चालू सप्ताह में बढ़ी है, जिससे कीमतों पर दबाव आया है। उन्होंने बताया कि पूसा 1,121 बासमती चावल सेला की कीमतों में पिछले तीन, चार दिनों में करीब 400 से 500 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आ चुका है। माना जा रहा है कि कमजोर मांग से मौजूदा में हल्की गिरावट और भी आयेगी।

चालू पेराई सीजन के पहले ढ़ाई महीने में चीनी का उत्पादन 61 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चीनी मिलों में जल्द पेराई शुरू होने से चालू पेराई सीजन 2020-21 के पहले ढाई महीनों पहली अक्टूबर से 15 दिसंबर 2020 तक चीनी का उत्पादन 61.03 फीसदी बढ़कर 73.77 लाख टन को हो चुका है जबकि पिछले सीजन में इस दौरान केवल 45.81 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा ) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 460 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 412 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 118 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा 15 दिसंबर 2020 तक राज्य में 22.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 21.25 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर 2020 तक 26.96 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 7.66 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 173 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 124 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी। कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर तक 16.65 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 10.62 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में 64 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है।
गुजरात में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 2.40 लाख टन और तमिलनाडु में 80 हजार टन चीनी का उत्पादन चालू पेराई सीजन में हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 1.52 लाख टन और 73 हजार टन का ही उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में चालू पेराई सीजन में 4.36 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.03 लाख टन से ज्यादा है।
केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मिलों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का निर्णय किया है, इससे आगे निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। इस्मा के अनुसार इस समय इंडोनेशिया के साथ ही मलेशिया की चीनी में आयात मांग बनी हुई है।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में अरहर और उड़द में गिरावट

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर और उड़द की कीमतों में गिरावट आई।
दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में अरहर पुरानी और नई की कीमतों में आज दिल्ली में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 5700 रुपये और 5600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी ओर चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतें 5525 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। आयात बढ़ने के साथ ही उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव बना। नेफेड लगातार अरहर नीचे दाम पर बेच रही हैए जिससे अरहर के हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव और बढ़ा है।
बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7450 से 7475 रुपये और 8550 से 8575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। चेन्नई में हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी मांग कमजोर देखी गई।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 39 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव 19 रुपये नरम रहे।

16 दिसंबर 2020

दिल्ली में अरहर और मद्रास की राजमा में मंदा, मसूर के भाव में सुधार

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में मद्रास लाईन की राजमा के साथ ही अरहर के आगे सौदों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं मिलों की ताजा मांग निकलने से मध्य प्रदेश की मसूर के भाव में सुधार आया।
दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में अरहर पुरानी और नई की कीमतें दिल्ली में आज क्रमशः 5,800 रुपये और 5,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। दूसरी ओर चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 75 रुपये का मंदा आकर भाव 5,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
आयात बढ़ने के साथ ही उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से अरहर की कीमतों पर दबाव बना जबकि नेफेड लगातार अरहर नीचे दाम पर बेच रही है, जिससे अरहर के हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव और बढ़ा है। नेफेड ने 15 दिसंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 5,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 1,220 टन अरहर खरीफ 2019 की निविदा को मंजूरी दी।
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के भाव में लगातार दूसरे दिन 25 प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, हालांकि आयातित मसूर लगातार आ रही है, तथा कनाडा की मसूर के दाम स्थिर बने रहे।
मुंबई, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर ऑस्ट्रेलिया के साथ-साथ कनाडा की क्रिमसन मसूर के भाव में बुधवार को 10-25 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।  इसी प्रकार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बाजार में स्थानीय मिलों की मांग बढ़ने से देसी मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।
मद्रास लाईन की शर्मिली राजमा cleaned/uncleaned में ग्राहकी कमजोर होने से दिल्ली मेें 200-300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 44 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि जनवरी वायदा अनुबंध में इसके भाव 55 रुपये तेज रहे।
लारेंस रोड़ पर चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर राजस्थान लाईन के भाव 4,925 से 4,950 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के दाम 4,900 से 4,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
मूंग के दाम दिल्ली में 6,500 से 7,800 रुपये और मोठ के दाम 5,500 से 6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
उड़द के दाम प्रमुख बाजारों में लगभग स्थिर बने रहे।

केंद्र सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात पर सब्सिडी की दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लंबे समय के बाद चीनी पर निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। सरकार 6,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी देगी। नए मार्केटिंग सीजन 2020-21 के ​लिए सब्सिडी जनवरी से शुरू होगी। अभी मिलों को पिछले साल के लिए दी गई सब्सिडी पर चीनी दिसंबर तक निर्यात करने की अनुमति दी गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आज कैबिनेट ने 6000 रुपये प्रति टन सब्सिडी के प्रस्ताव हो मंजूरी दी है। सरकार नए सीजन में कुल 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी देगी। इस तरह सरकार उद्योग को कुल 3500 करोड़ रुपये की सब्सिडी देगी। पहले 9500 रुपये प्रति टन सब्सिडी देने का प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन वित्त मंत्रालय ने इस पर आपत्ति लगाकर प्रस्ताव लौटा दिया था।
इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के भाव सुधरने के कारण 6000 रुपये प्रति टन सब्सिडी में ही भारतीय मिलों के लिए निर्यात करना फायदेमंद हो जाएगा। लंदन में व्हाइट शुगर के भाव करीब 15-20 डॉलर घटने के बाद भी मंगलवार को 392.5 डॉलर प्रति टन पर बंद हुए। भारतीय मुद्रा में इसका भाव 2900 रुपये प्रति क्विंटल बैठता है। जबकि भारतीय बाजार में भाव 3100-3200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं। इस तरह 600 रुपये प्रति क्विंटल सब्सिडी मिलों के लिए निर्यात करना संभव है।
पिछले साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के भाव नीचे होने के कारण सरकार ने 1,045 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी दी थी तथा देश के करीब 58 लाख टन चीनी का संभव हो पाया, जानकारों के अनुसार चालू पेराई सीजन में भी 45 से 50 लाख टन ​चीनी का निर्यात होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि सरकार ने इस फैसले से महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों को निर्यात पैरिटी लगेगी, जिससे मौजूदा भाव में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।

15 दिसंबर 2020

चीनी के दाम लगभग स्थिर, निर्यात सब्सिडी के लिए नए प्रस्ताव पर नजर

नई दिल्ली। कमजोर मांग और आवक ज्यादा होने से मंगलवार को चीनी के दाम लगभग स्थिर बने रहे। बाजार सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर चालू पेराई सीजन के लिए 6,000 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी के नए प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है, जबकि इससे इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने 9,500 रुपये प्रति टन की सब्सिडी के प्रस्ताव को लौटा दिया था।
बाजार के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चीनी के निर्यात पर सब्सिडी के नए प्रस्ताव को अंतिम रुप दे दिया है, ​तथा इस पर आम सहमति भी बन चुकी है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में इस पर निर्णय हो जायेगा। व्यापारियों के अनुसार प्रस्तावित सब्सिडी से भारतीय चीनी के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात पड़ते लगने शुरू हो जायेंगे, क्योंकि पिछले दो सप्ताह में 20-22 डॉलर प्रति टन की गिरावट आकर विश्व बाजार में व्हाइट शुगर का भाव लगभग 390 डॉलर प्रति टन रह गया।

दिल्ली में अरहर में मंदा, मसूर के भाव में तेजी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के हाजिर और आगे सौदों में गिरावट दर्ज की गई। वहीं मिलों की ताजा मांग निकलने से मसूर के भाव में सुधार आया।
महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में नई फसल की बढ़ने के साथ ही विदेश से आयात ज्यादा हो रहा है, जबकि दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में अरहर पुरानी और नई की कीमतो में दिल्ली में आज 50 से 100 रुपये प्रति​ क्विंटल की गिरावट आकर भाव क्रमशः 5,800 से 5,850 रुपये और 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दूसरी ओर चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इस बीच, नेफेड ने 14 दिसंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 5,100-5,611 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 1,938 टन अरहर खरीफ 2019 की निविदा को मंजूरी दी।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर में 25-100 प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, हालांकि मसूर का आयात लगातार बढ़ रहा है। दिल्ली में मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के भाव बढ़कर 5,500 रुपये और कनाडा लाईन की मसूर के भाव 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बर्मा उड़द एफएक्यू के भाव आज दिल्ली में 7,475 रुपये और एसक्यू के भाव 8,625 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।  

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 51 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि जनवरी वायदा अनुबंध में इसके भाव 41 रुपये तेज रहे।

निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की कमजोर मांग से बासमती चावल में मंदा

नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से सोमवार को बासमती चावल की कीमतों में क्वालिटीनुसार 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार बीते सप्ताह पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली की नया बाजार में बासमती चावल के दाम तेज हुए थे लेकिन बढ़े भाव में मांग टिक नहीं पाई। हालांकि चालू वित्त ​वर्ष 2020-21 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 33 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, ऐसे में माना जा रहा है कि आगे निर्यातकों की मांग में फिर सुधार आने की उम्मीद है।
नया बाजार के व्यापारियों ने बताया कि बढ़े भाव में निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग स्थिर नहीं रह पाई, जिस कारण आज भाव में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई। उन्होंने बताया कि चालू महीने में उत्पादक मंडियों में धान की आवक अच्छी रहेगी, जबकि अगले से आवकों में कमी आने का अनुमान है। इसलिए चालू महीने में बासमती चावल की कीमतों में भी सीमित तेजी, मंदी ही संभावना है।

नवंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात दो फीसदी घटा

नई दिल्ली। नवंबर महीने में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 2 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 1,102,899 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में 1,127,220 टन का आयात हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नवंबर में खाद्य तेलों का आयात 1,083,329 टन का और 19,570 टन अखाद्य तेलों का आयात हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में खाद्य तेलों का आयात 1,100,424 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 26,796 टन का हुआ था।
एसईए के अनुसार विश्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में तेजी आई है। भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव नवंबर में बढ़कर 896 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 798 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पाम तेल का भाव नवंबर में बढ़कर 873 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका भाव 774 डॉलर प्रति टन था। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव अक्टूबर के औसत भाव 879 डॉलर से बढ़कर नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर 991 डॉलर प्रति टन हो गया।

14 दिसंबर 2020

चना, अरहर और उड़द में गिरावट, आयातित मसूर में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को चना, अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों गिरावट दर्ज की गई। देशभर की मंडियों में मसूर की कीमतों में भी मंदा देखा गया।

महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में नई फसल की बढ़ने के साथ ही विदेश से आयात ज्यादा हो रहा है, जबकि दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में अरहर पुरानी और नई की कीमतें दिल्ली में आज क्रमशः 5,800 रुपये और 5,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। दूसरी ओर चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू/एसक्यू में दाम मिलों की खरीद कमजोर होने से दिल्ली में 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर रही, जबकि चेन्नई में हाजिर स्टॉक कम होने से सुधार आया।
मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही मुंबई में ऑस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा की क्रिमसन मसूर की 25-50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, कमजोर मांग से देसी मसूर के दाम स्थिर हो गए। मध्यप्रदेश के प्रमुख बाजार में सोमवती अमावस्या के बंद होने के कारण व्यापारिक गतिविधियां कमजोर रही।
दिल्ली में चना के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर राजस्थान लाईन के चना के दाम 4,875 रुपये, एवं मध्यप्रेश लाईन के चना के दाम 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कानपुर में मध्य प्रदेश के चना के भाव 25 रुपये घटकर 4,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
मसूर एमपी और यूपी लाइन के भाव कानपुर में 5,450 रुपये, मटर के भाव 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इनमें 50 रुपये का सुधार आया।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को प्रमुख मंडियों में मूंग की कीमतें लगभग स्थिर बनी रही। सोमवती अमावस्या के कारण ज्यादातर बाजार बंद होने के कारण व्यापारिक गतिविधियां कमजोर रही।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 46 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि जनवरी वायदा अनुबंध में इसके भाव 24 रुपये नरम रहे।

बिनौला और कपास खल में हाजिर मांग बढ़ी, आगे कीमतों में तेजी की उम्मीद

नई दिल्ली। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में सोमवार को बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में हाजिर मांग अच्छी रही, जिससे इनके भाव में मिलाजुला रुख देखा गया। व्यापारियों के अनुसार बिनौला में पेराई वालों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग अच्छी है, जिससे आगे इनके भाव में तेजी ही आने का अनुमान है। सीसीआई ने सोमवार को जहां हरियाणा में बिनौला के बिक्री भाव में कटौती की, वहीं राजस्थान में दाम 20 रुपये घटा दिए, जबकि पंजाब में भाव स्थिर रखे।
सूत्रों के अनुसार कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने हरियाणा के सिरसा में सोमवार को 2,580 से 2,680 रुपये के भाव पर 20,600 टन बिनौला की बिक्री की, जबकि शनिवार को बिक्री भाव 2600 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल था। पंजाब के भठिंडा में निगम ने आज 2750 से 2,820 रुपये की दर पर 2514 टन बिनौला बेचा, जबकि शनिवार को भी इसी भाव पर बिक्री की थी। राजस्थान के श्रीगंगानगर में सोमवार को सीसीआई ने 2,770 से 2,820 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 5,370 टन बिनौला बेचा, जबकि 2750 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल की से बिक्री की थी। भीलवाड़ा में आज 2,470 से 2,670 रुपये के भाव पर 2,640 टन और इंदौर में 2,200 से 2,450 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 9,650 टन बिनौला बेचा। औरंगाबाद में 2,250 से 2,450 रुपये के भाव पर 11,420 टन बिनौले की बिक्री की।
हरियाणा के आदमपुर में सोमवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 2725 से 2775 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम 2250 से 2400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हरियाणा के सिरसा में सोमवार को बिनौला के भाव 20 रुपये बढ़कर 2,700 से 2,750 रुपये, कलवानी में 2,775 रुपये और ऐलनाबाद में 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। राजस्थान के अलवर में बिनौला के भाव सोमवार 2500 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि पंजाब के भटिंडा में 30 रुपये बढ़कर 2,750 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
हरियाणा के कैथल में सोमवार को कपास खली के दाम 10 रुपये बढ़कर 2520 से 2590 रुपये, उचाना में 2380 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
राजस्थान के खैरथल में सोमवार को बिनौला के भाव 2550 से 2600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में मौजूदा भाव में मांग अच्छी है। स्टॉकिस्टों के साथ ही प्लांट वाले खरीद ज्यादा कर रहे हैं, इसलिए आगे इनके भाव में तेजी ही आने का अनुमान है।

12 दिसंबर 2020

दिल्ली में अरहर की कीमतों में मंदा, आयातित उड़द में मांग कमजोर

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शनिवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर में गिरावट दर्ज की गई। चना की कीमतों में हल्का सुधार आया, लेकिन आयातित उड़द में मंदा देखा गया।

दाल मिलों की कमजोर मांग से हाजिर बाजार में अरहर पुरानी और नई की कीमतों में दिल्ली में आज 50 रुपये का मंदा आकर भाव क्रमशः 5800 से 5850 रुपये और 5900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी प्रकार से चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए लेमन अरहर की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
इस बीच, नेफेड ने 11 दिसंबर, 2020 को महाराष्ट्र में 5800 से 6201 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 660 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को स्वीकार किया।

शनिवार को चेन्नई में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। दाल मिलों की खरीद सीमित मात्रा में होने एवं उत्पादक मंडियों में आवक अच्छी होने के कारण घरेलू बाजारों में नई उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

इसी बीच, नई उड़द की अवक आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिलें में शुरू हो गई है। ओंगोले प्रकाशम जिले के आसपास के क्षेत्रों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है। हाल ही में हुई बेमौसम बारिश के कारण नए मालों में नमी मात्रा 15 से 17 प्रतिशत है तथा क्वालिटी भी हल्की है। अगले सप्ताह दैनिक आवकों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। नेल्लोर जिले में अगले महीने जनवरी 2021 से नई उड़द की आवक शुरू होने की संभावना है तथा उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है।

चना के भाव दिल्ली के लारेंस रोड़ पर राजस्थान के भाव 4,925 रुपये और मध्य प्रेश के चना के भाव 4,900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। इंदौर में चना 4,825 रुपये और जयपुर में 4,800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गया। अकोला में चना के भाव 4,700 से 4,750 रुपये, लातूर में 4,850 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मसूर के भाव दिल्ली में 5,425 से 5,450 रुपये, बरेली में छोटी मसूर 6,800 रुपये तथा मोटी मसूर के भाव 5,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में मसूर के भाव 5,000 से 5,050 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मूंग के भाव दिल्ली में आज 6500 से 7550 रुपये, इंदौर में एवरेज माल के 5,500 से 6,500 रुपये, बेस्ट माल के 7,200 से 7,500 रुपये तथा जयपुर में 7,630 से 7,350 रुपये बोले गए।

10 दिसंबर 2020

उत्तर भारत में सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव बढ़ाये, हाजिर में तेजी जारी

नई दिल्ली। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने गुरूवार को उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला के बिक्री भाव में 30 से 60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की जबकि हाजिर बाजार में लगातार दूसरे दिन दाम तेज रहे। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की मंडियों में बिनौला और कपास खल की कीमतों में गुरूवार 20 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। बुधवार को भी हाजिर बाजरा में दाम 50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़े थे।

 सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने हरियाणा के सिरसा में गुरूवार को 2,580 से 2,680 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 32,440 टन बिनौला की बिक्री की, जबकि बुधवार को 2,550 से 2,690 रुपये के दर पर बिनौला बेचा था। इसी तरह से पंजाब के भठिंडा में निगम ने आज 2,700 से 2,750 रुपये के भाव पर 8,085 टन बिनौला बेचा जबकि बुधवार को बिनौला का बिक्री भाव 2,690 रुपये प्रति क्विंटल था। राजस्थान के श्रीगंगानगर में गुरूवार को 2,680 से 2,750 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 10,500 टन बिनौले की बिक्री की जबकि बुधवार को 2,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिनौला बेचा था।

हरियाणा के आदमपुर में गुरूवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव में 50 रुपये का तेजी आकर भाव 2725 से 2775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम में 30 रुपये की तेजी आकर भाव 2230 से 2270 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हरियाणा के सिरसा में गुरूवार को बिनौला के भाव 2750 रुपये, कलवानी में 2770 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। राजस्थान के अलवर में बिनौला के भाव बढ़कर 2450 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

हरियाणा के कैथल में गुरूवार को कपास खली के दाम बढ़कर 2430 से 2580 रुपये, उचाना में कपास खली के दाम घटकर 2350 से 2460 रुपये और नरवाना में 2420 से 2460 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान के खैरथल में गुरूवार को बिनौला के भाव 50 रुपये बढ़कर 2600 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। व्यापारियों के अनुसार बिनौला में प्लांटों वालों की मांग अच्छी बनी हुई है, जबकि नीचे दाम होने के कारण कपास खल में भी बढ़ी है। इसलिए आगे इनके भाव में और भी तेजी आने का अनुमान है।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में बासमती चावल का निर्यात 33 फीसदी से ज्यादा बढ़ा, भाव में तेजी

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 33.39 फीसदी बढ़कर 27.44 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 20.57 लाख टन का ही हुआ था। बासमती चावल के निर्यात में हुई बढ़ोतरी से स्टॉकिस्टों की मांग में तेजी आई है, जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल के दाम तेज बने हुए हैं। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में गुरूवार को बासमती चावल की कीमतों में क्वालिटीनुसार 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में करीब 118 फीसदी बढ़ा है। 

हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला और स्टीम की कीमतों में 100-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव क्रमशः 5,400 और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मंडी के चावल कारोबारी संदीप गुप्ता ने बताया कि निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग में भी तेजी बनी हुई है। साथ ही उत्पादक मंडियों में धान की आवक कम हो गई है, जिससे तेजी को बल मिल रहा है। उन्होंने बताया कि निर्यातकों की मांग बनी रही तो मौजूदा भाव में और भी तेजी की उम्मीद है।

वाणिज्य एवं उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 18,218 करोड़ रुपये का हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 15,565 करोड़ रुपये का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 17,426 करोड़ रुपये का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 8,051 करोड़ रुपये का ही हुआ था। मात्रा के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में 61.23 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 28.10 लाख टन का ही हुआ था। 

08 दिसंबर 2020

अरहर की कीमतों में मंदा, चना में आया सुधार

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से जलगांव, रायपुर और दाहोद में मंगलवार को देसी अरहर की कीमतों में क्वालिटीनुसार 25 से 125 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के "भारत बंद" के कारण व्यापारिक गतिविधियों काफी कम रही। बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई में हाजिर डिलीवरी में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में, मोज़ाम्बिक अरहर नई गज्जरी की कीमत 4,750 रुपये, सफेद की 4,800 रुपये और लाल के 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मोजाम्बिक की नई अरहर Phatka किस्म की कीमतें 7,500 रुपये और Sava No variety 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रही। सूडान अरहर के भाव 6,350 रुपये, अरुशा अरहर के 4,750-4,800 रुपये, केन्या के 4,700 रुपये और मटवाड़ा के भाव आज मुंबई में 4,600 रुपये प्रति क्विंटल बोले जा रहे हैं।

दिल्ली में अरहर की पुरानी और नई की कीमतों में 50 से 100 रुपये रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,800 और 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसके अलावा, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतें में आज 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,625-5,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
सोलापुर में, नई लाल अरहर (कर्नाटक के बीजापुर लाईन) का व्यापार 6,400 से 6,650 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ, तथा 6 से 7 ट्रकों की आवक हुई।

दिल्ली के लारेंस रोड पर शाम को चना की कीमतों में 75 रुपये की तेजी आकर राजस्थान लाइन के चना के भाव 4,825 से 4,850 रुपये और राजस्थान लाइन के चना के दाम 4,800 से 4,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मसूर के दाम दिल्ली में 50 रुपये घटकर 5,300 से 5,325 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग के भाव में 150 रुपये का मंदा आकर भाव 6,400 से 7,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

बर्मा में लेमन अरहर के भाव नई के 700 डॉलर और पुरानी के 670 डॉलर प्रति टन रहे।

बर्मा में उड़द एफएक्यू के भाव 850 और एसक्यू के 960 डॉलर डॉलर प्रति टन रहे, इनमें क्रमश: 30 और 40 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई।

07 दिसंबर 2020

चालू सीजन के पहले दो महीनों में हुई 12 लाख गांठ कपास की निर्यात शिपमेंट

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में नवंबर अंत तक 12 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की निर्यात शिपमेंट हो चुकी है जबकि इस दौरान दो लाख गांठ का आयात भी हो चुका है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में कपास का निर्यात बढ़कर 54 लाख गांठ का होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 50 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। आयात चालू सीजन में घटकर 14 लाख गांठ का होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 15.50 लाख गांठ का हुआ था। उद्योग के अनुसार पहले दो महीनों पहली अक्टूबर से नवंबर अंत तक उत्पादक मंडियों में 91.57 लाख गांठ की आवक हो चुकी है।
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन के आरंभ में पहली अक्टूबर को 107 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि चालू सीजन में 356 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। अत: 14 लाख गांठ के आयात अनुमान को मिलाकर कुल उपलब्धता 477.50 लाख गांठ की बैठेगी। पिछले साल नई फसल की आवक के समय बकाया केवल 32 लाख गांठ का स्टॉक था, जबकि उत्पादन 360 लाख गांठ और आयात 15.50 लाख गांठ को मिलाकर कुल उपलब्धता 407.50 लाख गांठ की बैठी थी।
सीएआई के अनुसार चालू सीजन में प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कॉटन का उत्पादन गुजरात में 92 लाख गांठ और महाराष्ट्र में 85 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 95 और 87 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। इसी तरह से तेलंगाना में चालू सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल के 52 लाख गांठ से घटकर 48 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। तेलंगाना में हालांकि बुआई में तो बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश और बाढ़ से फसल को नुकसान हुआ।
अन्य राज्यों उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 60 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में कपास का उत्पादन 21 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 14, कर्नाटक में 26 लाख गांठ और तमिलनाडु में पांच लाख गांठ तथा ओडिशा में चार लाख गांठ तथा अन्य राज्यों में एक लाख गांठ होने का अनुमान है।
गुजरात की मंडियों में सोमवार 75 आरडी नई कॉटन के भाव 40,700 से 41,000 रुपये और 74 आरडी का व्यापार 40,300 से 40,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) की दर से हुआ। राज्य की मंडियों में वी-797 की कॉटन का भाव 26,500 से 26,800 रुपये प्रति कैंडी रहा। जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में बीत सप्ताह कॉटन के दाम में गिरावट आई थी, लेकिन सप्ताहांत में भाव सुधरकर बंद हुए थी। इसीलिए घरेलू बाजार में दाम रुक गए हैं। व्यापारियों के अनुसार कपास में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है तथा यार्न मिलों को पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं, इसीलिए घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में आगे सुधार ही आने का अनुमान है।

चना, अरहर, उड़द और मसूर की कीमतों में मंदा, दाल मिलों की मांग कमजोर

नई दिल्ली। चना वायदा आई गिरावट के साथ ही दाल मिलों की कमजोर मांग से सोमवार को चना के साथ ही अरहर, उड़द और मसूर की कीमतों में नरमी देखी गई। मूंग के भाव में दिल्ली में 50 रुपये का सुधार आया, लेकिन जयपुर में दाम स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की कमजोर मांग से मुंबई, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही मुंबई बाजार में ऑस्ट्रेलिया के साथ ही कनाडा की मसूर के दाम में सोमवार को 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख बाजारों में दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण क्वालिटीनुसार देसी मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। दिल्ली में, कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई।

आयातित स्टॉक हाजिर में कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को मुंबई में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। चेन्नई, दिल्ली और कोलकाता में आयातित उड़द के दाम स्थिर बने रहे। दाल मिलों की खरीद सीमित मात्रा में होने एवं उत्पादक मंडियों में आवक अच्छी होने के कारण घरेलू बाजारों में नई उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा। नेफेड ने 5 दिसंबर को मध्य प्रदेश में खरीफ 2018 की खरीदी गई उड़द 5,425-5,456 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची।

दाल मिलों की ग्राहकी कमजोर होने से आयातित के साथ ही देसी अरहर की कीमतों में सोमवार को 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।

चना की कीमतों में वायदा में आई भारी गिरावट से ​हाजिर में 125 से 150 रुपये का मंदा देखा गया।

04 दिसंबर 2020

दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई चालू रबी में बढ़ी, मोटे अनाजों की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई आगे चल रही है जबकि मोटे अनाजों की बुआई शुरूआती चरण में पिछड़ रही है। गेहूं की बुआई का रकबा भी पिछले साल की तुलना में आगे चल रहा है। रबी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 430.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 414.41 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 204.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 202.72 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 116.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 102.99 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 82.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 70.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 13.11 लाख हेक्टेयर में, मटर की 8.22 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 12.09 लाख हेक्टेयर में, 7.17 लाख हेक्टेयर और 3.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
सरसों की बुआई आगे, मूंगफली और अलसी की कम
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 67.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 63.15 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 61.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 57.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 2.12 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 1.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमश: 2.31 और 2.05 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
मोटे अनाजों में ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई पिछे
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 33 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 35.57 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 20.95 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 21.18 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 6.65 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 4.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 8.11 और 5.80 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 9.57 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक केवल 9.97 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।

मिलों की मांग बढ़ने के साथ ही दैनिक आवक कम होने से धान तेज

नई दिल्ली। चावल मिलों की मांग बढ़ने के साथ ही उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक कम होने से शुक्रवार को बासमती धान की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार किसानों का आंदोलन शुक्रवार को भी जारी रहने से पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली की नरेला मंडी में धान की आवकों में भारी कमी आई।
दिल्ली की नरेला मंडी में शुक्रवार को धान की आवक मात्र 1,000 से 1,200 हजार बोरियों की हुई जबकि पूसा 1,121 के दाम 100 रुपये बढ़कर 2675-2950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मंडी के धान व्यापारी पंकज कुमार ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण रोड़ बंद हैं, जिस कारण स्थानीय किसान ही धान लेकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंडी में धान की ज्यातर आवक पड़ौसी राज्यों खासकर के हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होती है।
हरियाणा की करनाल मंडी में शुक्रवार को धान की आवक 12 से 15 हजार बोरियों की हुई जबकि पूसा 1,121 और 1,718 धान के भाव में 100-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई। व्यापारियों के अनुसार मिलों की मांग अच्छी बनी हुई है, इसलिए धान के भाव में और भी सुधार बन सकता है।

निर्यातकों की मांग बढ़ने से बासमती चावल में तेजी, मिलों की बिकवाली कमजोर

नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने से बासमती चावल की कीमतों में शुक्रवार को 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार चीन ने हाल ही में भारत से करीब एक लाख चावल आयात करने का सौदा किया है, हालांकि यह गैर-बासमती चावल का सौदा है लेकिन निर्यातकों को उम्मीद कि आगे बासमती चावल के निर्यात सौदों में भी तेजी आयेगी। वैसे भी पंजाब और हरियाणा की मंडियों में किसानों की हड़ताल के कारण धान की आवक सामान्य की तुलना में कम हो रही है, जिससे धान के दाम भी तेज हुए हैं।
हरियाणा की करनाल मंडी के एक व्यापारी बताया कि मिलों की बिकवाली कम आ रही है, जबकि निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग बढ़ी है, इसीलिए बासमती चावल की कीमतों में तेजी आई है। उन्होंने बताया कि उत्पादक मंडियों मेंं धान के दाम भी तेज है, जिसका असर बासमती चावल की कीमतों पर पड़ा है।

दिल्ली में उड़द और अरहर के अगाऊ सौदों में तेजी, आयातित मसूर के दाम बढ़े

नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की मांग हाजिर मांग बढ़ने से शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ ही उड़द के अगाऊ सौदों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि खुदरा बाजार में दालों में ग्राहकी कमजोर ही बनी हुई है।
दिल्ली में अरहर पुरानी और नई की कीमतें क्रमश: 5,875 से 5,900 और 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। आगे के सौदों में, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतें आज 25 रुपये की तेजी आकर भाव 5,725 से 5,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
नेफेड ने महाराष्ट्र में 3 दिसंबर, 2020 को 6,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 100 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को मंजूरी दी।

बर्मा उड़द एफएक्यू/एसक्यू में दाल मिलों की नीचे दाम पर मांग निकलने से दिल्ली में भाव 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गए, क्योंकि चेन्नई और मुबई में भी इसके भाव में तेजी आने का असर रहा। इसी तरह से महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव में दिल्ली में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 7,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में मद्रास लाइन की नई चित्रा सॉर्टेक्स राजमा की आवक देखी गई, जिसका व्यापार 12000 प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

नीचे दाम पर दाल मिलों की मांग बढ़ने से शुक्रवार को मुंबई, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की क्रिमसन के साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव में 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण क्वालिटीनुसार देसी मसूर की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। मसूर के दाम में दिल्ली में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,400 से 5,425 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली मेंं चना की कीमतों में शाम को 25 रुपये का मंदा आकर लारेंस रोड पर राजस्थानी चना के दाम 4,950 से 4,975 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,925 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग के भाव में दिल्ली में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,500 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

तेलंगाना में कॉटन का उत्पादन अनुमान से 33 फीसदी कम होने की आशंका

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2020 में कर्नाटक में कॉटन का उत्पादन आरंभिक अनुमान से 33.33 फीसदी कम होने की आशंका है।
तेलंगाना कॉटन मिलर्स एंड ट्रेड वेलफेयर एसोसिएशन (टीसीएमटीडब्ल्यूए) के महासचिव के रमेश ने बताया कि चालू सीजन में राज्य में कॉटन की बुआई का क्षेत्रफल बढ़ा था, जिस कारण आरंभ में राज्य में 75 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलो) के उत्पादन अनुमान था, लेकिन पिकिंग के समय हुई बेमौसम बारिश तथा बाढ़ ने फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने बताया कि कुछ क्षेत्रों में 30 फीसदी तो कुछ में 40 फीसदी तक का नुकसान हुआ है। माना जा रहा है कि चालू सीजन में राज्य में कॉटन का कुल उत्पादन घटकर अब 50 लाख गांठ का ही होगा, जोकि पिछले साल के 55 लाख गांठ से भी पांच लाख गांठ कम है।
के रमेश ने बताया कि बेमौसम बारिश से कपास की क्वालिटी भी प्रभावित हुई है तथा नई फसल में लेंथ भी कम आ रही है, तथा पिछले पांच साल में पहली बार ऐसा हुआ है। इसीलिए हमने राज्य सरकार को इस बारे में लिखा है, ताकि किसानों को सरकारी खरीद में कम लेंथ के कारण कुछ छूट दी जा सके।
अहमदाबाद के कॉटन कारोबारी रामलाल भाटिया ने बताया कि विदेशी बाजार में कॉटन की कीमतों में आई गिरावट से घरेलू बाजार में चालू सप्ताह में कॉटन के दाम में 300 से 500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) की गिरावट आई है, लेकिन भविष्य में कॉटन के दाम विश्व बाजार में तेज ही बने रहने का अनुमान है। इसलिए घरेलू बाजार में भी आगे फिर सुधार आयेगा। आईसीई कॉटन वायदा में बुधवार को गिरावट दर्ज की गई थी, जानकारों के अनुसार अनाज बाजारों और अमेरिकी शेयर मार्केट में आई गिरावट के कारण कॉटन की वायदा कीमतों में गिरावट तो आई, ले​किन वैक्सीन पर आशावाद के चलते आगामी दिनों में कॉटन में मांग बढ़ने की ही उम्मीद है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र में भी फसल को नुकसान हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि चालू सीजन में कुल उत्पादन 350 लाख गांठ ही होने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में यार्न मिलों ने अच्छी खरीद की है, जिस कारण मिलों के पास स्टॉक अच्छा है, इसलिए मिलों की मांग में पहले की तुलना में कुछ कमी आई है, लेकिन एक तो यार्न में निर्यात पड़ते अच्छे है, दूसरा चालू सीजन में कॉटन का निर्यात भी पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है। हालांकि सीसीआई के पास कॉटन का पुराना स्टॉक ज्यादा है, जबकि सीसीआई चालू सीजन में भी अभी तक 30.97 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की खरीद कर चुकी है लेकिन सीसीआई पुरानी कॉटन के साथ ही नई की बिकवाली भी कर रही है।

देसी अरहर में मिलाजुला रुख, आयातित में मंदा, अन्य दालों में भी ग्राहकी कमजोर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से प्रमुख बाजारों में गुरूवार को देसी अरहर की कीमतों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा। हालांकि हाजिर में अरहर दाल में ग्राहकी कमजोर ही बनी रही।

नेफेड ने महाराष्ट्र में 2 दिसंबर, 2020 को 6,250-6,333 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 1390 टन खरीफ 2019 अरहर की निविदा को मंजूरी दी। बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई में हाजिर डिलीवरी में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दिल्ली में अरहर की पुरानी और नई की कीमतों में 75 रुपये रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,900-5,925 और 6,000-6,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसके अलावा, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतें आज 5,700 रुपये रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।
सोलापुर में, नई लाल अरहर (कर्नाटक के बीजापुर लाईन) का व्यापार 6,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ, तथा 42 बोरियों , एक बोरी 50 से 60 किलो की आवक हुई। मंडी में पुरानी अरहर में आज 5,800-6,250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापार हुआ है, तथा कुल आवक 5-6 ट्रकों की हुई। जालना बाजार में 4 बोरी नई अरहर की आवक हुई तथा इसका व्यापार 5,800-6000 रुपये प्रति क्विंटल की से हुआ, व्यापारियों के अनुसार नए माल हल्की क्वालिटी के थे, जबकि अच्छी क्वालिटी में सफेद अरहर का व्यापार 10 बोरियों का 6,111 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।
कर्नाटक के गुरमीतकल बाजार में, नई लाल अरहर की आवक 10 बोरियों की हुई तथा इसका कारोबार 6,901 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। एक स्थानीय व्यापारी ने बताया कि नई अरहर में नमी की मात्रा 19.5 फीसदी है।

दाल मिलों की ग्राहकी कमजोर होने से गुरूवार को कोलकाता में कनाडा की क्रिमसन मसूर के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। आयातित मसूर की उपलब्धता ज्यादा है, जबकि मसूर दाल में ग्राहकी कमजोर होने से कीमतों पर दबाव है। मध्य प्रदेश के प्रमुख बाजारों में दाल मिलों की मांग सीमित मात्रा में होने के कारण देसी मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट क्वालिटीनुसार आई। मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में कनाडा की मसूर के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की देसी मसूर के भाव में 25 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में गुरुवार को चेन्नई में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार मिलों की हाजिर मांग से कीमतों में सुधार आया।
भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी ने दक्षिण तमिलनाडु और दक्षिण केरल के लिए 'ऑरेंज अलर्ट' जारी किया गया है। चक्रवात Burevi के दक्षिण टीएन कोस्ट पर आज रात को लैंडफॉल की उम्मीद है।
दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से घरेलू बाजार में बर्मा उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार 50 रुपये प्रति क्विंटल की लगातार तीसरे दिन गिरावट आई। मिलों की सीमित खरीद होने के कारण प्रमुख बाजारों में नई घरेलू उड़द में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा।

02 दिसंबर 2020

चालू पेराई सीजन के पहले दो महीने में चीनी का उत्पादन 107 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चीनी मिलों में जल्द पेराई शुरू होने से चालू पेराई सीजन 2020-21 के पहले दो महीनों पहली अक्टूबर से 30 नवंबर 2020 तक चीनी का उत्पादन 107.04 फीसदी बढ़कर 42.90 लाख टन को हो चुका है जबकि पिछले सीजन में इस दौरान केवल 20.72 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 408 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 309 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 111 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा 30 नवंबर तक राज्य में 12.65 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 11.46 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर 2020 तक 15.72 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.38 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 158 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 71 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी। कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर तक 11.11 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 5.62 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।
गुजरात में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 1.65 लाख टन का तथा अन्य राज्यों में 1.77 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में गुजरात में केवल 62 हजार टन और अन्य राज्यों में 1.64 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
इस्मा के अनुसार चीनी की कीमतों में गिरावट आई है, तथा प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी के एक्स फैक्ट्री दाम घटकर 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है। चालू पेराई सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता मांग की तुलना में ज्यादा बैठेगी, जबकि अभी तक केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात एवं बफर स्टॉक पर सब्सिडी के अलावा चीनी के न्यूनतम ​बिक्री मूल्य, एमएसपी में बढ़ोतरी पर कोई फैसला नहीं किया है, जिस कारण कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

अरहर के दाम में हल्का सुधार, उड़द, मसूर और चना की कीमतों गिरावट रही

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग बढ़ने से बुधवार को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाजारों में अरहर की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। हालांकि हाजिर में अरहर दाल में ग्राहकी कमजोर ही बनी रही।
दूसरी और, बर्मा की लेमन अरहर के भाव मुंबई में हाजिर डिलीवरी में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी प्रकार, दिल्ली में अरहर की पुरानी और नई की कीमतों में 100 रुपये रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,000 और 6,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसके अलावा, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,700 रुपये रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
बर्मा में, भारतीय आयातकों की मांग कमजोर होने के साथ ही केंटनरों की कमी होने के कारण कंटेनर का शुल्क ज्यादा होने से कीमतों में नरमी दर्ज की गई। बर्मा से, भारत में (चेन्नई) के लिए एक जहाज 8 दिसंबर को अरहर के 400 कंटेनरों को लेकर रवाना होने की उम्मीद है।

सरकारी एजेंसियां लगातार अरहर की बिकवाली कर रही है, जबकि दिसंबर महीने के मध्य तक उत्पादक मंडियों में घरेलू फसल की आवक बढ़ेगी, इसलिए अरहर के भाव में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर मांग सीमित मात्रा में होने के कारण बुधवार को मुंबई, कोलकाता, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह के साथ ही मुंबई बाजार में कनाडा के साथ ही ऑस्ट्रेलिया की मसूर के भाव में 10 से 20 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दाल मिलों की मांग सीमित मात्रा में होने के कारण देसी मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया। मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में कनाडा की मसूर के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की देसी मसूर के भाव में 25 रुपये प्रति​ क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

आयातित उड़द का स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल में ग्राहकी कमजोर के कारण चेन्नई और दिल्ली में बर्मा उड़द की कीमतों में बुधवार को 50 से 100 रुपये प्रति​ क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। दूसरी तरफ दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से घरेलू बाजार में देसी उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।

चना की कीमतों में सुबह सुधार आया था, लेकिन शाम को भाव 25 रुपये घटकर राजस्थानी चना के 5,025 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के 5,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

01 दिसंबर 2020

चावल की कीमतों में 100 रुपये की तेजी, ​किसान के आंदोलन से लोडिंग और आवक प्रभावित

नई दिल्ली। पंजाब एवं हरियाणा के किसानों के आंदोलन के कारण इन राज्यों की मंडियों में जहां धान की आवक कम हो रही है, वहीं दिल्ली के लिए मालों की लोडिंग नहीं होने से दिल्ली और पंजाब की मंडियों में आज चावल की कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई जबकि हरियाणा की मंडियों में आज हड़ताल होने के कारण धान की आवक नहीं हुई।
व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस के माध्यम से गरीबों को पांच किलो गेहूं, या फिर चावल का आवंटन फ्री में कर रही थी, तथा यह स्कीम 30 नवंबर को बंद हो गई है। इससे चावल में हाजिर मांग बढ़ने की उम्मीद है। जानकारों के अनुसार पंजाब और हरियाणा के साथ ही उत्तर प्रदेश के किसानों के आंदोलन के कारण जहां उत्पादक मंडियों में धान की आवक प्रभावित हो रही है, वहीं दिल्ली के लिए इन राज्यों से चावल की लोडिंग भी कम हो पा रही है, इसलिए मौजूदा कीमतों में और भी सुधार बन सकता है।

बिनौला और कपास खली के भाव में मंदा, सीसीआई ने बिक्री भाव बढ़ाये

नई दिल्ली। कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने मंगलवार को उत्तर भारत के राज्यों में बिनौला के बिक्री भाव तो बढ़ाये, लेकिन हाजिर में ग्राहकी कमजोर होने से बिनौला के साथ ही कपास खली की कीमतों में 20 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार सीसीआई ने बिनौला के बिक्री भाव तो बढ़ाये लेकिन बढ़े भाव में बिक्री कम हुई, जिस कारण बाजार में डर है कि कहीं सीसीआई कीमतों में कटौती नहीं कर दे। हालांकि माना जा रहा है कि आगे बिनौला के साथ ही खल में मांग ठीक रहेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में अब ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।
सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने मंगलवार को बठिंडा में 2,850 से 2,890 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर केवल 2,150 टन बिनौला बेचा, जबकि सिरसा में 2,650 से 2,910 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर 20,080 टन, श्रीगंगानगर में 2,830 से 2,920 रुपये के भाव पर 6,200 टन, भीलवाड़ा में 2,580 से 2,740 के भाव पर 2,580 टन बिनौला की बिक्री की।
उधर इंदौर में सीसीआई ने 2,350 से 2,760 रुपये के भाव पर 10,050 टन, औरंगाबाद में 2,400 से 2,590 रुपये की दर पर 20,040 टन, अकोला में 2,500 से 2,740 रुपये के भाव पर 10,060 टन और अहमदाबाद में 2,550 से 2,680 रुपये के भाव पर 3,200 टन तथा आदिलाबाद में 2,510 से 2,580 रुपये के भाव पर 227,730 टन बिनौला बेचा।
हरियाणा के आदमपुर में मंगलवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 2775-2850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे, जबकि इस दौरान कपास खली के दाम घटकर 2300-2320 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सिरसा में बिनौला के भाव मंगलवार 2,850 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, जबकि पंजाब के भठिंडा में बिनौला के दाम मंगलवार को घटकर 2,750 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि सोमवार को भाव 2,800 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल थे। हरियाणा के असंध में कपास खली के दाम 20 रुपये घटकर मंगलवार को 2,580 रुपये, बरवाला में 40 रुपये घटकर 2,320 से 2,360 रुपये और कैथल में 50 रुपये घटकर 2,520 से 2,670 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

गेहूं के फ्री आवंटन की स्कीम समाप्त होने से कीमतों में तेजी का रुख

नई दिल्ली। गेहूं की कीमतों में मंगलवार को प्रमुख उत्पादाक राज्यों में 10 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, व्यापारियों के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली, पीडीएस में गरीबों को फ्री गेहूं आवंटन की स्कीम 30 नवंबर को समाप्त हो गई, इससे हाजिर में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में और भी 100 से 120 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।
व्यापारी, स्टॉकिस्ट और मिलर्स केंद्र सरकार के गेहूं के फ्री में आवंटन की स्कीम का इंतजार कर रहे थे, लेकिन सरकार ने इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया, इसलिए आज मिलों की मांग में सुधार देखा गया। व्यापारियों के अनुसार अगले एक सप्ताह के भीतर मुफ्त गेहूं की आवक मंडियों में कम हो जाएगी तथा मिलों की खरीद में आगे और सुधार आने का अनुमान है। ऐसे में गेहूं के मौजूदा भाव में तेजी की उम्मीद है। दिल्ली में गेहूं का भाव बढ़कर 1,825 से 1,830 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

दिल्ली में अरहर, उड़द और मसूर में नरमी, बर्मा से 200 कंटेनर अरहर के सौदे

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को दिल्ली में अरहर और उड़द के साथ ही मसूर के अगाऊ सौदों में नरमी दर्ज की गई। विदेश से आयातित अरहर आने के कारण हाजिर में दिल्ली में अरहर पुरानी और नई की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर भाव क्रमश: 6,100 और 6,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरे तरफ आगे के सौदों में, चेन्नई से दिसंबर डिलीवरी के लिए अरहर के भाव 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
बर्मा उड़द एफएक्यू/एसक्यू में दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में भाव 50 रुपये प्रति क्विंटल घट गए, क्योंकि उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर रही, जबकि चेन्नई में भी इसके भाव में नरमी आने का असर रहा।
आयातित माल ज्यादा होने से कनाडा और मध्यप्रदेश लाइन की मसूर के भाव में दिल्ली में 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।

भारतीय आयातकों की मांग से बर्मा में लेमन अरहर की कीमतों में मंगलवार को तेजी दर्ज की गई। दूसरी ओर, राजमा के साथ ही उड़द एफएक्यू/एसक्यू में स्थानीय और विदेशों की कमजोर मांग से नरमी दर्ज की गई। हालांकि जनवरी में बर्मा में नई राजमा की फसल की शुरू होने की संभावना है।
भारतीय खरीदारों ने आज अरहर का 200 कंटेनरों का व्यापार 660 से 700 डॉलर प्रति टन एफओबी के आधार पर किया, इसकी डिलवरी 31 दिसंबर से पहले होनी है।
बर्मा में नई अरहर की फसल की आवक जल्द शुरू होने की उम्मीद है तथा नई फसल का उत्पादन लगभग 3 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि बकाया स्टॉक लगभग 1 लाख टन बचा हुआ है।
नई उड़द की फसल की आवक जनवरी से शुरू होने की संभावना है तथा बर्मा में उड़द का बकाया स्टॉक करीब 1.5-2 लाख टन बचने की उम्मीद है।