आर एस राणा
नई
दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान देश से बायमती चावल के साथ ही गैर
बासमती चावल के निर्यात में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन घरेलू बाजार में पैसे
की किल्लत बनी हुई है जिस कारण बासमती धान और चावल की कीमतों में आगे मंदा
बनने की आशंका है।
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल
से मार्च के बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40,51,896 टन का हुआ है जबकि
पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 39,85,210 टन का
ही हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से
मार्च के दौरान बढ़कर 86,33,237 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष
2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 67,70,833 टन का ही हुआ था।
एपिडा
के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2017-18 में बासमती और
गैर-बासमती चावल के निर्यात में मात्रा के मुकाबले मूल्य में ज्यादा
बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब
से बढ़कर 2017-18 के दौरान 26,841 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि वित्त वर्ष
2016-17 के दौरान 21,513 करोड़ रुपये का ही निर्या हुआ था। गैर-बासमती चावल
का निर्यात बढ़कर इस दौरान 22,927 करोड़ रुपये का हो चुका है जबकि पिछले
वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 16,930 करोड़ रुपये का
ही हुआ था। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में स्टॉक कम होने से भारत से
गैर-बासमती चावल का रिकार्ड निर्यात हुआ है। थाइलैंड के साथ ही अन्य कई
देशों में गैर-बासमती चावल का स्टॉक काफी कम है।
केआरबीएल
लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि
बासमती चावल में निर्यात मांग तो अच्छी है लेकिन घरेलू बाजार में नकदी की
किल्लत होने से कीमतों में महीने भर में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी
है। हरियाणा की कैथल मंडी में सोमवार को पूसा-1,121 बासमती चावल सेला का
भाव घटकर 6,300 रुपये और 1,509 किस्म के सेला चावल का भाव 6,100 रुपये
प्रति क्विंटल रह गया। पूसा 1,121 बासमती धान का भाव मंडी में 3,550 से
3,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने हुए हैं।........... आर एस राणा
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