आर एस राणा
नई
दिल्ली। घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र
सरकार ने अरहर, उड़द और मूंग के साबूत या फिर प्रोसेसिंग की हुई दालों के
आयात पर भी रोक लगा दी है। हालांकि इस सख्ती के बाद भी घरेलू बाजार में
दालों की कीमतों में सुधार की संभावना नहीं है क्योंकि केंद्रीय पूल में
दलहन का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है जबकि केंद्र सरकार द्वारा किए गए अनुबंध
एवं आयातकों द्वारा पहले से किए गए सौदों का आयात जारी रहेगा।
विदेश
व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार अरहर,
उड़द तथा मूंग के साबूत या फिर दली हुई दालों के आयात पर पूर्ण रोक रहेगी,
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने मूंग और उड़द के आयात का जो 3 लाख टन का कोटा
तय किया हुआ है, उसमें इनकी हिस्सेदारी डेढ़-डेढ़ लाख टन तय कर दी है,
लेकिन अभी इनके आयात पर भी रोक जारी रहेगी।
नेफेड बेच रही है एमएसपी से नीचे दालें
केंद्र
सरकार ने अगस्त 2017 में वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अरहर के आयात की 2 लाख
टन और उड़द तथा मूंग के आयात की 3 लाख टन की मात्रा तय की थी। दलहन
कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि सरकार ने साबूत दालों के आयात की
मात्रा तय कर रखी थी, लेकिन आयातक दली हुई दालों का आयात कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में नेफेड समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,000
प्रति क्विंटल नीचे भाव पर दालों की बिक्री कर रही है तथा नेफेड एवं अन्य
सरकारी एजेंसियों के पास करीब 20 लाख टन से ज्यादा का स्टॉक जमा है। इसलिए
भाव में सुधार की उम्मीद नहीं है।
आयात पर पूर्ण रोक के बाद ही सुधार संभव
आल
इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि
घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता तो ज्यादा है ही, साथ में आयातित दालों
का पुराना स्टॉक भी ज्यादा मात्रा में बचा हुआ है। अत: केंद्र सरकार को
दालों के आयात पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए, तभी घरेलू बाजार में
इनके भाव में सुधार आ सकता है।
केंद्र सरकार द्वारा उठाए कदम नाकाफी
केंद्र
सरकार ने दलहन की कीमतों में सुधार लाने के लिए कदम तो उठाए है, लेकिन
घरेलू मंडियों में दालों के भाव सुधार के बजाए गिरावट ही आई है। केंद्र
सरकार ने चना के आयात पर 50 फीसदी आयात शुल्क, मसूर के आयात पर 30 फीसदी और
मई से जून के दौरान मटर के आयात की एक लाख टन की मात्रा कर रखी है। नवंबर
में सरकार ने दलहन के निर्यात को भी खोल दिया था, साथ ही चना दाल के
निर्यात पर 7 फीसदी का इनसेंटिव भी घोषित कर रखा है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि
मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का
रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल इनका
उत्पादन केवल 231.3 लाख टन का हुआ था।
किसानों को नहीं मिल रहा है समर्थन मूल्य
उत्पादक
मंडियों में किसान 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चना बेचने
को मजबूर है जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति
क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से मसूर के भाव कई मंडियों
में घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जबकि मसूर का एमएसपी 4,250
रुपये प्रति क्विंटल है। अरहर, उड़द और मूंग के भाव भी एमएसपी से नीचे बने
हुए हैं।............... आर एस राणा
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