आर एस राणा
नई
दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती से वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का आयात
15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17
में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात हुआ था।
केंद्र की सख्ती से आयात में आई कमी
खाद्य
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में दालों
का आयात 36.5 लाख टन का हुआ था, उसके बाद से लगातार आयात में बढ़ोतरी हो
रही थी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा आयात पर सख्ती और घरेलू बाजार में
बंपर उत्पादन के कारण ही आयात में कमी आई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष
2015-16 में 59.97 लाख टन दालों का आयात हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18
में बढ़कर यह रिकार्ड 66.08 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
मसूर को रहा है अभी भी आयात
केंद्र
सरकार ने अगस्त 2017 में अरहर के आयात के लिए 2 लाख टन और मूंग और उड़द के
आयात के लिए 3 लाख टन की मात्रा तय की थी। चालू वित्त वर्ष 2017-18 में
अरहर, उड़द और मूंग का आयात दाल मिलों द्वारा तय किए कोटे के आधार पर किया
जायेगा। सरकार ने जून के अंत तक एक लाख टन मटर के आयात की अनुमति दी हुई
है, जबकि चना के आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क और मसूर के आयात पर 30 फीसदी
आयात शुल्क लगा रखा है। दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि सरकार
द्वारा आयात शुल्क बढ़ा देने के बाद से चना का आयात तो नहीं हो रहा, लेकिन
मसूर का आयात अभी भी हो रहा है।
दालों का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि
मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का
रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल
2016-17 में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था। इसके पिछले साल दालों का
उत्पादन घटकर केवल 163.5 लाख टन का ही हुआ था। देश में दालों की सालाना
खपत 240 से 245 लाख टन की होती है।............. आर एस राणा
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