आर एस राणा
नई
दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय भारतीय कपास सबसे सस्ती है जबकि
रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत बना हुआ है। इसलिए कपास में निर्यात मांग और
बढ़ने की संभावना है जिससे घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में तेजी बन
सकती है। अहमदाबाद में मंगलवार को शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 41,500 से
42,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहा।
कपास का 65 लाख गांठ का निर्यात का अनुमान
कपास
कारोबारी फर्म के सी टी एंड एसोसिएटस के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने
बताया कि विश्व बाजार में कपास की कीमतें 84 सेंट प्रति पाउंड चल रही है
जबकि भारतीय कपास इसकी तुलना में सस्ती है। रुपये के मुकाबले डॉलर भी मजबूत
होकर 66.60 के स्तर पर पहुंच गया है जिससे निर्यातकों को फायदा हो रहा है।
इसलिए आगे कपास के निर्यात सौदों में और तेजी आने का अनुमान है। पहली
अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू सीजन में अभी तक करीब 55 लाख गांठ कपास की
शिपमेंट हो चुकी है तथा कुल निर्यात 65 लाख गांठ का होने का अनुमान है।
पिछले फसल सीजन में करीब 58 लाख गांठ कपास का निर्यात ही हुआ था।
मंडियों में 322 लाख गांठ की हो चुकी है आवक
कॉटन
एडवाइजी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का
उत्पादन 371 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल
इसका उत्पादन 321 लाख गांठ का ही हुआ था। प्रमुख उत्पादक राज्यों की
मंडियों में 30 अप्रैल तक 322.40 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
दैनिक आवकों में आई कमी
राजकोट
के कपास कारोबारी जतिन भाई ने बताया कि उत्पादक राज्यों की मंडियों में
कपास की दैनिक आवक घट गई है जबकि मिलों की मांग अच्छी बनी हुई है इसलिए
घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में आगे तेजी बन सकती है। उत्पादक मंडियों
में इस समय दैनिक आवक घटकर 25 से 30 हजार गांठ की रह गई है।
कपास की बुवाई बढ़ने का अनुमान
कॉटन
कारर्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू सीजन
में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है तथा उत्पादक राज्यों में कपास
के भाव भी उंचे रहे हैं। ऐसे में चालू खरीफ में कपास की बुवाई में पांच से
सात फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में
कपास का आयात भी पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि
निर्यात बढ़ेगा। ऐसे में नए सीजन के समय कपास का बकाया स्टॉक पिछले साल की
तुलना में कम रहेगा, जिससे तेजी को बल मिल रहा है।........... आर एस राणा
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