आर एस राणा
नई
दिल्ली। केंद्र सरकार ही जब सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से न्यूनतम
समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर दालें बेचेगी तो फिर किसानों से
समर्थन मूल्य पर व्यापारी क्यों खरीदेंगे? अत: मजबूरीवश किसानों को उत्पादक
मंडियों में दालें समर्थन मूल्य से 1,500 से 2,200 रुपये प्रति क्विंटल
नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही हैं।
नेफेड एमएसपी से नीचे बेच रही है दालें
केंद्रीय
पूल में दलहन का सबसे ज्यादा स्टॉक नेफेड के पास है, तथा नेफेड आंधप्रदेश,
महाराष्ट्र और कर्नाटका की मंडियों में मूंग 3,201 से 4,112 रुपये प्रति
क्विंटल की दर से बच रही है जबकि केंद्र सरकार ने मूंग का एमएसपी 5,575
रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इसी तरह से नेफेड ने उड़द 3,275 से
3,307 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची है जबकि उड़द का एमएसपी 5,400
रुपये प्रति क्विंटल है।
केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक
नेफेड
ने चालू रबी में एमएसपी पर 3.51 लाख टन चना की, 13,821 टन मसूर की और
8,381 टन उड़द की खरीद की है। इसके अलावा खरीफ अरहर की नेफेड ने 7.66 लाख
टन की खरीद की हुई है। नेफेड के पास खरीफ सीजन में खरीदी गई अन्य दालों का
स्टॉक भी है। सूत्रों के अनुसार नेफेड और अन्य एजेंसियों के पास दालों का
20 लाख टन से ज्यादा का बंपर स्टॉक जमा है जबकि भंडारण की सुविधा पर्याप्त
नहीं होने के कारण खरीदी गई दालों की बिक्री भी साथ ही साथ की जा रही है
जिस कारण मंडियों में दालों के भाव में सुधार नहीं आ रहा है।
सभी दलहन के भाव एमएसपी से नीचे
उत्पादक
मंडियों में सभी दालों के एमएसपी से नीचे बने हुए हैं। केंद्र सरकार ने
चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि मंडियों में
इसके भाव घटकर 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इसी तरह से
मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि कई राज्यों की मंडियों
में इसके भाव घटकर नीचे में 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं।
केंद्र द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी
घरेलू
बाजार में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने मसूर के
आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क, चना के आयात पर 60 फीसदी का आयात शुल्क
तथा मटर के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया हुआ है। आयातक जून तक केवल
एक लाख टन मटर का ही आयात कर सकेंगे। इसके अलावा अरहर, मूंग और उड़द के
आयात पर भी मात्रात्मक प्रतिबंध सरकार लगा चुकी है। साथ ही दलहन के निर्यात
की अनुमति एवं चना दाल के निर्यात पर निर्यातकों को 7 फीसदी इनसेंटिव भी
देने की घोषणा कर चुकी है। इन सब के बावजूद भाव में लगातार मंदा ही बना हुआ
है।
बंपर उत्पादन बना किसानों के लिए मुसिबत
चालू फसल
सीजन 2017-18 में दलहन का रिकार्ड उत्पादन किसानों के लिए घाटे का सौदा
साबित हो रहा है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन
2017-18 में दालों का 239.5 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके
पिछले साल 231.3 लाख टन का उत्पादन हुआ था।............ आर एस राणा
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